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सप्तरंगी प्रेम: January 2011
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सप्तरंगी प्रेम. सोमवार, 31 जनवरी 2011. कमनीय स्वप्न : आशीष. कौन थी वो प्रेममयी , जो हवा के झोके संग आई. जिसकी खुशबू फ़ैल रही है , जैसे नव अमराई. क्षीण कटि, बसंत वसना, चंचला सी अंगड़ाई. खुली हुई वो स्निग्ध बाहें , दे रही थी आमंत्रण. नवयौवन उच्छश्रीन्खल. लहराता आंचल प्रतिक्षण. लावण्य पाश से बंधा मै, क्यों छोड़ रहा था हठ प्रण. मृगनयनी,तन्वांगी , तरुणी, उन्नत पीन उरोज. अविचल चित्त , तिर्यक दृग ,अधर पंखुड़ी सरोज. के माध्यम से सक्रियता. प्रस्तुतकर्ता. सोमवार, जनवरी 31, 2011. लेबल: आशीष. जब सूख जाय...वो ...
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अनामिका की सदायें ...: January 2013
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अनामिका की सदायें . जो भी लिखती हूँ, इस दिल को सुकून देने के लिए लिखती हूँ . Monday, 28 January 2013. हाँ मैं नारी हूँ-. हाँ मैं नारी हूँ-. जिस पैदाइश पर मुंह बिसूरा गया. फिर कंजक बना बेशक पूजा गया. लिख दिए कुछ शब्द मेरी सलेट पर कि -. ढका, नपा -तुला, दबा रहना सिखाया गया. हाँ वही संस्कारों में दबी नारी हूँ मैं।. चुभती नज़रें बदन पर सरकती रही. अफ़सोस शर्म से खुद की ही नजर झुकती रही. पढ़-लिख के नवाबी सनदें छुपा दी गयी. जख्म देकर नासूरों को छीला गया. दुर्गा से पहले गौर...तेरी तरह अधूर&#...की कí...
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अनामिका की सदायें ...: June 2014
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अनामिका की सदायें . जो भी लिखती हूँ, इस दिल को सुकून देने के लिए लिखती हूँ . Friday, 20 June 2014. ओ वसुषेण (कर्ण ). ओ वसुषेण (कर्ण ). क्यूँ सदा जन्म. पालन की हीनता में रहे. क्या न विश्वास था खुद के शौर्य पर. धर्म का ढोल पीट सदा अधर्मियों के साथी बने. क्या यही था पौरुष कि हीनता शमित न कर सके! पौरुष प्रखर होता जो लाज कृष्णा की बचाते. उल्टे स्वयं ही कटु स्वर प्रताड़ना के उच्च किये. वेश्या, कुलच्छिनी, कृष्ण की भार्या सी. टेरती हारी थी जब वो कुलीना,. मान पाकर भी अमान्य हो गए. Wednesday, 4 June 2014. किर...
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अनामिका की सदायें ...: December 2012
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अनामिका की सदायें . जो भी लिखती हूँ, इस दिल को सुकून देने के लिए लिखती हूँ . Monday, 3 December 2012. यादें. चुभती बेचैनी है सीने में,. नमी सूखी है नैनों में,. अपनों की चादर छिटकी है. अनाथ ये ' तन्हा ' बिखरी है. कुछ दिन बीते, मुझे छोड़ गए. खींच के साया अपने-पन का. काट नेह-तरु की डाली को. जलती यादों में छोड़ गए. कभी हाथ पकड़ चलाते थे. दुनियां के ऊबड़-खाबड़ रस्तों पर. आज उनके साथ को आँका करती हूँ. इन रीते हाथों की लकीरों में. द्वन्द का सागर उठता है,. Subscribe to: Posts (Atom). अनुसरणकर्ता. 1 -मेर...
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अनामिका की सदायें ...: July 2012
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अनामिका की सदायें . जो भी लिखती हूँ, इस दिल को सुकून देने के लिए लिखती हूँ . Wednesday, 18 July 2012. जीवन प्रश्न. मैं जीवन और मृत्यु के. संयोग में हूँ. अपने जीवन की साँसों के. कोमल धागों में. बंधा अवश्य हूँ, लेकिन. विश्वास की काल्पनिक भित्ति पर. अपने जीवन को थाम रखा है. किसी की दुत्कारों में हूँ. या दुलार में. किसी के रोष में हूँ. या स्नेह में. प्रतीक्षा में हूँ. अथवा नैराश्य में. राग में हूँ. या वैराग्य में. विश्वास में हूँ. या विडम्बना में. मैं इन विचारों के. और प्रयाण की. जीवन का यही. जहाँ...
