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अरे भई साधो......यकीन मानो कि सूरज पनाह मांगेगा... उतर गया कोई ज़र्रा अगर बगावत पर
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यकीन मानो कि सूरज पनाह मांगेगा... उतर गया कोई ज़र्रा अगर बगावत पर
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अरे भई साधो...... | ghazalganga-ghazalganga.blogspot.com Reviews
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यकीन मानो कि सूरज पनाह मांगेगा... उतर गया कोई ज़र्रा अगर बगावत पर
अरे भई साधो......: January 2011
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शनिवार, जनवरी 29, 2011. धरती के अलावा कोई होस्ट नहीं. य़े चमन यूँ ही रहेगा और हजारों जानवर. अपनी-अपनी बोलियाँ सब बोलकर उड़ जायेंगे. 1 टिप्पणी:. Links to this post. Labels: विचार मंथन-2. शुक्रवार, जनवरी 28, 2011. हनुमान चालीसा पर एक सवाल. 1 टिप्पणी:. Links to this post. Labels: विचार मंथन-1. नई पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). न्यूजपेपर इफेक्ट. विजेट आपके ब्लॉग पर. युग-ज़माना - नये दौर की एक ज़रूरी पत्रिका. कार्यक्रम. टिपण्णी. टिप्पणी. विचार मंथन. विचार मंथन-1. विचार मंथन-2. एक गैर जि...
अरे भई साधो......: June 2011
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बुधवार, जून 29, 2011. BBC Hindi - अंतरराष्ट्रीय ख़बरें - गूगल के ज़रिए सेंसरशिप? पूरी खबर पढने के लिए इस लिंक को क्लिक करें. BBC Hindi - अंतरराष्ट्रीय ख़बरें - गूगल के ज़रिए सेंसरशिप? कोई टिप्पणी नहीं:. Links to this post. मंगलवार, जून 28, 2011. ये इंटरनेट की भाषा है जनाब! स्कूल की स्पेलिंग क्या होती है? एससीएचओओएल या फिर एसकेयूएल? आगे पढ़ें. 3 टिप्पणियां:. Links to this post. Labels: टिप्पणी. सोमवार, जून 27, 2011. यहां क्लिक करें. 1 टिप्पणी:. Links to this post. Links to this post. Links to this post.
अरे भई साधो......: September 2014
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मंगलवार, सितंबर 09, 2014. स्वानुभूति बनाम सहानुभूति का साहित्य. देवेंद्र गौतम. कोई टिप्पणी नहीं:. Links to this post. Labels: टिपण्णी. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). न्यूजपेपर इफेक्ट. विजेट आपके ब्लॉग पर. युग-ज़माना - नये दौर की एक ज़रूरी पत्रिका. कार्यक्रम. टिपण्णी. टिप्पणी. विचार मंथन. विचार मंथन-1. विचार मंथन-2. विचार मंथन-3. विचार मंथन-4. विचार मंथन-5. विचार मंथन-6. विडंबना. सुनो भई साधो. सुनो भाई साधो. सुनो भाई साधो. हास्य-व्यंग्य. 1 वर्ष पहले. 7 वर्ष पहले. काव...
अरे भई साधो......: September 2011
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शनिवार, सितंबर 24, 2011. कितना कमाते हैं भारतीय मंत्री? क्या आप जानते हैं कि भारत सरकार के मंत्री कितना कमाते हैं या उनकी संपत्ति किस रफ़्तार से बढ़ती है. आप कितने भी कल्पनाशील हो जाएँ तो वहाँ तक नहीं पहुँच सकते जो आंकड़े बताते हैं. करोड़ बढ़ गई है. ये सिर्फ़ औसत है. एक मंत्री की संपत्ति तो वर्ष. के बीच. प्रतिशत बढ़ गई है. जबकि दो और मंत्रियों की संपत्ति. प्रतिशत बढ़ी है. के बीच. करोड़ रुपए बढ़ी है. आगे पढ़ें. कोई टिप्पणी नहीं:. Links to this post. सोमवार, सितंबर 05, 2011. पहाँ . कल जैसे ह&#...युग...
