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नगमे मेरे: लिखूं गजल इक तेरे नाम
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नगमे मेरे. गीत, गज़ल, कविताएं. मुख्य लिंक. मुखपृष्ठ. कविताएं. Sunday, July 11, 2010. लिखूं गजल इक तेरे नाम. लिखूं गजल इक तेरे नाम. राजेश त्रिपाठी. तेरी हंसी को सुबह लिखूं,. और उदासी लिखूं शाम ।. आज बहुत मन करता है,. लिखूं गजल इक तेरे नाम।।. जुल्फें ज्यों सावन की घटा,. चेहरे में पूनम सी छटा ।. नीलकंवल से तेरे नयन,. मिसरी जैसे मीठे बचन।।. गालिब की तुम्हें लिखूं गजल,. और लिखूं इक छवि अभिराम।। (लिखूं गजल- -). सुंदरता को कर दे लज्जित,. ऐसी तू शफ्फाक बदन।. मतलब भरे जमाने में,. Subscribe to: Post Comments (Atom).
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Kalam Ka Sipahi / a blog by Rajesh Tripathi कलम का सिपाही/ राजेश त्रिपाठी का ब्लाग: हम क्या करें !
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मुखपृष्ठ. सामयिकी. मुद्दा. Monday, August 3, 2015. हम क्या करें! राजेश त्रिपाठी. आदमी आदमी का बन गया दुश्मन,. हाथों में फू ल नहीं आ गये खंजर।।. सियासत का जहर इनसान को बांट रहा है,. भाई भाई को किस कदर काट रहा है।।. हालात बद से बदतर हो रहे क्या करें,. आइए अब मुल्क की बरबादी पे मातम करें।।. इक जमाना था गिरे को उठाते थे लोग।. किसी के घर गमी हो , मिलके मनाते थे सोग।।. वाह क्या वक्त था, कितने आला प्यारे थे लोग।. आइए वक्त की इस मार का हम मातम करें।।. मानाकि मुल्क के लिए...हर कौम मे सौहार...हर इक का दर...
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Kalam Ka Sipahi / a blog by Rajesh Tripathi कलम का सिपाही/ राजेश त्रिपाठी का ब्लाग
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मुखपृष्ठ. सामयिकी. मुद्दा. Friday, August 14, 2015. Subscribe to: Post Comments (Atom). डॉ. रुक्म त्रिपाठी की जीवनी के. अन्य भागों के लिए नीचे के. नंबरों पर. क्लिक करें. मेहमां दुनिया भर के. आगंतुक अब तक / Visitors. यूट्यूब में मेरा गीत सुनने को क्लिक करें. रहस्य उपन्यासिका- रूम नंबर 213 के लिए Enlarge this document in new Window पर क्लिक करें. We're sorry, your browser doesn't support IFrames. You can still visit this item. Enlarge this document in a new window. Publishing Software from YUDU. स्वत...
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Kalam Ka Sipahi / a blog by Rajesh Tripathi कलम का सिपाही/ राजेश त्रिपाठी का ब्लाग: सुनो सुनो ऐ दुनिया वालो एपीजे
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मुखपृष्ठ. सामयिकी. मुद्दा. Thursday, July 30, 2015. सुनो सुनो ऐ दुनिया वालो एपीजे की अमर कहानी. राजेश त्रिपाठी. अपने लिए कभी ना सोचा देश के हित दे दी जिंदगानी।. सुनो सुनो ऐ दुनिया वालो एपीजे की अमर कहानी ।।. एपीजे अब्दुल कलाम का बचपन से था सपना।. देश हित कुछ कर जायें ऐसे उठे कदम अपना।।. पुश्तैनी पेशे को छोड़ा जोड़ा शिक्षा से नाता।. बढ़ते कदम देख बेटे के खुश हो गये पिता-माता।।. डीआरडीओ में रह कर काम किया था खास।. इक-इक पल उनका रहा ज्ञान के नाम।. भारत को आगे ले जाने क...वह अवश्य पूरा ह...उनके सपन&...
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Kalam Ka Sipahi / a blog by Rajesh Tripathi कलम का सिपाही/ राजेश त्रिपाठी का ब्लाग: जीवनगाथा डॉ. रुक्म त्रिपाठी-21
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मुखपृष्ठ. सामयिकी. मुद्दा. Monday, July 27, 2015. जीवनगाथा डॉ. रुक्म त्रिपाठी-21. इस तरह आये. न्यूमेंस महानगर गार्जियन. राजेश त्रिपाठी. रुक्म जी के सन्मार्ग छोड़ पूरी तरह से किसी और पत्र से संपादक के रूप में जुड़ने की कहानी कुछ इस प्रकार है-एक दिन इस लेखक के पास. न्यूमेंस महानगर गार्जियन. के मालिक विनोद वैद का फोन आया-. राजेश जी, मैं चाहता हूं कि आप. न्यूमेंस महानगर गार्जियन. मैंने विनोद वैद जी से कहा-. उन्होंने पूछा-. देर, देर कैसी राजेश जी।. मैने उत्तर दिया-. मैने पूछा-. कौन-सा नाम. ने उसके...पता...
