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kunwarji's: May 2014
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गुरुवार, 15 मई 2014. नतीजे.(कुँवर जी). 2351;ही रात अंतिम यही रात भारी. 2330;लो नतीजो के आने से पहले सो लिया जाये! प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. 1 टिप्पणी:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: एक विचार. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). लिखिए अपनी भाषा में. ये भी कुछ कह रहे है. सुनिए तो! महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar). Donald Trump and Nationalism Wave. Or freedom of crime?
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Aarzoo: May 2011
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Tuesday, May 24, 2011. अन्नदाता अब कहाँ जायेंगे. अन्न माँगा, दिया हमने. आबरू ना दे पाएंगे. रक्षक ही जब भक्षक बने. अन्नदाता अब कहाँ जायेंगे. महंगा बीज , महंगा खाद. फिर भी सस्ता है. ग़ुरबत में जी लेंगे. देश को न भूखा. सुलायेंगे. जब भक्षक बने. अन्नदाता अब कहाँ जायेंगे. प्रकृति की मार हम पे. पड़ती रहती थम थम. पसीना तो बहा सकते लेकिन. खून कब तक बहायेंगे. जब भक्षक बने. अन्नदाता अब कहाँ जायेंगे. भू माफिया. मिलकर कर रही अत्याचार. अब तक सहते रहे लेकिन. अब और ना सह पाएंगे. जब भक्षक बने. Posted by Deepak Saini. धन...
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kunwarji's: December 2014
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मंगलवार, 2 दिसंबर 2014. जिन्दगी तुझे ही तो ढूँढ रहे थे.(कुँवर जी). अनजानों में कही छिपा होता है. जाना-पहचाना सा कोई. कभी रास्ते बदल जाते है. तब जान पड़ता है. कभी राहे वो ही रहती है. नजरिये नहीं बदलते. और लोग बदल जाते है।. फिर कही दूर किसी मोड़ पर. पलटते है हम. ना जाने क्या सोच कर. साँस समेट कर धड़कन रोक कर. और पीछे से जिन्दगी छेड़ती है हमे. कहती है कि मै यहाँ तेरी राह तक रही. तू किसकी राह देखे।. मन के चोर को मन में छिपा. आँखों मिचका कर. कहते हम भी फिर. चलो चलते है।. कुँवर जी ,. लेबल: कविता. सात सा...
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kunwarji's: January 2013
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रविवार, 13 जनवरी 2013. हमें शान्ति चाहिए.,(कुँवर जी). 2361;म कहते है हमें शान्ति चाहिए,. 2357;ो बोले. 2361;मने इतना बेआबरू तुमको किया,. 2325;भी छाती की छलनी. 2309;भी सर. 2343;र लिया,. 2340;ुम अब भी शान्त हो. 2309;ब इस से ज्यादा शान्ति का भी क्या करोगे. 2358;ान्ति नहीं तुम्हे शर्म चाहिए,. 2361;मने कहा. 2358;र्म तो चली गयी बेशर्म हो. 2340;ो हमें शान्ति चाहिए. 2332;य हिन्द,जय श्रीराम,. 2325;ुँवर जी,. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. 13 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. लेबल: भारत. कहते...
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kunwarji's: June 2013
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बुधवार, 26 जून 2013. प्रकृति ने की क्रिडा तो उपजी पीड़ा.(कुँवर जी). जब तक चली तो खूब खेला. मानव प्रकृति संग. प्रकृति ने की क्रिडा. तो उपजी पीड़ा,. विश्वाश. कही घायल पड़ा. लोगो से नजरे चुरा. कराह रहा है,. श्रद्धा. किसी पेड़ की टहनी में. अटकी हुई सी. किसी कीचड़ में दबे चीथड़े में. सिमटी हुई सी मौन है! आस है कि. टकटकी लगाये बैठी है. उसी की और ही. ये तांडव मचाया है! जय हिन्द,जय श्रीराम,. कुँवर जी. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. 14 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. लेबल: (कविता). वैसे त...राह...
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kunwarji's: October 2014
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गुरुवार, 23 अक्तूबर 2014. सभी के लिए शुभकारी और अमंगलहारी हो दीपावली।. निरोगी काया निर्मल मन हो,. सात्विक आहार और. थोडा दान के लिए भी धन हो।. सृष्टि-हित और समाज-हित के अनुसार ही स्वयं-हित करते रहने की समझ हो।. कुछ ऐसी सी ही असीम और अनंत शुभेच्छाओ और प्रार्थनाओ को पूरी करने वाली हम सब की दीवाली हो।. कुँवर जी,. जय हिन्द, जय श्री राम।. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. 9 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. नई पोस्ट. Or freedom of crime?
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kunwarji's: August 2013
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शुक्रवार, 9 अगस्त 2013. कैसे आज तीज के झूले झूलूँ मै. कैसे आज तीज के झूले झूलूँ मै. दो सर आज भी झूल रहे है उनकी संगीनों पर. कैसे भूलूँ मै! झूलों की रस्सी में सांप दिखाई देते है,. हर आँखों में सीमा के संताप दिखाई देते है,. भड़क उठेंगे शोले जो जरा सी राख टटोलूं मै,. झूल रहे है दो शीश! आस्तीन में सांप पालना कोई सीखे हमसे आकर,. दावत देते है हत्यारों को हम ससम्मान बुलाकर,. झूल रहे है दो शीश! कैसे आज तीज के झूले झूलूँ मै. कैसे भूलूँ मै! जय हिन्द ,जय श्रीराम,. कुँवर जी,. इसे ईमेल करें. इस बुजुरî...वो ...
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kunwarji's: September 2013
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शुक्रवार, 27 सितंबर 2013. फिर आतंकियों ने सेना पर हमला बोल दिया.(लघु कथा ).(कुँवर जी). मिश्रा जी ने चाय को ऐसे पिया जैसे किसी काढ़े का घूँट भर रहे हो! उनकी बहन घर पर आई हुयी थी,उन्होंने पूछा क्या हुआ चाय में चीनी की जगह नमक डाल दिया है क्या? बोलते-बोलते वो सच में ही भावुक हो गए! फिर किसी की माँग सूनी हो गयी होगी,कितनी राखी कलाइयों को तरस जायेगी! कितनी माँ बस राह ताकती रह जायेगी! बताना तो चाहिए! पलट कर होंठ पीटती सी रसोई की और चली गयी! मिश्रा जी की बहन सोफे के...कुँवर जी,. 1 टिप्पणी:. किस्...एक दì...
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kunwarji's: October 2013
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शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2013. मुझे अनुभव रेत के महलो का है.(कुँवर जी). मेरे शब्दकोष में कितने शब्दों के अर्थ बदल गए,. अरमानो के सूरज कितने चढ़ शिखर पर ढल गए,. फौलादी इरादे वक़्त की तपन से मोम के जैसे पिघल गये,. सपनो तक जाने वाले रस्ते भौर होते ही मुझको छल गये,. इसी लिए तो आजकल बाते कम किया करता हूँ मै,. जिह्वा दब जाती है शब्दों के बोझ तले तो दो पल को सोचा करता हूँ मै,. पहले हर हरकत एक जूनून हो जाती थी,. करना है तो बस करना है ऐसी धुन हो जाती थी,. जय हिन्द,जय श्रीराम,. कुँवर जी,. लेबल: (कविता). कहते हí...
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