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हिन्दी भाषा और साहित्य

Tuesday, October 23, 2012. यात्रा-वृत्तान्त विधा को केन्द्र में रखकर प्रसिद्ध कवि, यात्री और ब्लॉग-यात्रा-वृत्तान्त लेखक डॉ. विजय कुमार शुक्ल ‘विजय’ से लिया गया एक साक्षात्कार. डॉ. विजय कुमार शुक्ल जी ‘विजय’. का सक्षात्कार लेती हुए मैं. शालिनी पाण्डेय. सर आपको यात्राओं की प्रेरणा कब और कैसे मिली? आप पहली बार यात्रा पर कब गये? हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में आप कहां तक गये? वहां क्या अच्छा लगा? बहुत-बहुत आभार आपका सर! विजय जी. धन्यवाद शालिनी! साक्षात्कर्त्री. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom).

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Tuesday, October 23, 2012. यात्रा-वृत्तान्त विधा को केन्द्र में रखकर प्रसिद्ध कवि, यात्री और ब्लॉग-यात्रा-वृत्तान्त लेखक डॉ. विजय कुमार शुक्ल ‘विजय’ से लिया गया एक साक्षात्कार. डॉ. विजय कुमार शुक्ल जी ‘विजय’. का सक्षात्कार लेती हुए मैं. शालिनी पाण्डेय. सर आपको यात्राओं की प्रेरणा कब और कैसे मिली? आप पहली बार यात्रा पर कब गये? हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में आप कहां तक गये? वहां क्या अच्छा लगा? बहुत-बहुत आभार आपका सर! विजय जी. धन्यवाद शालिनी! साक्षात्कर्त्री. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom).
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हिन्दी भाषा और साहित्य | shalinikikalamse.blogspot.com Reviews

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Tuesday, October 23, 2012. यात्रा-वृत्तान्त विधा को केन्द्र में रखकर प्रसिद्ध कवि, यात्री और ब्लॉग-यात्रा-वृत्तान्त लेखक डॉ. विजय कुमार शुक्ल ‘विजय’ से लिया गया एक साक्षात्कार. डॉ. विजय कुमार शुक्ल जी ‘विजय’. का सक्षात्कार लेती हुए मैं. शालिनी पाण्डेय. सर आपको यात्राओं की प्रेरणा कब और कैसे मिली? आप पहली बार यात्रा पर कब गये? हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में आप कहां तक गये? वहां क्या अच्छा लगा? बहुत-बहुत आभार आपका सर! विजय जी. धन्यवाद शालिनी! साक्षात्कर्त्री. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom).

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हिन्दी भाषा और साहित्य: यात्रा-वृत्तान्त विधा को केन्द्र में रखकर प्रसिद्ध कवि, यात&#238

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Tuesday, October 23, 2012. यात्रा-वृत्तान्त विधा को केन्द्र में रखकर प्रसिद्ध कवि, यात्री और ब्लॉग-यात्रा-वृत्तान्त लेखक डॉ. विजय कुमार शुक्ल ‘विजय’ से लिया गया एक साक्षात्कार. डॉ. विजय कुमार शुक्ल जी ‘विजय’. का सक्षात्कार लेती हुए मैं. शालिनी पाण्डेय. सर आपको यात्राओं की प्रेरणा कब और कैसे मिली? आप पहली बार यात्रा पर कब गये? हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में आप कहां तक गये? वहां क्या अच्छा लगा? बहुत-बहुत आभार आपका सर! विजय जी. धन्यवाद शालिनी! साक्षात्कर्त्री. October 23, 2012 at 8:38 PM. बहुत बढ&#23...

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हिन्दी भाषा और साहित्य: October 2012

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Tuesday, October 23, 2012. यात्रा-वृत्तान्त विधा को केन्द्र में रखकर प्रसिद्ध कवि, यात्री और ब्लॉग-यात्रा-वृत्तान्त लेखक डॉ. विजय कुमार शुक्ल ‘विजय’ से लिया गया एक साक्षात्कार. डॉ. विजय कुमार शुक्ल जी ‘विजय’. का सक्षात्कार लेती हुए मैं. शालिनी पाण्डेय. सर आपको यात्राओं की प्रेरणा कब और कैसे मिली? आप पहली बार यात्रा पर कब गये? हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में आप कहां तक गये? वहां क्या अच्छा लगा? बहुत-बहुत आभार आपका सर! विजय जी. धन्यवाद शालिनी! साक्षात्कर्त्री. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom).

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हिन्दी भाषा और साहित्य: September 2012

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Monday, September 17, 2012. यात्रा-वृत्तान्त विधा को केन्द्र में रखकर प्रसिद्ध कवि, सम्पादक, समीक्षक और यात्रा-वृत्तान्त लेखक डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी से लिया गया एक साक्षात्कार. सक्षात्कार लेती हुए मैं शालिनी पाण्डेय और डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी. प्र. सर मूलतः आप एक समीक्षक, कवि और सम्पादक हैं तो यात्रा-वृत्त-लेखन की तरफ़ आपका रुझान कैसे हुआ? प्र. सर! प्र. इसी क्रम में एक और सवाल सर! कि यात्रा-वृत्तान्त लेखन में कल्पनाश&#23...प्र. और अन्त में सर यह बताइए कि क&#...Links to this post. Labels: हिन...

