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अपने गिरेबां में: October 2010
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अपने गिरेबां में. ग़ालिब-ए-खस्ता के बगैर, कौन से काम बंद हैं . रोइए ज़ार ज़ार क्या, कीजिये हाय हाय क्यों . इन्हें भी देखें . व्यंग्यश्री - 2014. हिंदी व्यंग्य. कुछ यादें, बेतरतीब सी . लघुकथाएं. कार्टून्स. शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010. जिन्दगी ३६५० दिन! क्या किया अब तक. पूंजी सा समय खर्च दिया. पाया क्या. देखते देखते दिन कपूर हुए. कहां गए! न गिनना समय से नजरें चुराना नहीं है क्या. दिन खिसक गए । दस साल में. दिनों में सिमट जाती है । इसमें आ...दिन खर्च होने के बाद बचे. दिन और हासिल हुई न&...रही केवल. सुबह&...
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अपने गिरेबां में: आँख वालों में अंधा राजा !! / LEADER WITHOUT EYES.
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अपने गिरेबां में. ग़ालिब-ए-खस्ता के बगैर, कौन से काम बंद हैं . रोइए ज़ार ज़ार क्या, कीजिये हाय हाय क्यों . इन्हें भी देखें . व्यंग्यश्री - 2014. हिंदी व्यंग्य. कुछ यादें, बेतरतीब सी . लघुकथाएं. कार्टून्स. सोमवार, 13 सितंबर 2010. आँख वालों में अंधा राजा! आजादी की लड़ाई में वे देश का नेतृत्व कर रहे थे. वहीं स्त्री शिक्षा. बाल विवाह. बाल विवाह रोकना है तो सरकार रोके. कानून काम करे. पुलिस देखे । हम तो जनभावना और परंपरा के खिलाफ नह&...यदि वर्तमान युग में भी हमार...प्रस्तुतकर्ता. जवाहर चौधरी. हिंद&...एक बì...
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आलोचकअड्डा: June 2011
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आलोचकअड्डा. Tuesday, June 21, 2011. Subscribe to: Posts (Atom). Http:/ pradeepkant.blogspot.com. Http:/ rakeshsharmaindore.blogspot.com. View my complete profile.
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आलोचकअड्डा: August 2011
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आलोचकअड्डा. Saturday, August 13, 2011. यात्रा कथा ,अन बोले ही. रचनाकार और वे अवसरजो जीवन को सार्थकता देते रहे और दे रहे हैं. कविता पाठ करते हुए , समीप हैं वरिष्ठ कवि चन्द्र सेन विराट. मानस निलयम वीणा नगर इंदौर में कालजयी रचनाकार डॉ नरेंद्र कोहली के साथ , साहित्य प्रेमी. ख्यात आलोचक डॉ विजयबहादुर सिंह , प्रोफ़ेसर स्वामी [ दायें से बाएं ]. पूर्व प्रधान मंत्री चन्द्र शेखर के साथ. हैदरावाद में व्याख्यान देते हुए. स्नेही जनों के बीच. पुस्तक पर व्याख्यान. Sunday, August 7, 2011. Subscribe to: Posts (Atom).
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आलोचकअड्डा: यात्रा कथा ,अन बोले ही
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आलोचकअड्डा. Saturday, August 13, 2011. यात्रा कथा ,अन बोले ही. रचनाकार और वे अवसरजो जीवन को सार्थकता देते रहे और दे रहे हैं. कविता पाठ करते हुए , समीप हैं वरिष्ठ कवि चन्द्र सेन विराट. मानस निलयम वीणा नगर इंदौर में कालजयी रचनाकार डॉ नरेंद्र कोहली के साथ , साहित्य प्रेमी. ख्यात आलोचक डॉ विजयबहादुर सिंह , प्रोफ़ेसर स्वामी [ दायें से बाएं ]. पूर्व प्रधान मंत्री चन्द्र शेखर के साथ. हैदरावाद में व्याख्यान देते हुए. स्नेही जनों के बीच. पुस्तक पर व्याख्यान. Subscribe to: Post Comments (Atom).
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अपने गिरेबां में: January 2011
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अपने गिरेबां में. ग़ालिब-ए-खस्ता के बगैर, कौन से काम बंद हैं . रोइए ज़ार ज़ार क्या, कीजिये हाय हाय क्यों . इन्हें भी देखें . व्यंग्यश्री - 2014. हिंदी व्यंग्य. कुछ यादें, बेतरतीब सी . लघुकथाएं. कार्टून्स. शुक्रवार, 21 जनवरी 2011. सोने का सुख! 3 अब अगर आप दूसरी बार तुड़वा कर नई डिजाइन का जेवर बनवाते हैं तो फिर चार ग्राम का घपला होगा ।. अगली बार जब सोने का सुख उठाना चाहें तो जरा सोच समझ कर . प्रस्तुतकर्ता. जवाहर चौधरी. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. शनिवार, 1 जनवरी 2011. एक बंद...
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अपने गिरेबां में: मीडिया मांगे मोर - HindiLok.com
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अपने गिरेबां में. ग़ालिब-ए-खस्ता के बगैर, कौन से काम बंद हैं . रोइए ज़ार ज़ार क्या, कीजिये हाय हाय क्यों . इन्हें भी देखें . व्यंग्यश्री - 2014. हिंदी व्यंग्य. कुछ यादें, बेतरतीब सी . लघुकथाएं. कार्टून्स. शुक्रवार, 4 जून 2010. मीडिया मांगे मोर - HindiLok.com. मीडिया मांगे मोर - HindiLok.com. प्रस्तुतकर्ता. जवाहर चौधरी. प्रतिक्रियाएँ:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. गांधीज&...160; ...
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अपने गिरेबां में: March 2010
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अपने गिरेबां में. ग़ालिब-ए-खस्ता के बगैर, कौन से काम बंद हैं . रोइए ज़ार ज़ार क्या, कीजिये हाय हाय क्यों . इन्हें भी देखें . व्यंग्यश्री - 2014. हिंदी व्यंग्य. कुछ यादें, बेतरतीब सी . लघुकथाएं. कार्टून्स. रविवार, 21 मार्च 2010. लिपि और भाषा का जीवन. क्या इससे अंग्रेजी को समझना, बोल व्यवहार में लाना ज्यादा आसान नहीं होगा? प्रस्तुतकर्ता. जवाहर चौधरी. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. हालांक&...हिं...सफर म...
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अपने गिरेबां में: February 2010
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अपने गिरेबां में. ग़ालिब-ए-खस्ता के बगैर, कौन से काम बंद हैं . रोइए ज़ार ज़ार क्या, कीजिये हाय हाय क्यों . इन्हें भी देखें . व्यंग्यश्री - 2014. हिंदी व्यंग्य. कुछ यादें, बेतरतीब सी . लघुकथाएं. कार्टून्स. शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010. बदली भूमिका में कौरव. उसके चरित्र के बारे में समझ लिया है! उसमें अश्लीलता दिखी! वे आहत हुए हैं और इसे मुद्दा बना कर उन्होंने हंगामा मचाया है! प्रस्तुतकर्ता. जवाहर चौधरी. प्रतिक्रियाएँ:. 1 टिप्पणी:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. Twitter पर साझा करें. यह घटना हमì...