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दिनेश की दुनिया: June 2014
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दिनेश की दुनिया. अभिव्यक्ति की अनुभूति / शब्दों की व्यंजना / अक्षरों का अंकन / वाक्यों का विन्यास / रचना की सार्थकता / होगी सफल जब कभी / हम झांकेंगे अपने भीतर. गुरुवार, 26 जून 2014. वृक्ष संहार. विकास की वेदी पर. चढ़ती है सदा. वृक्षों की बलि. प्रगति का मंत्रोच्चारण. हरियाली की आहुति. देने पर. भड़क उठती है. विनाश की ज्वाला. हर पत्ता हर टहनी. मांगते हैं. अपनी मौत का हिसाब. यही है प्रकृति का गणित. चलती जब कुल्हाड़ी आरी. वृक्ष की जड़ों पर. वृक्ष के साथ. आदमी भी. अलग होता है. पहले वृक्ष. फिर आदमी. होता...
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दिनेश की दुनिया: December 2014
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दिनेश की दुनिया. अभिव्यक्ति की अनुभूति / शब्दों की व्यंजना / अक्षरों का अंकन / वाक्यों का विन्यास / रचना की सार्थकता / होगी सफल जब कभी / हम झांकेंगे अपने भीतर. बुधवार, 31 दिसंबर 2014. नहीं पिघलती है बर्फ कच्ची छतों में. रात भर बर्फ अपनी ठंडी हथेलियों से. दरवाजे खिड़कियां खटखटाती है. भीतर घुसने का प्रयास व्यर्थ होने से. नींद के मारे पक्की छतों पर सो जाती है. बादलों की ओट में सूरज छिप जाने से. बर्फ दिन में भी सर्द खर्राटे मारती है. पहाड़ पर बर्फ सफेद कहर बरपाती है. प्रस्तुतकर्ता. देह प्रेम ...बर्फ भ...
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दिनेश की दुनिया: January 2015
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दिनेश की दुनिया. अभिव्यक्ति की अनुभूति / शब्दों की व्यंजना / अक्षरों का अंकन / वाक्यों का विन्यास / रचना की सार्थकता / होगी सफल जब कभी / हम झांकेंगे अपने भीतर. शनिवार, 10 जनवरी 2015. अभिव्यक्ति कभी मर नहीं सकती. दर्दनाक दृश्य है …. बिखरे पड़े हैं रक्तरंजित कागज. खून से लथपथ है कलम पेंसिल. अभिव्यक्ति पड़ी हुई है औंधे मुँह. आतंकी हमला हुआ है इस जगह. अभी भी जान बाकी है कटे हाथ में. कोशिश कर रहा है कुछ लिखने की. कुछ रेखाएं उभारने की जुगत में है. किंतु,. बंदूक अब हैरान है. आतंक भी चकित है. पहुँच गय&...खून...
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दिनेश की दुनिया: August 2014
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दिनेश की दुनिया. अभिव्यक्ति की अनुभूति / शब्दों की व्यंजना / अक्षरों का अंकन / वाक्यों का विन्यास / रचना की सार्थकता / होगी सफल जब कभी / हम झांकेंगे अपने भीतर. शुक्रवार, 8 अगस्त 2014. कोणार्क का अकेला घोड़ा. समय के मारक प्रहार से. हो चुका है मरणासन्न. कोण के अर्क का रथ. धूमिल हो गई है आभा. तेजस्वी सौंदर्य की. ठंडी हो गई है ऊर्जा. अनवरत गमन की. विध्वंसकों की चाबुक से. कालकवलित हो गए. छह घोड़े. साथ छोड़ गया सारथी. हो गया है असमय अस्त. कोणार्क. अलग बना ली है पहचान. शोक संतप्त है. पत्थर दिल बन कर. काल...
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दिनेश की दुनिया: हिंदी सिनेमा में नृत्य : नाच ? कवायद ? कसरत ? ( भाग- 2)
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दिनेश की दुनिया. अभिव्यक्ति की अनुभूति / शब्दों की व्यंजना / अक्षरों का अंकन / वाक्यों का विन्यास / रचना की सार्थकता / होगी सफल जब कभी / हम झांकेंगे अपने भीतर. बुधवार, 10 जुलाई 2013. हिंदी सिनेमा में नृत्य : नाच? अश्लीलता परोसते नृत्य. चिन्नी प्रकाश ने तरफदारी करते हुए कहा, सही है! दिनेश ठक्कर. प्रस्तुतकर्ता. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. कुल पृष्ठ दृश्य. मौत का जल. ताला...समय क...