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हिन्दी भाषा और साहित्य: October 2011

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Saturday, October 29, 2011. प्रमुख ब्लॉग-यात्रा-वृत्त लेखकों का परिचय और समीक्षण:. समीरलाल ‘समीर’ : परिचय और समीक्षण. ब्लॉग जगत में. समीरलाल ‘समीर’. सबसे बड़े बैंक के लिए तकनीकी सलाहकार हैं एवं आपके नियमित तकनीक-आलेख प्रकाशित होते रहे हैं।. आपका ब्लॉग. 8216;उड़नतश्तरी’. उपन्यासिका. 8216;उड़न तश्तरी’. ब्लॉग पर कवि एवं लेखक समीरलाल ‘समीर’ के यात्रा-वृत्त-. 8216;बड़ी दूर से आए हैं ब्लॉगर मिलने’. प्रमुख हैं।. 8216;बड़ी दूर से आए हैं.ब्लॉगर मिलने! शिखा वार्ष्णेय. समझते नहीं हैं- ...आपको यात्...आदि क&#23...

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हिन्दी भाषा और साहित्य: July 2011

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Wednesday, July 27, 2011. हिन्दी के यात्रा-वृत्तान्त : प्रकृति और प्रदेय (परिचय खण्ड). डॉ0 तिवारी रामचन्द्र, हिन्दी का गद्य इतिहास, विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी, 1992, पृ0-29. वही, पृ0-296. प्रजापति डॉ. जगदीश कुमार, हिन्दी साहित्य का इतिहास प्रवृयात्मक अध्ययन, प्रथम संस्करण भवदीय. प्रकाशन, अयोध्या, फ़ैज़ाबाद, 2001, पृ0-468. Links to this post. Labels: यात्रा-वृत्तान्त विधा. Subscribe to: Posts (Atom). कुल दृश्य पृष्ठ-. मेरे बारे में-. View my complete profile. ललितडॉटकॉम. चर्चामंच. मेरे अन&...मै&...

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तीखी कलम से: March 2015

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तीखी कलम से. तीखी कलम से. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. गुरुवार, 26 मार्च 2015. अमृत को झरते देखा है. गीत* *- -. गंगा सहज प्रवाह पावनी ,. अमृत को झरते देखा है ।. धवल और शीतल लहरों से,. पुरखों को तरते देखा है ।. मानव जीवन की कल्याणी ,. ममता की अद्भुद धारा हो ।. भागीरथ की घोर तपस्या ,. सर्व नेत्र की तुम तारा हो ।. मातृ स्नेह से सदा अलंकृत ,. प्रेम सुधा बहते देखा है ।. गंगा सहज प्रवाह पावनी ,. अमृत को झरते देखा है ।।. पापों की अंतर ज्वाला पर,. वीन मणि त्रिपाठी. नई पोस्ट. 2 दिन पहले. वक़्त ग...

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तीखी कलम से: April 2014

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तीखी कलम से. तीखी कलम से. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. बुधवार, 30 अप्रैल 2014. भारतीय बाल मजदूर. मित्रो मजदूर दिवस पर मेरी यह रचना सप्रेम भेट. तपती दोपहरी में ,. पसीने से लथ पथ ,. सड़क पर पत्थर बिखेरता एक मासूम. बार बार कुछ सोचता है ,. मन को कुरेदता है. आज माँ खुश हो जाएगी ,. कुछ आटा चावल मगाएगी. दर्जी के पास भी जाना है ,. माँ के फटे आँचल में ,. चकती लगवाना है. छोटा भाई तो कल भूँखा ही सोया था ,. रोटियां कम थी इस लिए रोया था . आज पूरे सौ मिलेंगे . कुछ बुदबुदाया. बाबु जी! अब शहीदो&...वतन क&#23...

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तीखी कलम से: June 2015

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तीखी कलम से. तीखी कलम से. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. सोमवार, 29 जून 2015. पापा के नाम. पापा अब मेरे आँसू की तुम. और परीक्षा मत लेना ।. सैलाब उमड़ते आँखों में. अब धैर्य की शिक्षा मत देना।. मैं टूट रहा हूँ अब प्रतिपल।. खो रहा अनवरत हूँ सम्बल ।. मैं शक्तिहीन दुःख में विलीन।. आभासित जैसे कर्म हीन ।. ईश्वर भी हुआ पराया सा ।. मन व्याकुल है बौराया सा ।. मैं भीख मांगता प्राणों की. वह चाह रहा सब हर लेना ।।. पापा अब मेरे आंसू की तुम. और परीक्षा मत लेना ।।. हूँ मौन अंक से...यह तीक्ष्...अभिशप&#23...