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अनामिका की सदायें ...: September 2014
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अनामिका की सदायें . जो भी लिखती हूँ, इस दिल को सुकून देने के लिए लिखती हूँ . Saturday, 13 September 2014. ये कैसी परिणति. नाज़ों से पाला. दर्दों को झेला. देह को कटते. खुली आँखों से देखा. तब तुझे पाया था! खून से लथपथ. अचेत, अधमरी सी. निर्बल सी काया को. अपने आगोश में. समेटा था. तब तेरी साँसों को. सम्बल मिल पाया था! अपने पयोधरों से. तेरा रोम रोम सींचते. रातें आखों में काटते. तेरे लिए दुआएं मांगते. तेरे काँटों को चुनते. तेरी इस माँ ने. रब की हर चौखट को. टेरा था! लेकिन तूने. तिरस्कृत कर. ममत्व का. दद्द&#...
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अनामिका की सदायें ...: February 2015
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अनामिका की सदायें . जो भी लिखती हूँ, इस दिल को सुकून देने के लिए लिखती हूँ . Thursday, 19 February 2015. एकाकीपन के. झंझावतों से. स्वयं को मुक्त करने,. अंतस की खलिश. को कम करने हेतु. बड़ी बहिन समान. भाभी, माँ सी छाया. देने वाली सासु माँ. मन को अलोलित करने वाले. मासूम बच्चो से ,. और उन बाकी रिश्तों …. जो इस तिश्नगी पर. फोहे बनने को काफी थे ……. उस सब से मिल तो ली थी. मगर उफ्फ ये. दिल की आग से. तपा आँखों का पानी,. कुछ अनचाही तल्खियाँ,. और जिद्दी मनहूसियत. और ये रूह जो. सिर्फ और सिर्फ. View my complete profile.
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अनामिका की सदायें ...: May 2012
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अनामिका की सदायें . जो भी लिखती हूँ, इस दिल को सुकून देने के लिए लिखती हूँ . Wednesday, 30 May 2012. चौखटें. तुम्हारे घर की. चौखटें तो. बहुत संकीर्ण थी. चुगली भी करती थी. एक दूसरे की. फिर तुम कैसे. अपने मन की. कर लेते थे? शायद तुम्हारी चाहते. घर की चौखटों. से ज्यादा बुलंद थी तब. लेकिन आज. हालात जुदा हैं. चौखटें तो वहीँ हैं. मगर चाहतों की. चौखटों में. लग गयी है. मजबूरियों ने भी. पाँव पसार लिए हैं. कितना परिवर्तन-पसंद. है ना इंसान . चौखटें. बदलें न बदलें . बदल ही सकता है न. Friday, 18 May 2012. हर को...
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अनामिका की सदायें ...: November 2013
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अनामिका की सदायें . जो भी लिखती हूँ, इस दिल को सुकून देने के लिए लिखती हूँ . Thursday, 14 November 2013. हाय मुझे बचाओ . लो जी आज कुछ हास्य रस में डूबा जाये- -. अल्पज्ञानी पति ने. अपने व् पत्नी के टेस्ट करवाए. रिपोर्ट लेकर. फेमिली डॉक्टर के पास. दौड़े आये. डॉक्टर ने कहा दिल थाम लो. खुद को जरा संभाल लो. बी पी ने किया है. किडनी पर वार. किडनी फेल होने के. तुम्हारी पत्नी के पूरे हैं आसार. बीबी तुम्हारी है मेहमान. बस 1-2 साल. किडनी तुम्हारी है बेहतर. कर दो बीबी को दान. छूट रहा जिससे. Friday, 1 November 2013.
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अनामिका की सदायें ...: March 2015
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अनामिका की सदायें . जो भी लिखती हूँ, इस दिल को सुकून देने के लिए लिखती हूँ . Saturday, 14 March 2015. आखिर तो इंसान हूँ . दिल में चुभन हुई. तो मैं हंसने लगा. मानो हंस के. चुभन को भुलाने चला . चुभन जख्म करने लगी. तो मैं खामोशी से. लब सी गया. क्यूंकि आंसू दिखाने से. डरता रहा . रक्त रंजित किया . जख्मों ने छलनी किया. अश्क रुक न सके. आँख छलक ही गयी. आखिर तो हाड-मांस का. पुतला हूँ मैं. भावों के स्पंदन से. जलता बुझता हूँ मैं! अनामिका की सदायें . Subscribe to: Posts (Atom). अनुसरणकर्ता. View my complete profile.