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दिनेश की दुनिया: January 2014
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दिनेश की दुनिया. अभिव्यक्ति की अनुभूति / शब्दों की व्यंजना / अक्षरों का अंकन / वाक्यों का विन्यास / रचना की सार्थकता / होगी सफल जब कभी / हम झांकेंगे अपने भीतर. शनिवार, 25 जनवरी 2014. अंग प्रत्यंग पर राम नाम गुदवाने वाले रामनामियों का अनूठा समागम. अनैतिक कार्य करने वालों को दी जाती है कड़ी सजा. मंदिर में केवल राम नाम की लिखावट. दहेज़ बगैर सामूहिक विवाह की परम्परा भी जारी. आलेख और चित्र : दिनेश ठक्कर "बापा". प्रस्तुतकर्ता. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! नई पोस्ट. मौत का जल. ताल...
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दिनेश की दुनिया: September 2013
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दिनेश की दुनिया. अभिव्यक्ति की अनुभूति / शब्दों की व्यंजना / अक्षरों का अंकन / वाक्यों का विन्यास / रचना की सार्थकता / होगी सफल जब कभी / हम झांकेंगे अपने भीतर. सोमवार, 23 सितंबर 2013. जीतेंगे या हारेंगे यह राजनीति में पता नहीं रहता - चेतन भगत. दिनेश ठक्कर "बापा". प्रस्तुतकर्ता. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. दिनेश ठक्कर "बापा". प्रस्तुतकर्ता. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ईमेल करें. प्रधानम&#...Facebook ...
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दिनेश की दुनिया: April 2014
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दिनेश की दुनिया. अभिव्यक्ति की अनुभूति / शब्दों की व्यंजना / अक्षरों का अंकन / वाक्यों का विन्यास / रचना की सार्थकता / होगी सफल जब कभी / हम झांकेंगे अपने भीतर. शनिवार, 26 अप्रैल 2014. मुगालता. जिंदगी गुजर गई बापा. हमेशा मुगालते में रहा. सफ़ेद लिबास ओढ़े थे. किंतु मन काला ही रहा. ऊंचाई पर तो पहुंचा बापा. किंतु क़द बना रहा बौना. हमेशा की बड़ी बड़ी बातें. और सोच बनी रही छोटी. ताउम्र उछलता रहा बापा. और खुद को छलता रहा. पांव जमीं पर न रख सका. आसमां छूने का भरम रहा. दिनेश ठक्कर "बापा". कागद कारे. स्वार&...नही...
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दिनेश की दुनिया: October 2014
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दिनेश की दुनिया. अभिव्यक्ति की अनुभूति / शब्दों की व्यंजना / अक्षरों का अंकन / वाक्यों का विन्यास / रचना की सार्थकता / होगी सफल जब कभी / हम झांकेंगे अपने भीतर. शुक्रवार, 10 अक्तूबर 2014. जग जीत कर कहां चले गए. जग जीत कर कहां चले गए. चिट्ठी संदेश मायूस लौट आए. देश राग को क्यों रूला गए. गीत भी आंसुओं से भीग गए. जाते जाते कैसा राग छेड़ गए. सुर ताल से साथ छोड़ गए. हर साज को थे तुमने सजाए. इनसे हाथ जल्दी क्यों छुड़ा गए. जग जीत कर कहां चले गए. संगी संगीत को अब चैन न आए. इसे ईमेल करें. रावण लीला. और शान स&...
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दिनेश की दुनिया: August 2015
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दिनेश की दुनिया. अभिव्यक्ति की अनुभूति / शब्दों की व्यंजना / अक्षरों का अंकन / वाक्यों का विन्यास / रचना की सार्थकता / होगी सफल जब कभी / हम झांकेंगे अपने भीतर. शुक्रवार, 14 अगस्त 2015. पाखंडी मुखौटे पहने हैं. पाखंडी मुखौटे पहने हैं. अधर्मी कृत्य कर. धर्म ध्वज फहरा रहे हैं. चरित्र कलंकित कर. चेहरा चमका रहे हैं. चालचलन बिगाड़ कर. आस्था का चोला ओढ़े हैं. डमरू बजा कर. रास लीला रचा रहे हैं. बांसुरी की तान छेड़ कर. तांडव मचा रहे हैं. त्रिशूल थाम कर. औंधे मुंह गिरने पर. हमें मुखर होकर. रोजी रोट&#...इनकी क...