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grihsajja: एक और angle
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मंगलवार, 17 मार्च 2009. Faraway is dining area. A view from the living area. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). ब्लॉग आर्काइव. दरो-दीवार. कुछ मैंने ख़ुद डिजाइन किया फर्नीचर. बैठक मे सजा कुछ साजो सामाँ! बैठक की तस्वीर.एक अलग angle से. मेरे घरकी कुछ तस्वीरें. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. Aaj tak Yahan tak.
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sansmaran: जा, उड़ जारे पंछी ! ५
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Aaj tak Yahan tak. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. ब्लॉग आर्काइव. शहीद तेरे नाम से. जा, उड़ जारे पंछी! ६ ( अन्तिम). जा, उड़ जारे पंछी! शनिवार, 12 सितंबर 2009. जा, उड़ जारे पंछी! माँ का अपनी बेटीसे मूक संवाद). और,हाँ.स्नानगृह भी बैठक जितनाही सुंदर दिखना चाहिए! राघव के लिए अभी चूडीदार पजामे-कुरते लाने हैं! आगेभी जाने ना तू, पीछेभी जाने ना तू, जोभी है, बस यही एक पल है"! पंक्तियों का सिलसिला ग़लत हो सकता है! मै पूछ ही लेती! क्रमशः।. प्रस्तुतकर्ता shama. 1 टिप्पणियाँ:. डा० अमर कुमार.
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fiberaart: Snow peaked mountains
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गुरुवार, 6 मई 2010. Paintented background on silk.Foregound has brown handwoven silk , appliqued and embroidered using pink tissue and simple embroidery stitches. प्रस्तुतकर्ता. लेबल: कुदरत. हस्तकला भित्ती चित्र. 1 टिप्पणी:. ने कहा…. 13 मई 2010 को 12:09 am. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). ब्लॉग आर्काइव. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. Aaj tak Yahan tak.
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grihsajja: बैठक......
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मंगलवार, 17 मार्च 2009. Living room from a diagnal angle. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). ब्लॉग आर्काइव. दरो-दीवार. कुछ मैंने ख़ुद डिजाइन किया फर्नीचर. बैठक मे सजा कुछ साजो सामाँ! बैठक की तस्वीर.एक अलग angle से. मेरे घरकी कुछ तस्वीरें. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. Aaj tak Yahan tak.
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Kavita: November 2011
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Wednesday, November 30, 2011. दुल्हनिया! ना,ना,न छूना घूंघटा,. सहमी सिमटी है दुल्हनिया,. अभी छलके हैं इस के नैना,. यादों में है बाबुल अपना! आँखों से कजरा बह गया,. बालों में गजरा मुरझाया,. हैं हिनाभरी हथेलियाँ,. याद आ रही हैं सहेलियाँ. दादी औ माँ में उलझा है ज़ेहन,. उसमे बसा है नैहरका आँगन,. धूप में बरसती सावनी फुहार,. फूल बरसाता हारसिंगार. गीली मिट्टी पे मोलश्री के फूल,. नीम के तिनकों में पिरोये हार,. मेलों के तोहफे,बहनका दुलार,. अभी यही है,इसका सिंगार! Links to this post. दुल्हनिया. Links to this post.
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Kavita: March 2012
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Sunday, March 25, 2012. कविता पर भी. और हाँ, अजीबो गरीब! मुरझाये,. कुम्हलाये,. हर्षाये,. घबराये,. शर्माये,. हसींन,. बेहतरीन,. पुराने. जाने,. पहचाने,. और हाँ ’कुछ कुछ’ जाने पहचाने,. अन्जाने,. बेगाने,. दीवाने. काले-गोरे,. और कुछ न काले न गोरे,. कुछ कि आँखों में डोरे,. कोरे,. छिछोरे,. बेचारे,. थके से,. डरे से,. अपने से,. सपने से,. मेरे,. तेरे,. न मेरे न तेरे,. आँखें तरेरे,. कुछ शाम,. कुछ सवेरे,. घिनौने,. खिलौने,. कुछ तो जैसे. गैईया के छौने,. चेहरे ही चेहरे! पर कभी कभी,. मिल नही पाता,. Also at 'सच मे'.
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Kavita: June 2011
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Sunday, June 19, 2011. उतारूँ कैसे? इक बोझ-सा है मनमे,. उतारूँ कैसे? कहने को बहुत कुछ है,. कहूँ कैसे? वो अल्फाज़ कहाँसे लाऊं,. जिन्हें तू सुने? वो गीत सुनाऊं कैसे,. जो तूभी गाए? लिखा था कभी रेत पे,. हवा ले गयी उसे. गीत लिखे थे पानी पे,. बहा गयी लहरें उन्हें! ना कागज़ है, ना क़लम है,. दास्ताँ सुनाऊँ कैसे? ख़त्म नही होती राहें,. मै संभालूँ कैसे? इक बोझ-सा है मनमे,. उतारूँ कैसे? Links to this post. दास्ताँ. Subscribe to: Posts (Atom). Http:/ kavitasbyshama.blogspot.com. Aaj tak Yahan tak.
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Kavita: December 2010
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Friday, December 31, 2010. गुफ़्तगू बे वजह! दूसरा बयान! सिर्फ़ "कविता" पर! मोहब्बतों की कीमतें चुकाते,. मैने देखे है,. तमाम जिस्म और मन,. अब नही जाता मैं कभी. अरमानो की कब्रगाह की तरफ़।. दर्द बह सकता नहीं,. दरिया की तरह,. जाके जम जाता है,. लहू की मांनिद,. थोडी देर में! अश्क से गर कोई. बना पाता नमक,. ज़िन्दगी खुशहाल,. कब की हो गई होती।. रिश्तो के खिलौने,. सिर्फ़ बहला सकते है,. दुखी मन को,. ज़िन्दगी गुजारने को,. पैसे चाहिये! For original thought please also visit. KtheLeo (कुश शर्मा). Links to this post.