अरे भई साधो......: July 2011
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शनिवार, जुलाई 30, 2011. लेस्बियन संबंधों की दर्दनाक परिणति. आगे पढ़ें. 2 टिप्पणियां:. Links to this post. Labels: विडंबना. रविवार, जुलाई 24, 2011. काले कुत्ते ने जंगल में दिखाया रास्ता. 160; रहस्य-रोमांच. 160; . आगे पढ़ें. 5 टिप्पणियां:. Links to this post. Labels: आपबीती. शनिवार, जुलाई 16, 2011. यह महंगाई तो सरकार प्रायोजित है. एक सोची समझी रणनीति का नतीजा. 160; . आगे पढ़ें. 3 टिप्पणियां:. Links to this post. Labels: चिंतन. Links to this post.
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आत्महंता: October 2010
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प्रतिरोध की सत्ता. रविवार, 31 अक्तूबर 2010. बाजार से फार्मूलाबाजी नहीं बचा सकती. मार्क्स, हीगेल, लोहिया, सुकरात, गांधी, काफ्का. सबपे भारी पड़ रहा है, फलसफा बाजार का।. उर्दू शायर देवेंद्र गौतम. या कारपोरेट वामपंथी या सजावट के लिए ड्राइंगरूम में विचार रखनेवाली गाड आफ स्माल थिंग्स? प्रस्तुतकर्ता. 1 टिप्पणी:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. आखिर नामवर सठियाए तो क्या हुआ. ऐसा लगता है जैसे वर्ष 1957 मे...1 टिप्पणी:. उन्होंन&#...और आदमी क...
आत्महंता: September 2010
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प्रतिरोध की सत्ता. शुक्रवार, 17 सितंबर 2010. राजभाषा हिंदी की साठवीं बरसी पर. खतरा हिंदी वालों से है. प्रस्तुतकर्ता. 2 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. बुधवार, 1 सितंबर 2010. माओ के बाद. जाति और वर्ग के द्वंद्व में उलझा वाम इसे कब सुलझा पाएगा? कहीं यह योजना से ही बाहर तो नहीं या योजनाबद्धता की कमी तो नहीं? अनुशासन के तीन मुख्य नियम –. 1) नम्रता से बोलो।. 2) जो कुछ खरीदो, उसकी ठीक-ठीक...4) हर ऐसी चीज की क...7) महिल&#...
ग़ज़लगंगा.dg: 03/17/10
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किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़. किताबों की दुनिया. अरे भाई साधो. अदबी-दुनिया. बुधवार, 17 मार्च 2010. जेहनो-दिल में रेंगती हैं. जेहनो-दिल में रेंगती हैं अनकही बातें बहुत. दिन तो कट जातें हैं लेकिन सख्त हैं रातें बहुत. तुम अभी से बदगुमां हो दोस्त! ये तो इब्तिदा है. जिंदगी की राह में होंगी अभी घातें बहुत. दिल की पथरीली ज़मीं तो फिर भी खाली ही रही. कोई बतलाये कहां. संजो के रखूं , क्या करूं. देवेंद्र गौतम. प्रस्तुतकर्ता devendra gautam. लेबल: ग़ज़ल. कागजì...
ग़ज़लगंगा.dg: 03/01/10
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किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़. किताबों की दुनिया. अरे भाई साधो. अदबी-दुनिया. सोमवार, 1 मार्च 2010. फ़ना होते हुए. फ़ना होते हुए दीवार-ओ-दर की. बड़ी मुद्दत पे याद आयी है घर की. बना लेना घरौंदे इल्म-ओ-फन के. अभी कुछ खाक छानो दर-ब-दर की. खुदा रूपोश होता जा रहा है. के आंखें खुल रहीं हैं अब बशर की. रवां होता गया अपने जुनूं में. हवा जिसको नज़र आयी जिधर की. हम अपनी मंजिलों से आशना हैं. ज़रुरत क्या है हमको राहबर की. देवेंद्र गौतम. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. दम ले...
