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द र अ स लSunday, December 4, 2016. सविता सिंह की कविता-सृष्टि पर एकाग्र. स्वप्न का अनुकरण. कवयित्री सविता सिंह की कविता-सृष्टि के रहस्य अब बहुत हद तक अनावृत हैं. कविता रही है गुमसुम. अपनी परिचित असहायता में. छल-छद्म से बुने जा रहे शब्दों के तंत्र में. इन नगरों के साथ निर्मित की गई एक स्त्री भी. जिसकी आत्मा बदल गई उसकी देह में. परंपरा में ]. प्रस्तुत. अगर वह ईमानदार है तो. अगर इसमें तुम्हारा सहयोग न मिला तब जीना मुश्किल है. 2404;’’. कुसुम,. याद रखना नीता. उसे आता है अपने पूर्वज&...भेद करना. बनाए रखना. एक उपयु...
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