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आयुर्वेदिक जङी बूटियां: अथ तृतीयो ज्वरातिसाराधिकारः 3
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Saturday, 11 July 2015. अथ तृतीयो ज्वरातिसाराधिकारः 3. ज्वरातिसारयोरुक्तं निदानं यत्पृथक्पृथक. तस्माज्ज्वरातिसारस्य निदानं नोदितं पुनः 1. ज्वरातिसारयोरुक्तं भेषजं यत्पृथक्पृथक. न तन्मिलितयोः कार्यमन्योऽन्य वर्धयेद्यतः 2. अतस्तौ प्रतिकुर्वीत विशेषोक्तचिकित्सितैः 3. लङ्घनमेकं मुक्त्वा न चान्यदस्तीह भेषजंबलिनः. समुदीर्णदोषनिचयं तत्पाचयेत्तथा शमयेत 4. लङ्घनमुभयोरुक्तं मिलिते कार्यं विशेषतस्तदनु. उत्पलषष्ठकसिद्धं लाजामण्डादिकं सकलम 5. Subscribe to: Post Comments (Atom). आवश्यक सूचना. अथ कर्पूर...अथ गì...
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सतगुरु कबीर साहेब SATGURU KABEER SAHIB: November 2011
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शनिवार, नवंबर 26, 2011. अष्टावक्र गीता वाणी ध्वनि स्वरूप - 40. गुणैः संवेष्टितो देहस्तिष्ठत्यायाति याति च । आत्मा न गंता नागंता किमेनमनुशोचसि । 15-9. देहस्तिष्ठतु कल्पान्तं गच्छत्वद्यैव वा पुनः । क्व वृद्धिः क्व च वा हानिस्तव चिन्मात्ररूपिणः । 15-10. तात चिन्मात्ररूपोऽसि न ते भिन्नमिदं जगत । अतः कस्य कथं कुत्र हेयोपादेयकल्पना । 15-12. हे प्रिय! प्रस्तुतकर्ता. शनिवार, नवंबर 26, 2011. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. इस अव्यय । श...तुम...
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सतगुरु श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस: June 2011
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शुक्रवार, जून 24, 2011. आत्मस्वरूप परमात्मा का वास्तविक नाम विदेह है. कबीर साहब बोले - हे धर्मदास! जब तक देह से परे विदेह नाम का ध्यान होने में नहीं आता. जब लग ध्यान विदेह न आवे । तब लग जिव भव भटका खावे ।. ध्यान विदेह और नाम विदेहा । दोउ लखि पावे मिटे संदेहा ।. मनुष्य का 5 तत्वों से बना यह शरीर जङ परिवर्तनशील तथा नाशवान है ।. हे धर्मदास! हे धर्मदास! हे धर्मदास! सार शब्द रहस्य पर लेख शीघ्र प्रकाशित होगा ।. प्रस्तुतकर्ता. शुक्रवार, जून 24, 2011. 1 टिप्पणी:. इसे ईमेल करें. जिससे दीक्...तथा जिन ल...चन्...
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सतगुरु श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस: January 2011
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बुधवार, जनवरी 26, 2011. ज्योति पर ही समस्त योनियों के शरीर बनते हैं ।. अद्वैत वैराग कठिन है भाई । अटके मुनिवर जोगी । अक्षर ही को सत्य बतायें । वे हैं मुक्त वियोगी ।. अक्षरतीत शब्द एक बाँका । अजपा हू से है जो नाका । जाहि लखे जो जोगी । फ़ेर जन्म नहिं होई ।. इसका मास्टर आखिर कौन है? ग्यान को पन्थ कृपाण की धारा । कहो खगेस को बरनै पारा ।. क्या ये सोचने की बात नहीं है ।. वह अपनी ही संतति को झगङे में क्यों डालेगा? प्रस्तुतकर्ता. बुधवार, जनवरी 26, 2011. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. अक्षरतीत शब&#...मेर...
