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सृजन समय

सोमवार, 3 मई 2010. कहानी संग्रह 'नज़रिया'का लोकार्पण. डा मोहन तिवारी आनन्द,अध्यक्ष,मप्र तुलसी साहित्य अकादमी,भोपाल ने कार्यक्रम की रूपरेखा एवं डा अनितासिंह चौहान के समग्र लेखन पर प्रकाश डाला ।. प्रस्तुतकर्ता कृष्णशंकर सोनाने. 0 टिप्पणियाँ. अपना अपना आत्मसम्मान .कहानी.डा अनिता सिंह चौहान. छोड़ भी! कैसे आयेर्षोर्षो मेरा मतलब इस शहर में कैसे आना हुआ`. बस कुछ नहीं! अच्छा,और तुम्हारी नौकरी अभी भी वही है क्या`. चलो अच्छा है,इसी बहाने तुम राजनगर तो आय&#...कोई बात नहीं! अरे सुनो ना,आज र...लगता है आ...क्य...

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सृजन समय | srijansamay.blogspot.com Reviews
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सोमवार, 3 मई 2010. कहानी संग्रह 'नज़रिया'का लोकार्पण. डा मोहन तिवारी आनन्द,अध्यक्ष,मप्र तुलसी साहित्य अकादमी,भोपाल ने कार्यक्रम की रूपरेखा एवं डा अनितासिंह चौहान के समग्र लेखन पर प्रकाश डाला ।. प्रस्तुतकर्ता कृष्णशंकर सोनाने. 0 टिप्पणियाँ. अपना अपना आत्मसम्मान .कहानी.डा अनिता सिंह चौहान. छोड़ भी! कैसे आयेर्षोर्षो मेरा मतलब इस शहर में कैसे आना हुआ`. बस कुछ नहीं! अच्छा,और तुम्हारी नौकरी अभी भी वही है क्या`. चलो अच्छा है,इसी बहाने तुम राजनगर तो आय&#...कोई बात नहीं! अरे सुनो ना,आज र&#2...लगता है आ...क्य...
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1 सृजन समय
2 ओ नो
3 खाना
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5 किस कदर
6 जीवन
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8 गणेश
9 चली आई
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सृजन समय | srijansamay.blogspot.com Reviews

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सोमवार, 3 मई 2010. कहानी संग्रह 'नज़रिया'का लोकार्पण. डा मोहन तिवारी आनन्द,अध्यक्ष,मप्र तुलसी साहित्य अकादमी,भोपाल ने कार्यक्रम की रूपरेखा एवं डा अनितासिंह चौहान के समग्र लेखन पर प्रकाश डाला ।. प्रस्तुतकर्ता कृष्णशंकर सोनाने. 0 टिप्पणियाँ. अपना अपना आत्मसम्मान .कहानी.डा अनिता सिंह चौहान. छोड़ भी! कैसे आयेर्षोर्षो मेरा मतलब इस शहर में कैसे आना हुआ`. बस कुछ नहीं! अच्छा,और तुम्हारी नौकरी अभी भी वही है क्या`. चलो अच्छा है,इसी बहाने तुम राजनगर तो आय&#...कोई बात नहीं! अरे सुनो ना,आज र&#2...लगता है आ...क्य...

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सृजन समय: 2009-11-15

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शुक्रवार, 20 नवंबर 2009. मिलने की तरह मिलना-. एक चांद बचा के रखना. मेरे लिए ढेरों सितारे. सूरज बचा के रखना. आकाश में बरसात के दिनों में. कभी कभार दिखने वाला. इंदधनुष भी बचा के रखना. पूरा बाग बगिया न सही. किसी पोथी पानडे में. बरसों रखा एक फूल बचा के रखना. एक बच्चे की किलकारी. बचाना जरूर. चुटकी दो चुटकी ही सही. उम्मीद का कभी न छोड़ना संग. लाखों लाख शिद्दतों में भी. बचा के रखना उसे भी. अपने और मेरे लिए. विध्वंस के बावजूद. नामुराद हत्यारों से बचाना. बिदा मत होने देना. मोबाइल नं 9826548861.

