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Abhivyakti-अभिव्यक्ति....: (२७) ....ठहेरा
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Abhivyakti-अभिव्यक्ति. डॉ. जयराज देसाई ("राझ") रचित हिन्दी/उर्दु गझल, नज़म, काव्य और लघुकथा संग्रह. सुस्वागतम. Thursday, September 22, 2011. २७) ठहेरा. फिर वही लौटके. ना ठहेरा. सनमकी गलीमें जाना ठहेरा।. ईश्कमें हमें ये सौगात मिली. मौत सिर्फ ईक बहाना ठहेरा।. काफ़िले पहोंचे मंझिलों तक. साथ हमें भी निभाना ठहेरा।. हम भी थे फ़सानेमें सामिल. हमें भी दिलको लगाना ठहेरा।. जहेनमें अब मुरव्वत न बाकी. खुदको यू हीं बहेलाना ठहेरा।. सामना होगा दीनका उजालेमें. डॉ. जयराज देसाई. Subscribe to: Post Comments (Atom).
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મારો પરિચય | અનેરી પટેલ - જૂની દુનિયાની નવા ચેહરે સફળ
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મ ર પર ચય. અન ર પટ લ - જ ન દ ન ય ન નવ ચ હર સફળ. સ બધ શબ દ ન મ હત જ હ ત નથ . મ ર પર ચય. ન મ ત ફક ત ઓળખન મ ધ યમ છ , પણ “અન ર ” ત અન ર દ ન છ મ -બ પન . મ ત -પ ત ન સ થ ન ન બ ળ – એટલ ધમ લ રમકડ . અન એમ પણ દ કર ત પ ત ન જ વધ વ હ લ હ ય પણ મ ર ક સમ થ ડ જ દ જ છ , હ ત બ વન વ હ લ છ . સ વચ ત ત ગણ ર ખ છ , પર ત જ ડણ ભ લ ન થઈ જ હશ . ત ત બદલ મ ફ કર આપવ વ ન ત . 8212; લ . “અન ર ”. ડ જયર જ દ સ ઈ. ગ જર ત લ ક સ ક ન ડ ર ક ટર અન ગ જર ત સરસ સ પ લચ કર મ ટ :- http:/ gujaratilexicon.com/downloads/. વ નય ખત ર. Enter your comment here.
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Abhivyakti-अभिव्यक्ति....: (18) क्या हो ?....
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Abhivyakti-अभिव्यक्ति. डॉ. जयराज देसाई ("राझ") रचित हिन्दी/उर्दु गझल, नज़म, काव्य और लघुकथा संग्रह. सुस्वागतम. Friday, May 6, 2011. 18) क्या हो? तेरी आंखोसे काजल चूरा लुं तो क्या हो? फिर उसमें आलम बसा लुं तो क्या हो? तेरे होठोंसे शबनम चूरा लुं तो क्या हो? फिर उसपे कोई गझल बना लुं तो क्या हो? तेरे गेशुसे बादल चूरा लुं तो क्या हो? फिर उसपे आंचल सजा लुं तो क्या हो? तेरी सांसोसे सागर चूरा लुं तो क्या हो? फिर खुदको पागल बना लुं तो क्या हो? डॉ. जयराज देसाई. Subscribe to: Post Comments (Atom).
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Abhivyakti-अभिव्यक्ति....: April 2011
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Abhivyakti-अभिव्यक्ति. डॉ. जयराज देसाई ("राझ") रचित हिन्दी/उर्दु गझल, नज़म, काव्य और लघुकथा संग्रह. सुस्वागतम. Saturday, April 9, 2011. 7) क्या होता. जींदगी आप सी हसीन होती तो क्या होता? बेखुदी मेरी भी कमसीन होती तो क्या होता? जन्नत बक्ष दी खुदाने आपको कयामतपे! तेहरीरे मेरी भी संगीन होती तो क्या होता? गीले शीकवे बाबस्ता मेरे सर आंखो पर,. दास्ताने महोब्बत भी नमकीन होती तो क्या होता? जाने कितने मरासिम छूटे जिंदगीके सफरमें,. डॉ. जयराज देसाई. Links to this post. 6) नजूमी. रास्ते पर. बैठे हुए. हसीन ह...