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आयुर्वेदिक जङी बूटियां: अथ द्वितीयोऽतिसाराधिकारः 2
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Saturday, 11 July 2015. अथ द्वितीयोऽतिसाराधिकारः 2. गुर्वतिस्निग्धरूक्षोष्णद्र वस्थूलातिशीतलैः. विरूद्धाध्यशनाजीणैर्विषमैश्चापि भोजनैः 1. स्नेहाद्यैरतियुक्तैश्च मिथ्यायुक्तैर्विषैर्भयैः. शोकदुष्टाम्बुमद्यातिपानैः सात्म्यर्त्तुपर्ययैः 2. जलाभिरमणैर्वेगविघातैः कृमिदोषतः. नृणां भवत्यतीसारो लक्षणं तस्य वक्ष्यते 3. हृन्नाभिपार्श्वोदरकुक्षितोदगात्रावसादा निलसन्निरोधाः. आमपक्वक्रमं हित्वा नातिसारे क्रिया यतः. दण्डकालसकाध्मानग्रहण्यर्शोभगन्दरान. धान्याम्बुभ्यां श&#...मुस्तोदीच्यश...हितं लङ्घ...कार्...
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सुरती शब्द साधना mystery of meditation: ये जिस्म का है या रूहों का मिलन
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गुरुवार, अप्रैल 22, 2010. ये जिस्म का है या रूहों का मिलन. तेरे अधरों का रस चूमने को. बेकरार थी तेरी लट भी. जब तू खोयी थी अपने सपनों में. खनकी थी तब तेरी चूङी. तूने किस अहसास से लव खोले थे. ये मैं हूँ कि मैं नही हूँ. ये तुम हो कि तुम नहीं हो. ये हम है कि हम नहीं है. ये जिस्म का है या रूहों का मिलन. क्यूं लग रहा है. मैं जन्मों की प्यासी हूँ सनम. वो हमारे मिलन की. क्या हसीन रात थी. मैं बनी हूँ सिर्फ़ तेरे लिये. ए मेरे सरताज ए मेरे प्रियतम. अब ये तन मन तो बस तेरा है. तन को .तन से. नई पोस्ट. जासे...बीङ...
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Meditate, meditate, meditate in rememmbrance of Him, and find Peace: Some Important Things to know about ....
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Monday, June 18, 2012. Some Important Things to know about . These things defined here are taken from my previous blogs to make the clear understanding of what they actually are. YOUR MIND AS NIRANJAN. Kal does not usually manifest in the lower worlds except as individual mind. He can be seen as himself by those who are coming from above, but not by those who come from below. As far as the individual is concerned, the Negative Power is his mind and his mind is the Negative Power. KAL TROUBLE THSE JIVAS.
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सतगुरु श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस: 2-4 श्लोक कण्ठस्थ करने मात्र से क्या कोई साधु हो जाता ह
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गुरुवार, जनवरी 19, 2012. 2-4 श्लोक कण्ठस्थ करने मात्र से क्या कोई साधु हो जाता है? 61 प्रश्न - श्री स्वामी जी महाराज! आहार आदि कैसे बनाना चाहिये? 62 प्रश्न - श्री स्वामी जी महाराज! मंत्र जागृत किस स्थान पर जल्दी होता है? खेलने जाता है । शहर या घर में नहीं । ठीक उसी प्रकार भजन, तपस्या के लिये. 63 प्रश्न - श्री सदगुरू स्वामी जी महाराज! क्या मठ बनाना आवश्यक है? भारी संख्या में हो भी रहा है ।. इसलिये मठ बनाना जरूरी है । जरूरी ही नहीæ...64 प्रश्न - 1 भक्त ने 1 सन्त की श...सदगुरू नाम म...मूल्...
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आयुर्वेदिक जङी बूटियां: अथ पञ्चमं दिनचर्यादिप्रकरणम 5
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Monday, 13 July 2015. अथ पञ्चमं दिनचर्यादिप्रकरणम 5. भूमिदेशस्त्रिधाऽनूपो जांगलो मिश्रलक्षणः 1. नदीपल्वलशैलाढ्यः फुल्लोत्पलकुलैर्युतः. हंससारसकारंडचक्रवाकादिसेवितः 2. शशवाराहमहिषरुरुरोहिकुलाकुलः. प्रभूतद्रुमपुष्पाढ्यो नीलशस्यफलान्वितः 3. अनेकशालिकेदारकदलीक्षुविभूषितः. अनूपदेशो ज्ञातव्यो वातश्लेष्मामयार्त्तिमान 4. आकाशसम उच्चश्च स्वल्पपानीयपादपः. शमीकरीरबिल्वार्कपीलुकर्कंधुसङ्कुलः 5. हरिणैणर्क्षपृषतगोकर्णखरसङ्कुलः. बहूदकनगोऽनूपः कफमारुतरोगवान्. दर्शनं स्पर्शनं कार्...स्वमाननं घí...आयुषî...
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