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हृदयगाथा : मन की बातें ...: July 2012
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हृदयगाथा : मन की बातें . जब लिखने बैठता हूँ, तस्वीर तेरी आँखों में छा जाती है! किताबों में दफ़न फूलों से अब तलक तेरी खुशबु आती है! नई कवितायेँ . Friday 27 July 2012. प्यार कैसे करूँ". लोग कहते हैं मैं बेबसी पे नही लिखता,. किसी की तनहाइयों में नहीं दिखता! तुझको कैसे बता दूँ की तुझसे प्यार है,. इसी बात पे तो तुझ संग तकरार है! मैंने तन्हाइयों में दर्द को समेटा है,. मीलों दूर होते भी करीब से तुझको देखा है! मैं बेबसी का इजहार कैसे करूँ,. Friday, July 27, 2012. प्रतिक्रिया :. Links to this post. माँ...
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हृदयगाथा : मन की बातें ...: August 2012
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हृदयगाथा : मन की बातें . जब लिखने बैठता हूँ, तस्वीर तेरी आँखों में छा जाती है! किताबों में दफ़न फूलों से अब तलक तेरी खुशबु आती है! नई कवितायेँ . Thursday 16 August 2012. ये खुदा . ये खुदा तू बता,. मेरी परेशानियों का सबब क्या है? मुझे तेरी रहमत,. हासिल ना हुई वजह क्या है? मेरी इबादत हुआ बेअसर,. बता तेरी रज़ा क्या है? गर मैं हूँ तेरा गुनाहगार,. तू ही बता मेरी सजा क्या है? मुकेश गिरि गोस्वामी : हृदयगाथा मन की बातें. Posted by मुकेश गिरि गोस्वामी. Thursday, August 16, 2012. Links to this post. जियì...
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हृदयगाथा : मन की बातें ...: January 2012
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हृदयगाथा : मन की बातें . जब लिखने बैठता हूँ, तस्वीर तेरी आँखों में छा जाती है! किताबों में दफ़न फूलों से अब तलक तेरी खुशबु आती है! नई कवितायेँ . Tuesday 24 January 2012. श्रृंगार से सजी मेरी कविता होती. मैं होता जल निर्मल,. तुम निर्झर सरिता होती. और श्रृंगार से सजी मेरी कविता होती! मैं तन्हा होता अकेला सा, तुम भी तन्हा होती. और श्रृंगार से सजी मेरी कविता होती! और श्रृंगार से सजी मेरी कविता होती! और श्रृंगार से सजी मेरी कविता होती! Tuesday, January 24, 2012. प्रतिक्रिया :. Links to this post. वक्त ह...
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हृदयगाथा : मन की बातें ...: February 2012
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हृदयगाथा : मन की बातें . जब लिखने बैठता हूँ, तस्वीर तेरी आँखों में छा जाती है! किताबों में दफ़न फूलों से अब तलक तेरी खुशबु आती है! नई कवितायेँ . Wednesday 15 February 2012. अब तलक तेरी खुशबु आती है. जब लिखने बैठता हूँ तस्वीर तेरी आँखों में छा जाती है. मेरे शब्दों में तेरे शब्दों की झलक - छलक जाती है. मेरे लिखे पंक्तियों को छुप-छुपकर पढ़ा करती थी. जाने क्यूँ सामने आने से कतराती और डरा करती थी. मुकेश गिरी गोस्वामी : हृदयगाथा. रचनाओं के अधिकार सुरक्षित है. Wednesday, February 15, 2012. Links to this post.
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हृदयगाथा : मन की बातें ...: July 2011
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हृदयगाथा : मन की बातें . जब लिखने बैठता हूँ, तस्वीर तेरी आँखों में छा जाती है! किताबों में दफ़न फूलों से अब तलक तेरी खुशबु आती है! नई कवितायेँ . Sunday 24 July 2011. मुझे जीना सिखाती हो तुम . मन क्यूँ उदास हो जाता है,. प्रेम के फेर में उलझ जाता है. मेरी असफलता पर तुम क्यूँ. उदास हो घबरा जाती हो. फिर खुश होकर मेरी सफलता पर. शांत हो जाती हो. जुदाई की कल्पना से ही तुम. मुझसे लिपट जाती हो. बहती है नीर अंखियन से पर. देख मुझे मुस्काती हो. क्यूँ नही बतलाती हो. ना समझी पर मेरे तुम. Sunday, July 24, 2011. जब ल...
