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पास पड़ोस: मेरे बाबूजी जगमोहन कोकास के जन्मदिन विजया दशमी पर उनके पत्रों की किताब के बारे मे
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पास पड़ोस. हम आपके पड़ोस में हैं इसीलिये आप हमारे पड़ोस में हैं. 17 अक्तूबर 2010. मेरे बाबूजी जगमोहन कोकास के जन्मदिन विजया दशमी पर उनके पत्रों की किताब के बारे में. प्रस्तुतकर्ता : शरद कोकास. विजयादशमी का दिन मेरे लिये मेरे बाबूजी प्रो. जगमोहन कोकास. यह समय के साथ नष्ट हो जाएंगी , इन्हे छपवा क्यों नहीं लेते ।. लेबल: कम्प्यूटर. नरेश चन्द्रकर. साहित्यिक पुरस्कार. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. 17/10/2010, 12:32:00 pm. 17/10/2010, 4:23:00 pm.
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पास पड़ोस: इस उपन्यास को आप खा सकते हैं
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पास पड़ोस. हम आपके पड़ोस में हैं इसीलिये आप हमारे पड़ोस में हैं. 2 मार्च 2011. इस उपन्यास को आप खा सकते हैं. प्रस्तुतकर्ता : शरद कोकास. आज कवयित्री व उपन्यास लेखिका पुष्पा तिवारी का जन्मदिन है. उस दिन सुबह सुबह पुष्पा दीदी का फ़ोन आया … “ शरद शाम को आना है , मेरे उपन्यास ‘ राधेबाबू आनेवाले हैं. 8216; का विमोचन है । “ मैंने पूछा … “ कौन आनेवाले हैं? विनोद कुमार. पर आइसिंग से बनाया हुआ उपन्यास का एक चित्र. 8220; खैर तब तक पता तो हम लोगों को भी नहीं थ...की टुकुन कथा. बहरहाल आज दो मार्च. 02/03/2011, 8:48:00 am.
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पास पड़ोस: हैप्पी बर्थ डे टू पाबला जी
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पास पड़ोस. हम आपके पड़ोस में हैं इसीलिये आप हमारे पड़ोस में हैं. 21 सितंबर 2011. हैप्पी बर्थ डे टू पाबला जी. प्रस्तुतकर्ता : शरद कोकास. इस जन्मदिन पर पूरे ब्लॉग जगत की ओर से उनके लिये शुभकामनायें और पाबला जी के लिये उनकी तबियत के अनुसार किसी शायर का यह एक शेर . 8220; नशेमन पर नशेमन इस कदर तामीर करता जा. कि बिजलियाँ गिर गिर के खुद बेज़ार हो जाएँ ॥ “. पाबला जी को जन्म दिन पर अनंत शुभकामनायें. लेबल: जन्मदिन. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. 21/09/2011, 11:37:00 pm.
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पास पड़ोस: सत्ता को आज अपने दुष्कृत्य के लिए कोई ग्लानिबोध नहीं है - मंगलेश डबराल
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पास पड़ोस. हम आपके पड़ोस में हैं इसीलिये आप हमारे पड़ोस में हैं. 14 नवंबर 2010. सत्ता को आज अपने दुष्कृत्य के लिए कोई ग्लानिबोध नहीं है - मंगलेश डबराल. प्रस्तुतकर्ता : शरद कोकास. भिलाई में जन संस्कृति मंच के. 8220;सत्ता को आज अपने दुष्कृत्य के लिए कोई ग्लानिबोध नहीं है ।. उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता प्रसिद्ध आलोचक प्रो मैनेजर पाण्डेय ने की ।. इस अवसर पर कवि केदारनाथ. चित्रकार अशोक भौमिक ने भारतीय चित्रकला के अनुपम उदाहरण...आईये पड़ोस को अपना विश्व बनायें. मुक्तिबोध. मैनेजर पाण्डेय. शरद कोकास. सदस्यतì...
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पास पड़ोस: दशहरे और दिवाली पर जिनका हैप्पी बर्थ डे है
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पास पड़ोस. हम आपके पड़ोस में हैं इसीलिये आप हमारे पड़ोस में हैं. 6 अक्तूबर 2011. दशहरे और दिवाली पर जिनका हैप्पी बर्थ डे है. प्रस्तुतकर्ता : शरद कोकास. जगमोहन कोकास व शीला कोकास. तो उन्होंने कहा 2 अक्तूबर । " अरे वाह " हम लोग प्रसन्न हो गये थे ।. बस फिर क्या था अगली बार से दशहरे में यह भी. लेबल: जगमोहन कोकास . भंडारा. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. 4 टिप्पणियां:. 06/10/2011, 2:56:00 pm. समीर लाल. उत्तर दें. कोपल कोकास. Is post ko padhkar ...
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ना जादू ना टोना: September 2009
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ना जादू ना टोना. आस्था का क्षेत्र जहाँ समाप्त होता है ज्ञान का क्षेत्र वहाँ से प्रारम्भ होता है. मंगलवार, 15 सितंबर 2009. नवरात्रि में साबूदाने की खिचड़ी खाने से पहले सोचें. मैने कहा “ क्यों भई जब उपवास में विश्वास ही नहीं है तो व्यर्थ में क्यों शरीर को कष्ट देते हो? 8220; तो उन्होने कहा “ कष्ट? कैसा कष्ट? और साबूदाने की खिचड़ी. तो मेरा प्रिय व्यंजन है ।“. 8220; मेरा भी दिमाग चकरा गया ,. में यह पढ़ा था. 2404; यह कासा. या टैपियोका. नामक कन्द. इन गोलियों को फिर नार...बस साबूदाना त&#...किस धोख&#...आज एक म&#...
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ना जादू ना टोना: December 2010
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ना जादू ना टोना. आस्था का क्षेत्र जहाँ समाप्त होता है ज्ञान का क्षेत्र वहाँ से प्रारम्भ होता है. शुक्रवार, 24 दिसंबर 2010. विचार आते हैं लिखते समय नहीं - मस्तिष्क की कार्यप्रणाली. मस्तिष्क की कार्यप्रणाली -7. प्लानिंग काम्प्लेक्स :. उपसर्ग में प्रस्तुत है मुक्तिबोध की कविता - विचार आते हैं. विचार आते हैं -. लिखते समय नहीं. बोझ ढोते वक़्त पीठ पर. सिर पर उठाते समय भार. परिश्रम करते समय. चांद उगता है व. पानी में झलमिलाने लगता है. ह्रदय के पानी में. विचार आते हैं. लिखते समय नहीं. नई पोस्ट. रास्त&...भूख...
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ना जादू ना टोना: October 2010
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ना जादू ना टोना. आस्था का क्षेत्र जहाँ समाप्त होता है ज्ञान का क्षेत्र वहाँ से प्रारम्भ होता है. बुधवार, 20 अक्तूबर 2010. माँ ही बताती है बचपन में कि यह तुम्हारे पिता है. मस्तिष्क की सत्ता लेखमाला - मस्तिष्क के क्रियाकलाप - हम किसी को कैसे पहचानते हैं -. 3 : प्रतिमा का शब्द में रुपांतरण. मस्तिष्क के क्रियाकलाप –चार – पहचानना. मनुष्य का नाम मनुष्य नहीं था जब. मस्तिष्क का नाम भी मस्तिष्क नहीं था. नदी पेड़ चिड़िया नहीं कहलाते थे. वह सब कुछ जो दृश्यमान था. कुछ शब्द. गुनगुनाये. उन्हे बाæ...मस्तì...