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कलम कवि की: May 2013
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कलम कवि की. कलम कवि की. आज हम लिखते हैं तुम पढ़ना और सुनना नहीं चाहते कल चाहोगे तब लिखने वाला नही होगा. शुक्रवार, 31 मई 2013. आत्मचिंतन. यहाँ कौन किसी के लिए आँसू बहाता है. घाव जिसके लगते हैं दर्द वही उठाता है. गिरता है वो जिसे उठने की चाह होती है. मंजिल बेसब्री से उसकी बाट जोहती है. हँसना हँसाना सब के नसीब में होता है. हँसता है वो जो दर्द की कीमत चुकता है. कोई भी इंसान छोटा या बड़ा नही होता. बस विचार, व्यवहार यह गुण दर्शाता है. Links to this post. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ.
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RAKESH KI RACHANAY: January 2015
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मुख्य-पृष्ठ. यात्रा वृतांत. मेरा परिचय. संपर्क करें. मित्र मंडली. Friday, January 30, 2015. यादें. यादें. जीवन कैसे पल. पल बीता. याद नहीं कुछ आज तक. चंद खट्टी-. यादों के साये में. जी रहा हूँ आज तक।. बेफिक्री में जीवन बीता. जब तक माँ का साया था. अब ममतामयी माँ की यादों में. जी रहा हूँ आज तक।. मेरा जीवन बेहतर करने को. पापा फटकार लगाते थे. मुझे बचाने में. फिक्रमंद माँ. याद मुझे है आज तक।. बड़ी बहन का प्यार अनोखा. संबल मुझको देता था. मेरे लिए सबसे लड़ती. याद मुझे है आज तक।. हुई शादी. Thursday, January 1, 2015.
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RAKESH KI RACHANAY: July 2014
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मुख्य-पृष्ठ. यात्रा वृतांत. मेरा परिचय. संपर्क करें. मित्र मंडली. Wednesday, July 30, 2014. बैधनाथ धाम एवं वैशाली गणराज्य की यात्रा, भाग-2. बैधनाथ धाम एवं वैशाली गणराज्य की यात्रा. बैधनाथ धाम की यात्रा वृतांत. भाग-1 पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।. सभी धर्मों में मनौती मानने की प्रथा है।. जब किसी कठिन कार्य जो केवल आपके कर्म पर आधारित न हो कर. भगवद् कृपा पर भी निर्भर हो तो लोग मनौती मानते हैं।. यह विश्वास का मामला है. आरंभ पंजाब से. 15 जून को शुरू किया।. 7 बजे प्रारंभ हुई।. यात्रा के...यहाँ स...31) पर र&...
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August 2015 - KAVITA RAWAT
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यात्रा वृतांत. View my complete profile. Archive for August 2015. कच्चे धागों में बहनों का प्यार है. कच्चे धागों में बहनों का प्यार है ।. देखो राखी का आया त्यौहार है ।. सभी को राष्ट्रव्यापी पारिवारिक पर्व रक्षाबंधन की हार्दिक मंगलकामनाएं! हिन्द देश का प्यारा झंडा. 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस. ध्वज गीत. हिन्द देश का प्यारा झंडा ऊँचा सदा रहेगा. तूफान और बादलों से भी नहीं झुकेगा. हिन्द देश का प्यारा . केसरिया बल भरने वाला सदा है सच्चाई. हिहिन्द देश का प्यारा . उद्यान महोत्सव. Subscribe to: Posts (Atom). हर द&#...
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September 2016 - KAVITA RAWAT
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यात्रा वृतांत. View my complete profile. Archive for September 2016. गया में श्राद्ध व पिंडदान करना सर्वोपरि क्यों माना जाता है? पिण्डदान. श्राद्ध. श्राद्धकर्म. अति से सब जगह बचना चाहिए. अति नम्रता. अति परिचय. अति सर्वत्र वर्जयेत्. लोक उक्ति में कविता. प्रत्येक अति बुराई का रूप धारण कर लेती है।. उचित की अति अनुचित हो जाती है।।. अति मीठे को कीड़ा खा जाता है।. अति स्नेह मति बिगाड़ देता है।।. अति परिचय से अवज्ञा होने लगती है।. बहुत तेज हवा से आग भड़क उठती है।।. कविता रावत. शिक्षक दिवस. लेकिन . कुछ लí...