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तीखी कलम से: February 2014

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तीखी कलम से. तीखी कलम से. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. गुरुवार, 13 फ़रवरी 2014. प्रेम दिवस के मुक्तक. बंदिश से निकल आयी बेबाक मुहब्बत है. करने लगी है सबको आदाब मुहब्बत है. ठहरे हुए हैं लम्हें नजरों का कहर बरपा. बिखरी सी चांदनी कि महताब मुहब्बत है. पहरे हजार होंगे , परदे हजार होंगे. हसरत का फूल ले के वो बेक़रार होंगे. लहरें तो साहिलों से लिपटेगी आज खुलकर. हलचल है समंदर में बेख़ौफ़ ज्वार होंगे. बरसात कि छुवन से दादुर उछल पड़े हैं. प्रस्तुतकर्ता Naveen Mani Tripathi. नई पोस्ट. 2 दिन पहले. हि&...

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तीखी कलम से: February 2015

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तीखी कलम से. तीखी कलम से. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. शनिवार, 28 फ़रवरी 2015. सिर्फ तारीफों की चर्चा में बिका अखबार है. ग़ज़ल* *- -. चैनलों की शाख पर अब झूठ का अम्बार है ।. सिर्फ तारीफों की चर्चा में बिका अखबार है ।।. रोज कलमें हो रहीं गिरवीं इसी दरबार में ।. फिर कसीदों से कलम का हो रहा व्यापार है।।. कब्र से बोली ग़ज़ल मेरा तस्सउर् खो गया ।. अब खुशामद के लिए बिकने लगा फनकार है ।।. हम एक थे, हम एक हैं ,हम एक ही होंगे सदा ।. नवीन मणि त्रिपाठी. 2 टिप्पणियाँ. जा के देख. मनचलों क&#23...मास...

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तीखी कलम से: November 2014

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तीखी कलम से. तीखी कलम से. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. मंगलवार, 18 नवंबर 2014. तू कितनी भोली है. जिन्दगी की खूब सूरत सहेली है ।. चोली दामन का साथ. दोनों के अपने जज्बात. नहीं कोई विरोध. जहाँ जन्दगी वही मौत. और जहाँ मौत वहीँ जिन्दगी. पर क्या जारी रहती है दुआ बन्दगी? मौत कभी तुम चुपके से आती हो ।. तो कभी शोर मचाती हो. डंके की चोट पर आती हो ।. जिन्दगी को साथ ले जाती हो. एक नीद एक विराम. या फिर अनंत विश्राम. और फिर वापस आ जाती है जिन्दगी. नयी काया के साथ ।. प्रणय का उन्माद. वही मकरंद. प्रश&...

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तीखी कलम से: April 2015

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तीखी कलम से. तीखी कलम से. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. मंगलवार, 28 अप्रैल 2015. प्रायश्चित. नवीन मणि त्रिपाठी. अरे भाई तिरपाठी! का हाल चाल है यार " ।. आओ कौसर भाई चाय आ रही है । अभी काम से फुरसत मिली है । और अपना सुनाओ? मैंने कौसर भाई को बैठने का इशारा किया।. कौसर भाई बैठ तो गए लेकिन सामान्य से हट कर कुछ शांत थे और विचार मन्थन करते नजर आये ।. क्या हुआ भाई जान आज इतना शांत क्यों "।. अरे यार चिंता हो गयी है "।. किस बात की चिंता कौसर भाई? फिर क्या हुआ? इतना कहते ही वह चल पड़&#2...ऐसा कर&#2...

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तीखी कलम से. तीखी कलम से. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2014. आँसू"* -. आँसू अनंत रूप में बिखर जाते हैं . गम के आँसू. ख़ुशी के आँसू. बनावटी आँसू. घडियाली आँसू. रक्त के आँसू. मुफ्त के आँसू. महंगे आंसू. सस्ते आँसू.।. आंसू प्रतीक बन जाते हैं . मनोभावों के. अदृश्य यातनाओं के. अतृप्त इच्छाओं के. अंतस के घावों के. खंडित अभिलाषाओं के. अनंत संवेदनाओं के. तीखी व्यथाओं के .।. आँसू छलक जाते हैं .।. मीत के मिलने पर. या फिर बिछड़ने पर. आशा के खोने पर. पर नैना बहने पर. प्रीत&...तुम...

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तीखी कलम से. तीखी कलम से. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. शनिवार, 9 मई 2015. जनाब मत पूछो. उसका चेहरा है क्यूँ उतरा जनाब मत पूछो।. लगा है हुश्न पर पहरा जनाब मत पूछो ।।. मुद्दई और गवाहों की जरुरत क्या थी ।. फिर वो पेशी से है मुकरा जनाब मत पूछो।।. हम इंकलाब ए मुहब्बत की खबर लाये थे।. हो गया मुल्क का सहरा जनाब मत पूछो ।।. इस रियासत की ईट में है फना की फितरत।. कैसे झंडा यहां फहरा जनाब मत पूछो ।।. हूर ए चिलमन के उठाने से कहर बरपा है।. नवीन मणि त्रिपाठी. 1 टिप्पणियाँ. नई पोस्ट. 2 दिन पहले. हिन&...

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