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''सत्य ,साहित्य और समाज '': Mar 4, 2015
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सत्य ,साहित्य और समाज '. सत्य और साहित्य' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ ). क्या लिखू तुझ पर,. क्या तस्वीर बनाऊ,. न लफ्ज है और न ही रंग. तेरी खूबसूरती के बयान के लिए. बचपन में कभी पेन्सिल से. काला गोला बनाकर. पीला रंग भरा था उसमे. जो 'आम' तो कभी 'सूरज'. बन गया था 'युगल'. तब तक यही था रंगों का मायना. मेरे इस संसार का. फिर बाजार में बिकते दिखे. कागजो में लपेटकर कुछ रंग. गुलाबी, लाल, पीला, हरा. और सुनहरी. सब रंग. एक साथ, एक दुकान में ऐसे थे. और 'माँ'. Links to this post. अखंड ...
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''सत्य ,साहित्य और समाज '': Apr 12, 2015
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सत्य ,साहित्य और समाज '. सत्य और साहित्य' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ ). मोहब्बत' न रही अब. न रही अब. ख़त्म हो गयी,. इक लाश बन गयी. अब उसके साथ है. और शायरी की. दिल में बाकी थी. जो अर्जियां. सब इन्जार में है. अब दफन होने के. कल तक जो जिंदगी थी. अब अब वो मोहब्बत. पड़ी है अकेले लाश बनकर. लाश से 'अल्फाजो का चद्दर'. इस कदर चिपटा है. मानो इन्ही की मोहब्बत थी. मै, तू और हम तो बस. परवाने थे,. बस मोहब्बत की खिदमत के लिए. लायक नहीं थे मोहब्बत के. Links to this post. नई पोस्ट. अभिन&...
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Ankur Mishra Blog - Page 4 of 5 - लिखते रहिये आदत बुरी नहीं है ! #YugalVaniAnkur Mishra Blog | लिखते रहिये आदत बुरी नहीं है ! #YugalVani
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ल खत रह य आदत ब र नह ह! Feb 10, 2016 -. Mukesh Bansal has logged out of Flipkart, time for a new a Start Up. Fire your boss, do what you love and work better to live awesome. Agree? Mukesh Bansal, Head of Commerce Platform, Flipkart is moving out of his active role to be an advisor to the company. Mukesh has played a huge role in making Myntra the number one fashion destination and helped build a strong platform at Flipkart, Flipkart. Mukesh Bansal’s departure is one of the most high-profile exits yet fo...
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''सत्य ,साहित्य और समाज '': Mar 19, 2015
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सत्य ,साहित्य और समाज '. सत्य और साहित्य' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ ). न जाने क्यों इतनी उदास है 'वो'. न जाने क्यों इतनी उदास है. उसे नहीं पता क्या कितनी खास है. उसे तो सिर्फ मोहब्बत है मुझसे. उसे न जाने क्या क्या तलाश है तुझसे. न जाने क्यों इतनी उदास है. ये खेल मोहब्बत का बस. के एहसास में है. ये न तेरे. की साँस में है. और न ही उसकी प्यास में है. न जाने क्यों इतनी उदास है. उसे नहीं पता क्या कितनी खास है. आसमान के एक. चांद की. खाली मन और निडर वदन लिए. Links to this post.
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''सत्य ,साहित्य और समाज '': A Shost Biography of Chacha ji..By ankur mishra''yugal''
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सत्य ,साहित्य और समाज '. सत्य और साहित्य' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ ). A Shost Biography of Chacha ji.By ankur mishra' yugal'. PtJawaharlal Nehru Personal Details Biography Children’s Day Jawaharlal Nehru was the first and also long serving prime minister of India[From 1947 to 1964].He is also referred as Pandit Nehru ("pandit" means "scholar","teacher" in Sanskrit). Jawaharlal Nehru's Personal Profile. Name : Jawaharlal Nehru. Sisters : Vijaya Lakshmi and Krishna. अखं...
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''सत्य ,साहित्य और समाज '': Mar 21, 2015
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सत्य ,साहित्य और समाज '. सत्य और साहित्य' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ ). न जाने क्यों इतना याद आते है. सुबह की वो छोटी छोटी बातें. छुट्टियों की फिर फिर मुलाकातें. सूरज की रौशनी में जवां इश्क. जिंदगी के बड़े बड़े ख्वाब. और तेरे और मेरे वो अल्फाज. न जाने क्यों इतना याद आते है. कहीं दूर-दूर घूमने के नमकीन इरादे. कसमो में वो कच्चे कच्चे वादे. तेरी यादो में बिखरे बिखरे दिन. तारीखों के साथ जवां होती उम्मीदे. और रातो के यकीनी सपने. कोई कहो जरा ठहरो तो. तुम अब भी,. Links to this post.
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''सत्य ,साहित्य और समाज '': Feb 26, 2015
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सत्य ,साहित्य और समाज '. सत्य और साहित्य' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ ). सब कहा खो गए? सब कहा खो गए? कल की ही बात है. यहाँ एक खेत था. एक खलियान,. कच्चा घर और कुआँ था. गोरैया का एक घोसला था. नीम के उस पेड़ में. आज न जाने. सब कहा खो गए? सुबह - सुबह ही देखा. बहु मंजिल मकान था. हजारो इमारतो के झुंड में,. दिन में 'दिन' तो दिखा. मगर रोशनी में अपना नहीं था कोई. आसमान पर परिंदा न था. शाम को जब घर गया. ख़ामोशी से डरा खामोश घर. इंतजार में था. खिड़की खोली तो. छत नदारद थी. न जाने. सत्य...
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''सत्य ,साहित्य और समाज '': Feb 12, 2015
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सत्य ,साहित्य और समाज '. सत्य और साहित्य' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ ). लोकतंत्र. 8220;लोकतंत्र”. जब जब सोया,. क्या गजब सोया,. नेता को सुलाया,. जनता को रुलाया. लफ्जो के खेल में सबको खिलाया. कभी जुमलो से. तो कभी हमलो से. कभी ख़ामोशी से. तो कभी बेलगाम शोर से. जनता में उम्मीदों को हर रोज खूब जगाया. बिगडती है बनती है. बनती है फिर बिगडती है. और फिर बिगड़कर बनती है. अजीब लोकतात्रिक सरकार है. जो हर रोज जनता के साथ. एक नया खेल खेलती है . खुद के खातिर. एक रास्ता,. ऐसी एक रात,. PtJawahar...
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Ankur Mishra Blog - Page 5 of 5 - लिखते रहिये आदत बुरी नहीं है ! #YugalVaniAnkur Mishra Blog | लिखते रहिये आदत बुरी नहीं है ! #YugalVani
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ल खत रह य आदत ब र नह ह! Feb 5, 2016 -. My Journey from ‘Anshan to Oath’ with Arvind Kejriwal. A date which comes after 15 August, Independence day. This was the fight for real Independence. And this was the first day when I joined this movement without knowing anyone in Raj Ghat. Suddenly a Bus came and arrested us from Raj Ghat and blocked us at Chatrashal Stadium. A stadium which was the part of CWG scam. I read him and googled him many times then found him Excellent and again joined him at Ramlila Gro...
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