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July 2016 - KAVITA RAWAT
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यात्रा वृतांत. View my complete profile. Archive for July 2016. प्रेम नगर की हसीन वादियों में. छुटियों में सैर. ब्रजभूमि. मथुरा-वृदावन. यात्रा वृतांत. ब्रज के महात्म्य को कहां तक कहा जाय? अहो भाग्यम्! नन्दगोप ब्रजो कसाम।“. कहा जाता है इसी ब्रज भूमि पर चरण रखते ही ब्रह्मज्ञानी उद्धव का सब ज्ञान लुप्त हो गया तो उन्हें कहना पड़ा-. 8220;ब्रज समुद्र मथुरा कमल, वृंदावन मकरन्द।. ब्रज-बनिता से पुष्प हैं, मधुकर गोकुल चन्द।. 8217;उधौ मोहि ब्रज बिसरत नाहीं,. ग्वाल बाल सब करत कुलाहल. कोई बुराई अपन&#...अच्छì...
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RAKESH KI RACHANAY: June 2014
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मुख्य-पृष्ठ. यात्रा वृतांत. मेरा परिचय. संपर्क करें. मित्र मंडली. Saturday, June 14, 2014. इंटरनेट से साभार. पक्षी अपने दो पंखों से. नील-गगन में उड़ता है,. हे मानव! तेरे पंख-असंख्य. फिर भी विफल हो, तू रोता है।. सपनों के पंख लगाकर तू. इन्द्रधनुष सजा जीवन में तू,. पूरा करना है सपनों को तो. क्यों सोकर वक्त बिताता है।. हे मानव! तेरे पंख-असंख्य. फिर भी विफल हो, तू रोता है।. हौसलों के पंख लगाकर तू. कर ले साकार सपनों को तू,. लाख बाधाएं हो जीवन में. हे मानव! तेरे पंख-असंख्य. हे मानव! हे मानव! हे मानव! जानम,...
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RAKESH KI RACHANAY: August 2015
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मुख्य-पृष्ठ. यात्रा वृतांत. मेरा परिचय. संपर्क करें. मित्र मंडली. Thursday, August 27, 2015. बैरी सावन. बैरी सावन. सावन में सिमटी रहती हूँ. सावन में गुमसुम रहती हूँ।. जब से गए है परदेश सजनवा. उनसे मिलने की सपने बुनती हूँ।. जब बारिश आग लगाती सावन में. आँगन में भीग. चुपचाप रो लेती हूँ।. जब भी उनसे हो फोन पर बातें. दिल की बातें नहीं कह पाती हूँ।. पूरा है घर. आँगन मेरा फिर भी. जल बिन मछली जैसी तड़प रही हूँ।. जब से खबर मिली है उनके आने की. न चाहते हुए भी मैं थोड़ी. सी बदल गई हूँ।. राही”. Tuesday, August 11, 2015.
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RAKESH KI RACHANAY: April 2015
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मुख्य-पृष्ठ. यात्रा वृतांत. मेरा परिचय. संपर्क करें. मित्र मंडली. Wednesday, April 15, 2015. जख्म छुपा कर रखना अपने सीने में. जख्म कुरेदने वाले हजारों है इस जमाने में. बेवजह कोई किसी से बात नहीं करता यहाँ. बहुत तकलीफ़ होती है जुबाँ बंद रखने में. इस अजनबी शहर में. रोने को कंधा नहीं मिलता. ग़मों का पहाड़ टूटा है मगर आँसू नहीं है आँखों में. यह शाश्वत सत्य है कि पैसों से खुशियाँ नहीं मिलती. झूठी शान. शौकत में लोग कुछ ऐसे अकड़े हैं. राकेश कुमार श्रीवास्तव. प्रस्तुतकर्ता. लेबल: कविता. Subscribe to: Posts (Atom).
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