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हृदयगाथा : मन की बातें ...: December 2011
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हृदयगाथा : मन की बातें . जब लिखने बैठता हूँ, तस्वीर तेरी आँखों में छा जाती है! किताबों में दफ़न फूलों से अब तलक तेरी खुशबु आती है! नई कवितायेँ . Thursday 8 December 2011. आत्म संतुष्टि . जाने क्यूँ रात-दिन,. अनजाने सपने सजाती हूँ! आंख खुलते ही,. खुद से तुझे दूर पाती हूँ! रोम-रोम में बसे हो,. जेहन में तुमको पाती हूँ! नज़रों का धोका है? पर मन का विश्वास कर जाती हूँ! उफ़ ये रिवाजों की बंदिशें क्यूँ,. Posted by मुकेश गिरि गोस्वामी. Thursday, December 08, 2011. प्रतिक्रिया :. Links to this post. भाल रच...
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हृदयगाथा : मन की बातें ...: November 2011
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हृदयगाथा : मन की बातें . जब लिखने बैठता हूँ, तस्वीर तेरी आँखों में छा जाती है! किताबों में दफ़न फूलों से अब तलक तेरी खुशबु आती है! नई कवितायेँ . Tuesday 29 November 2011. पैर बंधे जंजीरों में . परदेशी,. यादों. पैसों. परदेशी,. आँखों. खुशियाँ. जंजीरों. परदेशियों. खुशियाँ. गोस्वामी. हृदयगाथा. बातें. Posted by मुकेश गिरि गोस्वामी. Tuesday, November 29, 2011. प्रतिक्रिया :. Links to this post. Labels: हृदयगाथा : मन की बातें. Saturday 26 November 2011. ख्याल" जो आये. ह्रदय में. मन" की हलचल. मन में. हा...
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हृदयगाथा : मन की बातें ...: March 2011
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हृदयगाथा : मन की बातें . जब लिखने बैठता हूँ, तस्वीर तेरी आँखों में छा जाती है! किताबों में दफ़न फूलों से अब तलक तेरी खुशबु आती है! नई कवितायेँ . Saturday 26 March 2011. स्थिति. शुरुवात. चाहूँगा. क्यूँ. दुनिया. चाहूँगा. रचयिताओं. जिन्होंने. अविष्कार. हजारों. लाखों. किलोमीटर. लोगों. पायें. Posted by मुकेश गिरि गोस्वामी. Saturday, March 26, 2011. प्रतिक्रिया :. Links to this post. Wednesday 23 March 2011. प्रतीक्षा कि अगन. क्यूँ. हूँ ,. प्रतीक्षा. हूँ ,. अंगारे. हूँ ,. हूँ ,. घड़ियाँ. हूँ ,. हूँ ,. मोह...
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हृदयगाथा : मन की बातें ...: October 2012
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हृदयगाथा : मन की बातें . जब लिखने बैठता हूँ, तस्वीर तेरी आँखों में छा जाती है! किताबों में दफ़न फूलों से अब तलक तेरी खुशबु आती है! नई कवितायेँ . Friday 12 October 2012. कैसे यकीं दिलाऊं. तुम अलबेली छैल छबीली, मैं कांटा जीवन मेरी कंटेली,. फिर कैसे यकीं दिलाऊं अपनी मुहब्बत का. तुम सुलझी राजकुमारी मुझमें अब तक उलझी गँवारी,. फिर कैसे यकीं दिलाऊं अपनी मुहब्बत का. तुम हो भोली भली सी मैं बिगड़ा नवाब,. फिर कैसे यकीं दिलाऊं अपनी मुहब्बत का! Friday, October 12, 2012. प्रतिक्रिया :. Links to this post. मा...
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हृदयगाथा : मन की बातें ...: February 2011
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हृदयगाथा : मन की बातें . जब लिखने बैठता हूँ, तस्वीर तेरी आँखों में छा जाती है! किताबों में दफ़न फूलों से अब तलक तेरी खुशबु आती है! नई कवितायेँ . Wednesday 23 February 2011. आत्म चिंतन . शुरुवात. चिंतित. चिंता. चिंता. भ्रष्टाचार. चिंता. शिष्टाचार. चिंता. चिंता. चिंता. चिंता. चिंता. धर्मों. चिंता. बेसहारों. चिंता. लोगों. संस्कारों. कुकर्मो. कुठाराघात. चिंता. सीमापार. आतंकियों. द्रोहियों. चिंता. अब कहीं. हो सही. शुरुवात. Posted by मुकेश गिरि गोस्वामी. Wednesday, February 23, 2011. Links to this post. रí...