jhajisunin.blogspot.com
टिप्पी का टिप्पा टैण टैणेन ..: May 2012
http://jhajisunin.blogspot.com/2012_05_01_archive.html
टिप्पी का टिप्पा टैण टैणेन . पोस्टों पर आप सब मजे मजे में टीप कर निकल जाते हैं , उसमें थोडा सा छौंक अरे तडका जी , लगा कर उसका टैण टैणेन हम बना देते हैं बस इत्ता ही करता है. इस गैज़ेट में एक त्रुटि थी. रविवार, 27 मई 2012. तुम मुझे पोस्ट दो मैं तुम्हें टिप्पणी दूंगा. और उसमें लिखा कि ,. इस पर टिप्पणियां कमाल की आईं देखिए ,. डॉ टी एस दराल. लेकिन अनुभव के साथ कुछ बातें सीखना ज़रूरी है . जैसे :. अनूप शुक्ल. ब्लागिंग एक बवाल है, बड़ा झमेला राग,. हड़बड़-हड़बड़ पोस्ट हैं, गड़बड़-सड़बड़ राय,. बाकी रचना ज...एक तरफ आप कहत&#...
jhajisunin.blogspot.com
टिप्पी का टिप्पा टैण टैणेन ..: February 2014
http://jhajisunin.blogspot.com/2014_02_01_archive.html
टिप्पी का टिप्पा टैण टैणेन . पोस्टों पर आप सब मजे मजे में टीप कर निकल जाते हैं , उसमें थोडा सा छौंक अरे तडका जी , लगा कर उसका टैण टैणेन हम बना देते हैं बस इत्ता ही करता है. इस गैज़ेट में एक त्रुटि थी. रविवार, 23 फ़रवरी 2014. वाह टिप्पणियां , आह टिप्पणियां ………. रेल बाबू की इस डागदरी वाली पोस्ट पे. आत्मा जी बेचैन होकर बोले. देवेन्द्र पाण्डेय. अंग्रेजी डाक्टर चार टेबलेट देता और बोलता.सब खाओ! अब आप ही बताइये किसके प्रति छवि अच्छी बनेगी? प्रवीण पाण्डेय. शिवम् मिश्रा. हाहाहा! शेफाली जी,. जरूर करे&#...क्य...
jhajisunin.blogspot.com
टिप्पी का टिप्पा टैण टैणेन ..: टिप्पणियां ...पोस्ट को ज़िंदा रखती हैं
http://jhajisunin.blogspot.com/2012/06/blog-post.html
टिप्पी का टिप्पा टैण टैणेन . पोस्टों पर आप सब मजे मजे में टीप कर निकल जाते हैं , उसमें थोडा सा छौंक अरे तडका जी , लगा कर उसका टैण टैणेन हम बना देते हैं बस इत्ता ही करता है. इस गैज़ेट में एक त्रुटि थी. मंगलवार, 26 जून 2012. टिप्पणियां .पोस्ट को ज़िंदा रखती हैं. आज ललित शर्मा जी अपनी पोस्ट. ने कहा…. अब गांवों में भी सरकारी स्कूलें खाली पड़ी रहती है. दीपक बाबा. ने कहा…. विचारणीय लेख. ने कहा…. सतीश पंचम. हिंदीब्लॉगजगत ही वह संकलक है जिसे मैæ...Secrecy break हुई आज.at least for me :). सतीश जी,. आपने इ...
ekchitthi.blogspot.com
एक चिट्ठी: November 2014
http://ekchitthi.blogspot.com/2014_11_01_archive.html
एक चिट्ठी. मेरे बारे में. अजय कुमार झा. एक आम आदमी .जिसकी कोशिश है कि .इंसान बना जाए. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. मंगलवार, 25 नवंबर 2014. पार्कों में कचरा पेटी लगवाइये. 2344;िगम पार्षद जी के नाम एक पत्र. प्रस्तुतकर्ता अजय कुमार झा. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: दिल्ली सरकार. पत्रोत्तर. गुरुवार, 13 नवंबर 2014. शुक्रिया ॥. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. जन सुविधाएं. नई पोस्ट. नरे...
intihajagjitsingh.blogspot.com
इंतिहा: December 2010
http://intihajagjitsingh.blogspot.com/2010_12_01_archive.html
इंतिहा. ख़्वाब है कि हर जु़र्म की इंतिहा से मिलूं. बुधवार, 22 दिसंबर 2010. मुंबई हो या बॉम्बे- खूबसूरत है! बड़ा खूबसूरत शहर है,. जहाँ आसमान रात,. ज़मी पर लोटता है! लहरों पे रात-दिन. कश्तियाँ मदमदाती. रहती हैं! मटमैली रोशनी में. सरसराते पत्ते. लम्बा, मीठा इतिहास. गुनगुनाते हैं. और हर चौराहे पे. लगा वो स्लेटी पुतला. घूरता रहता है. आते जाते जल्दबाज़. मुंबईयो को. मुंबई हो या बॉम्बे- खूबसूरत है! दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMA. 1 टिप्पणी:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Labels: हाल का कुछ. घन झम बरसा,. र...
intihajagjitsingh.blogspot.com
इंतिहा: July 2012
http://intihajagjitsingh.blogspot.com/2012_07_01_archive.html
इंतिहा. ख़्वाब है कि हर जु़र्म की इंतिहा से मिलूं. रविवार, 15 जुलाई 2012. जो प्रेमी के नाम सी. ज़बान पर चढ़ जाती है. हम उँगलियों से आसमान को टटोलते रहते हैं. कि इस दफ़ा बरसे तो पूरा आसमान पी जाएँ. और जब टूटके गिरते हैं कांच के मोती. समूचा आसमान जैसे त्वचा में निचुड़ आता है. दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMA. 2 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. कुछ मैं! अपना सबका. कड़क चाय. उड़न तश्तरी . ऋण मí...
intihajagjitsingh.blogspot.com
इंतिहा: January 2013
http://intihajagjitsingh.blogspot.com/2013_01_01_archive.html
इंतिहा. ख़्वाब है कि हर जु़र्म की इंतिहा से मिलूं. सोमवार, 7 जनवरी 2013. मुझे तब तक प्यार करना जब तक. मेरे बदन की सारी झुर्रियों को नाम से न बुलाने लगो तुम. जब तक मेरी लटों में तुम्हारी उँगलियाँ अटकती हों. जब तक कि मेरी आँख के शीशे में देख पाते हो तुम ज़िक्र अपना. जब तक तुम मेरी साँसों में अपनी दास्ताँ पाते हो. जब तक मेरे होठों पर तुम्हारे नाम के कई महकते गुलाब खिलें. जब तक तुम मेरी आवाज़ से उठकर मेरी आह को पढ़ने लगो. दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMA. 4 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. 1 रंग सब ...
intihajagjitsingh.blogspot.com
इंतिहा: December 2011
http://intihajagjitsingh.blogspot.com/2011_12_01_archive.html
इंतिहा. ख़्वाब है कि हर जु़र्म की इंतिहा से मिलूं. मंगलवार, 27 दिसंबर 2011. गृहिणी करे याद. मुझे तुम्हारी याद आती है जब. शेम्पू की डिब्बी सीटी फूंकने लगती है. पतला साबुन टूट कर. मेरे हाथ में रह जाता है. जब कनिस्तर बजने लगते हैं. या सिलेंडर लेट जाता है. चित्र कर्ट्सी - http:/ www.alborques.com/files/21 11 2009 02 45 55 Array.jpg. दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMA. 4 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. Labels: अपना सबका. इस गí...
SOCIAL ENGAGEMENT