ग़ज़लगंगा.dg: 02/16/10
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किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़. किताबों की दुनिया. अरे भाई साधो. अदबी-दुनिया. मंगलवार, 16 फ़रवरी 2010. कुछ रोज आसपास रहे. कुछ रोज आसपास रहे, फिर कहां गए. खुशरंग जिंदगी के मनाज़िर कहां गए. बातिन में भी नहीं हैं बज़ाहिर कहां गए. जिनकी मुझे तलाश है आखिर कहां गए. महरूमियों के दर पे खड़े सोचते हैं हम. वो हौसले हयात के आखिर कहां गए. हर गाम पूछने लगीं सदरंग मंजिलें. नग्मे सुना रहे थे जो ताइर कहां गए. देवेंद्र गौतम. 0 टिप्पणियाँ. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. कागज...
ग़ज़लगंगा.dg: 02/28/10
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किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़. किताबों की दुनिया. अरे भाई साधो. अदबी-दुनिया. रविवार, 28 फ़रवरी 2010. ज़िल्लतें कितनी सहीं. ज़िल्लतें कितनी सहीं तब जाके नाकारा हुआ. तुम न समझोगे कि मैं किस तर्ह आवारा हुआ. शाम के बुझते हुए माहौल के पेशे-नज़र. मैं भी अब वापस चला घर को थका हारा हुआ. इन दिनों हर चीज़ की तासीर उल्टी हो गयी. बर्फ के पहलू में मैं बैठा तो अंगारा हुआ. और मैं जाता कहां तकदीर का मारा हुआ. देवेंद्र गौतम. 0 टिप्पणियाँ. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. सदस्यत...
ग़ज़लगंगा.dg: 03/05/10
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किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़. किताबों की दुनिया. अरे भाई साधो. अदबी-दुनिया. शुक्रवार, 5 मार्च 2010. तुम भी बदले, हम भी बदले. तुम भी बदले, हम भी बदले, अब वो दिन वो रात कहां . मिलने को मिलते हैं लेकिन अब पहली सी बात कहां. उसकी सीप सी आंखें छलकीं, दो मोती फिर मुझतक आये. मेरे दिल का टूटा प्याला, रक्खूं ये सौगात कहां. हम सहरा वाले हैं हमसे मौसम के अहवाल न पूछ. देवेंद्र गौतम. प्रस्तुतकर्ता devendra gautam. 0 टिप्पणियाँ. इसे ईमेल करें. लेबल: ग़ज़ल. कागजी...
ग़ज़लगंगा.dg: 02/11/10
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किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़. किताबों की दुनिया. अरे भाई साधो. अदबी-दुनिया. गुरुवार, 11 फ़रवरी 2010. हादिसा ऐसा. हादिसा ऐसा कि हर मौसम यहां खलने लगे. बारिशों की बात निकले और दिल जलने लगे. फितरतन मुश्किल था लेकिन जो हमें बख्शा गया. रफ्ता-रफ्ता हम उसी माहौल में ढलने लगे. ऐसा हो कलम की नोक बन जाये उफक. वक़्त का सूरज मेरी तहरीर में ढलने लगे. अक्ल की उंगली पकड़ ले, दिल के आंगन से निकल. देवेंद्र गौतम. प्रस्तुतकर्ता devendra gautam. लेबल: ग़ज़ल. नई पोस्ट. काग...
ग़ज़लगंगा.dg: 02/26/10
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किससे-किससे जाकर कहते ख़ामोशी का राज़. अपने अंदर ढूंढ रहे हैं हम अपनी आवाज़. किताबों की दुनिया. अरे भाई साधो. अदबी-दुनिया. शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2010. कोई क्या है, पता चलता है. कोई क्या है, पता चलता है कुछ भी? किसी की शक्ल पे लिक्खा है कुछ भी? गवाही कौन देगा अब बताओ? किसी ने भी नहीं देखा है कुछ भी. अगर ताक़त है तो कुछ भी उठा लो. कि मांगे से नहीं मिलता है कुछ भी. खयालों के उफक पे खामुशी है. न उगता है न अब ढलता है कुछ भी. देवेंद्र गौतम. प्रस्तुतकर्ता devendra gautam. 0 टिप्पणियाँ. नई पोस्ट. विजेट...यहा...
