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व्योम के पार -कविता: नया वर्ष मंगलमय हो
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व्योम का सृजन संसार. साहित्यिक गतिविधियाँ. व्योम का सृजन संसार. छाया चित्र. पुस्तक समीक्षा. बाल उपन्यास. बाल कहानी. रचनाओं के विविध सन्दर्भ. व्योम के पार. 30 December, 2014. नया वर्ष मंगलमय हो. नया वर्ष मंगलमय हो. अच्छे दिन. जल्दी आ जायें. कुछ वादे. पूरे हो पायें. स्वच्छ, सुखद. हर एक दृश्य हो. फूलें-फलें. सभी के सपने. अपने, बने रहें. सत्य कथन की. सदा विजय हो. बचा रहे. बच्चों का बचपन. थोड़ा और. बढ़े संवेदन. मन में नहीं. किसी का भय हो. कविताओं में. जन-पीड़ा हो. छन्दों में न. कथ्य सहज हो.
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व्योम के पार -कविता: गीत की गति
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व्योम का सृजन संसार. साहित्यिक गतिविधियाँ. व्योम का सृजन संसार. छाया चित्र. पुस्तक समीक्षा. बाल उपन्यास. बाल कहानी. रचनाओं के विविध सन्दर्भ. व्योम के पार. 11 January, 2015. गीत की गति. डा॰ जगदीश व्योम. कितना करो विरोध. गीत की गति को. कौन रोक पायेगा. गीत मेड़ पर. उगी दूब है. जो अकाल में भी. जी लेती. गीत खेजड़ी की. खोखर है. संचित कर लेती. जब तक हवा. रहेगी ज़िन्दा. हर पत्ता-पत्ता. गायेगा. गीतों में है. गंध हवा की. श्रम की. रसभीनी सरगम है. गौ की आँख. हिरन की चितवन. गंगा का. पावन उद्गम है. गीत को.
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व्योम के पार -कविता: हिरना क्यों उदास मन तेरा
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व्योम का सृजन संसार. साहित्यिक गतिविधियाँ. व्योम का सृजन संसार. छाया चित्र. पुस्तक समीक्षा. बाल उपन्यास. बाल कहानी. रचनाओं के विविध सन्दर्भ. व्योम के पार. 29 June, 2015. हिरना क्यों उदास मन तेरा. क्यों उदास मन तेरा. अभी बची वाकी हरियाली. उजड़ा नहीं वसेरा. कुछ नन्हें विरबे मुरझाये. कुछ वनचर घबराये. सहमे-सहमे तोता मैना. कुछ भी बोल न पाये. बूढ़ा बरगद. खड़ा अकेला. अवसादों ने घेरा. जंगल में मंगल होगा. ये सपने गए दिखाये. सिंहासन मिल गया. भला फिर. वादे कौन निभाये. डा० जगदीश व्योम. कविताएँ.
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व्योम के पार -कविता: रात की मुठ्ठी
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व्योम का सृजन संसार. साहित्यिक गतिविधियाँ. व्योम का सृजन संसार. छाया चित्र. पुस्तक समीक्षा. बाल उपन्यास. बाल कहानी. रचनाओं के विविध सन्दर्भ. व्योम के पार. 13 January, 2014. रात की मुठ्ठी. डा॰ जगदीश व्योम. वक्त का आखेटक. घूम रहा है. शर संधान किए. लगाए है टकटकी. करें तनिक सा प्रमाद. और, वह—. दबोच ले हमें. तहस नहस कर दे. हमारे मिथ्याभिमान को. आएगा सतत नैराश्य ही. उसके हिस्से में. क्यों कि. हमने पहचान ली है. उसकी पगध्वनि. दूर हो गया है हमसे. हम ने पढ़ लिए हैं. समय के पंखों पर उभरे. हम सब मिल कर. सो गई ह...
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व्योम के पार -कविता: झूठों की दुनिया में
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व्योम का सृजन संसार. साहित्यिक गतिविधियाँ. व्योम का सृजन संसार. छाया चित्र. पुस्तक समीक्षा. बाल उपन्यास. बाल कहानी. रचनाओं के विविध सन्दर्भ. व्योम के पार. 22 January, 2014. झूठों की दुनिया में. डा॰ जगदीश व्योम. हम झूठ बोलने के. इतने अभ्यस्त हुए. कहते कुछ और. बखान और कुछ करते हैं. चेहरों पर चिपके हुए. मुखौटों के युग में. हम बिना मुखौटे के. रहने में डरते हैं. जो सुबह सभा में. जोश भरे नारे देते. संध्या होते-होते. सस्ते बिक जाते हैं. आईना वक्त का. जैसी जिसकी छवि है. अवसर बेईमानी का. पर, रौब जमाकर. इनकी...