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Abhivyakti-अभिव्यक्ति....: (२८) .... निकला
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Abhivyakti-अभिव्यक्ति. डॉ. जयराज देसाई ("राझ") रचित हिन्दी/उर्दु गझल, नज़म, काव्य और लघुकथा संग्रह. सुस्वागतम. Wednesday, September 16, 2015. २८) निकला. ढूंढा वो जहेनमें. बावस्ता निकला. मुझसे हरसू तेरे सितमका वास्ता निकला।. क्यूँकर करते महोब्बतका ईनकार तुमसे. हरएक आहका तुम्हीसे जो रिश्ता निकला।. हाथमें लिये खड़ा था हरकोई पत्थर यहाँ. एक नाम तो बता जो फरिश्ता निकला! सबब जन्नतका कोई हमसे भी तो पूछे. या ईलाही मेरे गमकी कोई दवा न कर. डॉ. जयराज देसाई. Subscribe to: Post Comments (Atom). खोजिये.
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Abhivyakti-अभिव्यक्ति....: September 2015
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Abhivyakti-अभिव्यक्ति. डॉ. जयराज देसाई ("राझ") रचित हिन्दी/उर्दु गझल, नज़म, काव्य और लघुकथा संग्रह. सुस्वागतम. Wednesday, September 16, 2015. २८) निकला. ढूंढा वो जहेनमें. बावस्ता निकला. मुझसे हरसू तेरे सितमका वास्ता निकला।. क्यूँकर करते महोब्बतका ईनकार तुमसे. हरएक आहका तुम्हीसे जो रिश्ता निकला।. हाथमें लिये खड़ा था हरकोई पत्थर यहाँ. एक नाम तो बता जो फरिश्ता निकला! सबब जन्नतका कोई हमसे भी तो पूछे. या ईलाही मेरे गमकी कोई दवा न कर. डॉ. जयराज देसाई. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom).
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Abhivyakti-अभिव्यक्ति....: (20) जिंदगी....
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Abhivyakti-अभिव्यक्ति. डॉ. जयराज देसाई ("राझ") रचित हिन्दी/उर्दु गझल, नज़म, काव्य और लघुकथा संग्रह. सुस्वागतम. Friday, May 6, 2011. 20) जिंदगी. जिंदगी चंद लब्ज़ोमें बयां होती है,. कभी तन्हा तो कभी सरेआम होती है ।. तुम्हारे मिलनेसे कम होती है रंजिशे,. तुम जाओ तो गमोंकी बरसात होती है ।. बहोतसी तमन्नायें, आरझुयें समेटे है,. पता नहीं कब तुम्हारी ईनायत होती है? नज़रोंसे दूर हो तुम पर दिलसे तो नहीं,. तुम खुश हो तो हसती है "राझ"की दुनिया,. डॉ. जयराज देसाई. Subscribe to: Post Comments (Atom).
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Abhivyakti-अभिव्यक्ति....: (21) कोई....
http://jayrajdesai.blogspot.com/2011/05/blog-post_4976.html
Abhivyakti-अभिव्यक्ति. डॉ. जयराज देसाई ("राझ") रचित हिन्दी/उर्दु गझल, नज़म, काव्य और लघुकथा संग्रह. सुस्वागतम. Friday, May 6, 2011. मुझसे आईनेकी तरहा मिलता है कोई,. तूटके बीजलीकी तरहा बिखरता है कोई ।. शाम होते ही तेरी याद जवां होती है,. दिलके वीरानेमें मिलनेको तरसता है कोई ।. जानते है चांद हाथोमें नहीं आता,. फिर भी उसे पानेको तरसता है कोई ।. अब तो ये आलम है ओर कोई जचता नहीं,. राझ" तुम्हे पानेको तरसता है कोई ।. डॉ. जयराज देसाई. Subscribe to: Post Comments (Atom). खोजिये. અભિવ્યક્તિ. 24) ख्वाब.
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Abhivyakti-अभिव्यक्ति....: (16) दागे जिगर....
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Abhivyakti-अभिव्यक्ति. डॉ. जयराज देसाई ("राझ") रचित हिन्दी/उर्दु गझल, नज़म, काव्य और लघुकथा संग्रह. सुस्वागतम. Friday, May 6, 2011. 16) दागे जिगर. दिलसे तेरा खयाल भूलाया न गया,. ये दागे जिगर कीसीको दिखाया न गया ।. तमाम उम्र तेरा ही खयाल साथ रहा,. साथ फिर किसीका निभाया न गया ।. मौत पे मौत हुई आरझुओंकी यहां,. चैन कब्रमें ईसलिये पाया न गया ।. जिंदगीभर खेलते रहे सब मेरे दिलसे,. ईसलिये जिंदगीभर ऊसे बहेलाया न गया ।. तेरी यादोंका कफन ओढकर सोया था "राझ",. डॉ. जयराज देसाई. Subscribe to: Post Comments (Atom).