बहुरूपिया: December 2011
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बहुरूपिया. मौसम के मिजाजों सा परिवेश बदल लेते हैं. मन रंग बदलता है,हम वेश बदल लेते हैं. होम पेज. झील में कंकड़. उत्सव धर्म. गुरुवार, 8 दिसंबर 2011. जो गाँव में रची गईं ! ताड़ी कहे ताड़ से ,कि,मांग करो सरकार से. हमरो रेट बढे के चाहीं,फैसन के रफ़्तार से. नाम बा हमरो नीसा में,हक बा हमरो हिसा में. सबसे ऊपर हम रहिला खिलल रहिला झिसा में. हम रहीं लबना -लबनी में, दारू बैठे सीसा में. लुक-छीप के मत पीअ मत पीअ लोटा में. प्रस्तुतकर्ता. 2 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. नई पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. 4 वर्ष पहले. स्व&#...
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غزلفروش
وبسایت رسمی حسین بخشی ஜღ غزل فروش ღஜ. وب رسمی من (کلیک کن). Start logo cod off http:/ ghazalforoosh.blogfa.com/ - p align=center p align=center a href=http:/ ghazalforoosh.blogfa.com/ target= blank img border=0 src=http:/ s3.picofile.com/file/7614016127/z85z44bvqhycged3v34u.jpg width=120 height=240 alt=غزل فروش - وبسایت رسمی حسین بخشی /a /p! Finish logo cod off http:/ ghazalforoosh.blogfa.com/ -. تاریخ ارسال: چهارشنبه 20 دیماه سال 1391 ساعت 11:27 ب.ظ. وبسایت رسمی حسین بخشی ஜღ غزل فروش ღஜ.
دربه در غزل فروش
دربه در غزل فروش. مطلبی جهت نمایش یافت نشد از آرشیو مطالب استفاده کنید. بازدید این ماه :. بازدید ماه قبل :. تعداد کل پست ها :. آخرین بروز رسانی :.
Ghazal | Alhad Kashikar
On Nov 10, 2014. On Nov 10, 2014. Tum Karuna Ke Sagar. Jay Maadhav Madan Murari. To play the media you will need to either update your browser to a recent version or update your a href=http:/ get.adobe.com/flashplayer/ target= blank Flash plugin /a . Tum Karuna Ke Sagar. Jay Maadhav Madan Murari. Alhad and Swati Kashikar are both ‘Ghazal’ singers who are deeply passionate about ‘Ghazals’. They express the myriad forms of human emotions through the medium of their voices. Mar 17, 2015. Nov 20, 2014.
For Enjoying Meaningful and Inspiring URDU GHAZALS of well-known living poets of India.
For Enjoying Meaningful and Inspiring URDU GHAZALS of well-known living poets of India. Dilo'n me walwala bharti hai ye jahd-e-musalsal ka. Jo sach puchho toh ek Tahreek hai yaaro GHAZALFORU. Some ghazals in urdu. Hamd Bari Taala and Naat. Tuesday, December 28, 2010. Elcome to all in our professional website we presenting this for public interest,. For this way,. Once again I request to all of you to join us,. Pay 10000/Rs and become our website managing camitee member. Bank Account No: 03052200137040.
....عاشقانه های کاغذی من
کد صفحه ورودی عاشقانه. عاشقانه های کاغذی من. گاهی تنهایی آنقدر قیمت دارد که درب را باز نمی کنم . حتی برای تو که سالها منتظر در زدنت بودم. خدا کنه تا بیشتر از ۹ ساله دیگه زنده بمونیم و بریم تو سال ۱۴۰۰. بعد هی بگیم : شماها یادتون نمیاد ما صده سیصدیا. خیلی فاز میده حس آثار باستانی بودن به آدم دست میده. شنبه سیزدهم دی 1393 ساعت 12:59 توسط غزل:. بی قراری های من برات مهم نیس. بگذار اعتراف کنم که بدجور دلم برایت تنگ شده. فکر نکن بی وفا هستم ، دلم از سنگ نشده. اعتراف میکنم اینک در حسرت روزهای شیرین با تو بودنم.
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अरे भई साधो......