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व्योम के पार -कविता: गिलहरी
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व्योम का सृजन संसार. साहित्यिक गतिविधियाँ. व्योम का सृजन संसार. छाया चित्र. पुस्तक समीक्षा. बाल उपन्यास. बाल कहानी. रचनाओं के विविध सन्दर्भ. व्योम के पार. 08 October, 2013. गिलहरी दिन भर आती-जाती. फटे-पुराने कपड़े लत्ते. धागे और ताश के पत्ते. सुतली, कागज, रुई, मोंमियाँ. अगड़म-बगड़म लाती. गिलहरी दिनभर आती-जाती. ठीक रसोईघर के पीछे. शीशे की खिड़की के नीचे. एस्किमो'-सा गोल-गोल घर. चुन-चुन खूब बनाती. गिलहरी दिनभर आती-जाती. दो बच्चे हैं छोटे-छोटे. अपना दूध पिलाती. करके उसे डराती. कविताएँ. अब तक का लí...
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व्योम के पार -कविता: सिसक रही हिरनी
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व्योम का सृजन संसार. साहित्यिक गतिविधियाँ. व्योम का सृजन संसार. छाया चित्र. पुस्तक समीक्षा. बाल उपन्यास. बाल कहानी. रचनाओं के विविध सन्दर्भ. व्योम के पार. 15 November, 2013. सिसक रही हिरनी. डा0 जगदीश व्योम. राजा मूँछ मरोड़ रहा है. सिसक रही हिरनी. बड़े-बड़े सींगों वाला मृग. राजा ने मारा. किसकी यहाँ मजाल. राजा को हत्यारा. मुर्दानी छायी जंगल में. सब चुपचाप खड़े. सोच रहे सब यही कि. आखिर आगे कौन बड़े. घूम रहा आक्रोश वृत्त में. ज्यों घूमे घिरनी. एक कहीं से. स्वर उभरा. सबने उचकाये. पंख उभर आये. मन ही मन.
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व्योम के पार -कविता: मेरा भी तो मन करता है
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व्योम का सृजन संसार. साहित्यिक गतिविधियाँ. व्योम का सृजन संसार. छाया चित्र. पुस्तक समीक्षा. बाल उपन्यास. बाल कहानी. रचनाओं के विविध सन्दर्भ. व्योम के पार. 08 October, 2013. मेरा भी तो मन करता है. मेरा भी तो मन करता है. मैं भी पढ़ने जाऊँ. अच्छे कपड़े पहन. पीठ पर बस्ता भी लटकाऊँ. क्यों अम्मा औरों के घर. झाडू-पोंछा करती है. बर्तन मलती, कपड़े धोती. पानी भी भरती है. अम्मा कहती रोज. बीनकर कूड़ा-कचरा लाओ'. लेकिन मेरा मन कहता है. अम्मा मुझे पढ़ाओ'. कल्लन कल बोला-. मत देखो ऐसे सपने. कविताएँ. हिरना क&#...है ...
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व्योम के पार -कविता: बूँदों के तीर
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व्योम का सृजन संसार. साहित्यिक गतिविधियाँ. व्योम का सृजन संसार. छाया चित्र. पुस्तक समीक्षा. बाल उपन्यास. बाल कहानी. रचनाओं के विविध सन्दर्भ. व्योम के पार. 08 October, 2013. बूँदों के तीर. बादल ने. छोड़ दिये बूँदों के तीर. ग्रीषम का बिंध गया शरीर. अलसायी दूब ने ली. धीमी अँगड़ाई. कोंपल का गात कँपा. थर थर थर्राई. पल भर में बदले. हालात सभी वन के. दुबके से दादुर भी. निकले तन तन के. दूर हुई पलभर में. जगती की पीर. नन्हा-सा बीज. छतरी लेकर आया. भीगी हवा ने. मल्हार राग गाया. पत्तों पर. भा गई कुटीर.