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Kalam Ka Sipahi / a blog by Rajesh Tripathi कलम का सिपाही/ राजेश त्रिपाठी का ब्लाग
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मुखपृष्ठ. सामयिकी. मुद्दा. Wednesday, January 12, 2011. Sunday, December 12, 2010. 8216;दिग्गी राजा’ जबान संभाल के! एक राजा का 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला कांग्रेस की नाक में दम किये ही हुए था कि एक दूसरे राजा ने उसकी मुसीबत और बढ़ा दी। ये हैं. दिग्गी राजा. के नाम से पहचाने जाने वाले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह।. दिग्गी राजा. 2404; आगे पढ़ें. आखिर सुनी तो गयी कश्मीर की कराह. आगे पढ़ें-. आगे पढ़ें. मरने को. अभिशप्त है भारत का हर नत्था. पढ़ें. आखिर क्यों? पढ़ें-. जाने क्यों त...अपने जीवन म...कृप...
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Kalam Ka Sipahi / a blog by Rajesh Tripathi कलम का सिपाही/ राजेश त्रिपाठी का ब्लाग: यादों में अब तक जीवित है प्यार
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मुखपृष्ठ. सामयिकी. मुद्दा. Friday, July 24, 2015. यादों में अब तक जीवित है प्यारा-सा वह गांव. राजेश त्रिपाठी. वह पनघट के गीत और बट की ठंडी छांव. यादों में अब तक जीवित है प्यारा-सा वह गांव।. अलस्सुबह जब मां पीसा करती जांत।. साथ-साथ दोहराती जाती परभाती की पांत।. जागिए रघुनाथ कुंअर पंछी बन बोले।. रवि की किरण उदय भयी पल्लव दृग डोले।।. फगुआ की जब तान पर थिरका करते थे पांव।. यादों में अब तक जीवित है . तारे छिटके आसमान पर धरती पर हरियाली।. यादों में अब तक जीवित है . का वह गांव. यादों मे&...सालोæ...बंध...
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Kalam Ka Sipahi / a blog by Rajesh Tripathi कलम का सिपाही/ राजेश त्रिपाठी का ब्लाग: जीवनगाथा डॉ. रुक्म त्रिपाठी-18
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मुखपृष्ठ. सामयिकी. मुद्दा. Thursday, March 26, 2015. जीवनगाथा डॉ. रुक्म त्रिपाठी-18. त्रिपाठी. जब एक डाकू लेखक रुक्म जी से लिपट कर बिलखने लगा. भाई के बच्चे घर में धमाचौकड़ी मचाते और शोर करते तो रुक्म जी की पत्नी निरुपमा उन्हें डांटते हुए बोलतीं-. हो गये) लिख रहे हैं।. इस पर रुक्म जी हंसते हुए जवाब देते –. 8211; ‘. यह उपन्यास लिख तो रुक्म देगा लेकिन इसका लेखक कोई और होगा।. अरे पंडित जी हम आपके जैसे बुद्धिमान नहीं। पहे...रुक्म जी मुसकराते हुए बोले-. नहीं समझे. मैं उपन्य़ास ल...को इलाह&#...हा&...
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नगमे मेरे: August 2013
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नगमे मेरे. गीत, गज़ल, कविताएं. मुख्य लिंक. मुखपृष्ठ. कविताएं. Thursday, August 22, 2013. जुल्म का यह दौर क्यों भला जाता नहीं. क्या कहें, कैसे कहें अब सहा जाता नहीं।. जुल्म का यह दौर क्यों भला जाता नहीं।।. अंधेरों की है हुकूमत मानो उजाले खो गये।. फरियाद किससे करें, हुक्मरां तो सो गये।।. हमने सोचा था नहीं ऐसा भी दिन आयेगा।. आदमी जब खुद आदमी से भी डर जायेगा।।. कोई मस्त है तो कोई जिंदगी से त्रस्त है।. न्याय का सूरज जैसे हो गया अस्त है।।. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). View my complete profile.
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नगमे मेरे: May 2014
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नगमे मेरे. गीत, गज़ल, कविताएं. मुख्य लिंक. मुखपृष्ठ. कविताएं. Sunday, May 4, 2014. तभी कहेंगे देश महान! दाने-दाने को मोहताज हैं, जहां बहुत इनसान।. पीड़ा का पर्याय जिंदगी, हर इक है हलकान।।. भेदभाव की दीवारों ने, बुना जहर का जाल।. भाईचारा नहीं रहा अब, द्वैष से सब बेहाल।।. नेता हों या शासक जिसके बेच रहे ईमान।. जिस देश में ऐसा हो, उसे कैसे कहें महान।।. जहां आज तलक आधी आबादी भूखी सोती है।. युवा हाथ बेकार जहां, मरते जहां किसान।. जाने माकूल जवाब देने में, क&...सीमाओं पर जहां हम...जिस देश मे...देश...