मंगलवार, सितंबर 09, 2014. स्वानुभूति बनाम सहानुभूति का साहित्य. देवेंद्र गौतम. कोई टिप्पणी नहीं:. Links to this post. Labels: टिपण्णी. गुरुवार, मार्च 21, 2013. पशु प्रताड़ना की चिंता तो कीटों की अनदेखी क्यों. देवेंद्र गौतम. 3 टिप्पणियां:. Links to this post. Labels: हास्य-व्यंग्य. शनिवार, जून 23, 2012. वेब मीडिया को स्वावलंबी बनाने की जरूरत. देवेंद्र गौतम. 9 टिप्पणियां:. Links to this post. रविवार, मई 27, 2012. देवेंद्र गौतम. कोई टिप्पणी नहीं:. Links to this post. Labels: कार्यक्रम. Links to this post.
غزل گریه
شب هق هق، شب پرپر زدن چلچله هاست . از غزل گریه پرم خانه هم غصه کجاست؟ آری پروردگارم . دیگر خسته ام . خسته ام . از این زندگی . از این دنیای به ظاهر زیبا . از این مردم به ظاهر صادق و با وفا . خسته ام از این همه دروغ و نیرنگ . خسته ام . اری پروردگارم ، از این دنیا خسته ام ، از ادم هایش ، از دروغ هایش ، از نیرنگ هایش خسته ام . پس کو صداقت و محبت . چرا اندکی محبت در میان دل مردم نیست؟ چرا قطره ای از عشق در چشمان بنده هایت نیست؟ دیگر از خسته شدم هم خسته ام . نوشته شده در شنبه دوم بهمن ۱۳۸۹ساعت22:45توسط ghazal.
مینویسم از تو...
تمام نا تمام من با تو تمام میشود. شاید اغازین لحظه ی عشق نگاه است.نگاهی که سراپای حجم قلب یخ زده ات را به اتش میکشد. نگاهی که خاطره ای نگذشته را برایت به تصویر میکشد و تو انچنان محو معشوق خود میشوی که گویی باید سالها پیش می امد و نیامده بود. از دیدنش ارام گرفتی و عشق در تو متبلور شد. عشق اما فقط این نیست.بگذار تا بگویم چه میکشد این دل عاشقم. نه نیستی که بپرسی.نیستی که ببینی نخستین برگزیده ی من. به راستی نمیدانم چرا اینچنین دلتنگ لحظه هایمان شدم! همان هایی که دست سردم را در دستان گرمت میفشردی. خسته از باز...
غــــزلگــــر یه هــــــــا
ماهی زنجیری آب است. و من زنجیری رنج . از فرودینه تا جور. کوچک ، اما بزرگ : آزاده. همايون شجريان آلبوم به یاد یار. خون هر آن غزل که نگفتم به پای توست . . . هفدهم دی 1391 غزل.
مطالب کودکانه
شنبه شانزدهم آبان ۱۳۹۴ ] [ 20:5 ] [ غزل قاسمی ]. برچسبها: عکس مهسا بهمنی. دوشنبه دوم فروردین ۱۳۹۵ ] [ 10:52 ] [ غزل قاسمی ]. مورچه ی پا شکسته. مورچه ی پا شکسته. اتل متل یه مورچه / قدم می زد تو کوچه. اتل متل یه مورچه / قدم می زد تو کوچه. اومد یه کفش ولگرد / پای اونو لگد کرد. مورچه پا شکسته / راه نمی ره نشسته. با برگی پاشو بسته / نمی تونه کار کنه. دونه هارو بار کنه / تو لونه انبار کنه. مورچه جونم تو ماهی / عیب نداره سیاهی / خوب بشه پات الهی. برچسبها: مورچه ی پا شکسته. قصه جوجه اردک زشت. قصه جوجه اردک زشت.
غزل
سهشنبه 20 شهریورماه سال 1386. به کدامین گناه . دوشنبه 5 شهریورماه سال 1386. حرفم فقط همینه :. مرحبا ای پیک مشتاقان بده پیغام دوست. تا کنم جان از سر رقبت فدای نام دوست. میل من سوی وصال و قصد او سوی فراغ. ترک کام خود گرفتم تا برآید کام دوست. دوشنبه 22 مردادماه سال 1386. نخواه تا با تو بمونم. گاهی اوقات فکر می کنی همه چیز درسته. و دیگه هیچ مشکلی پیش نمی آد . ولی یک دفعه همه چیز خراب می شه. ازم نخواه با تو بمونم. تو هیچی از من نمی دونی. اگه بگم راز دلم رو. تو هم کنارم نمی مونی . حرفم فقط همینه :.
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