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सृजन समय: मुझे तलाश है ऐसे लेखक की जिसमें इन्सान हो

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बुधवार, 4 नवंबर 2009. मुझे तलाश है ऐसे लेखक की जिसमें इन्सान हो. प्रस्तुतकर्ता कृष्णशंकर सोनाने. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). ब्लॉग आर्काइव. मेरे बारे में. कृष्णशंकर सोनाने. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें.

3

सृजन समय: 2009-11-01

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गुरुवार, 5 नवंबर 2009. ऊषा प्रारब्ध की कविताएं. शब्द और भाषा के पहले. मैं कई बार. यही सोचती हूं कि. सृष्टि में जब पहली बार मिले होंगे. आदम और हव्वा तो. कैसे उन्होंने. बगैर शब्दों. बगैर भाषा. एक दूसरे को समझाए होंगे अपने सुख देख और. वे दौनों. चकित हुए होंगे. चांद तारों झरनों पहाड़ो आसमान में. इन्द्रधनुषी रंगों को देखकर वे झूम उठे होंगे. मंजर कई सारे और भी देखें होंगे उन्होंने साथ साथ. मसलन,शाख से. पत्ते का टूटना. कोंपल का लहलहाना इनमें. महसूस किया होगा जीवन को. हमारे पास. समय और आज का. सब छाव ल&#236...

4

सृजन समय: ऊषा प्रारब्ध की कविताएं

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गुरुवार, 5 नवंबर 2009. ऊषा प्रारब्ध की कविताएं. शब्द और भाषा के पहले. मैं कई बार. यही सोचती हूं कि. सृष्टि में जब पहली बार मिले होंगे. आदम और हव्वा तो. कैसे उन्होंने. बगैर शब्दों. बगैर भाषा. एक दूसरे को समझाए होंगे अपने सुख देख और. वे दौनों. चकित हुए होंगे. चांद तारों झरनों पहाड़ो आसमान में. इन्द्रधनुषी रंगों को देखकर वे झूम उठे होंगे. मंजर कई सारे और भी देखें होंगे उन्होंने साथ साथ. मसलन,शाख से. पत्ते का टूटना. कोंपल का लहलहाना इनमें. महसूस किया होगा जीवन को. हमारे पास. समय और आज का. सब छाव ल&#236...

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सृजन समय: 2009-09-13

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सोमवार, 14 सितंबर 2009. आटे से सने हुए हाथ- कविता -नरेन्द्र गौड़. तालाब को आना था. समुद्र चला आया. कविता में ।. गिद्ध नहीं आया. हांफती हुई चिड़िया. फड़फड़ाने लगा पेड़. हरी भरी पत्तियां. गिरने ही थे. कैसे बीन लेता अकेला. ढेर सारे फूल ।. माफ करना छोटी बिटिया को. कविता में ।. अरी सुनती हो. ज़ौर से आवाज़. लगी ही तो दी खुशी में. चली आई वह भी. आटे से सने हुए हाथ लिए. कविता में ।. डरी हुई दुनिया. उसने अपनी आंखें. डरी हुई दुनिया में खोली. उसने इत्मीनान से. अपना बस्ता खोला तब भी. उसने एक मरी हुई. मेरा...

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शंकर सोनाने: पिलोरिया--कहानी --कृष्णशंकर सोनाने

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शंकर सोनाने. शनिवार, 28 जनवरी 2012. पिलोरिया- कहानी - कृष्णशंकर सोनाने. पिलोरिया. 8216;‘ नहीं मित्र , हम कदाचित प्रज्यापत्य व्रत को भंग नहीं करेंगे । एक बार किया गया व्रत भंग करना अनुचित तो है ही साथ में अपराध भी है ।‘‘. 8216;‘ किन्तु मित्र , हम जानते है कि तुम्हारी ‘‘वो‘‘ तुम्हें स्वीकार नहीं करेगी।‘‘. 8216;‘कदाचित मित्र, तुम उस पाषाण-हृदय को पहचान जाते ।‘‘. 8216;‘ क्षमा करें मित्र! 8216;‘ पीएल ,बस, इतना ही समझ लो ।‘‘. अविनाश की आँखों में अनाया...पीएल सिर्फ मुस्करा द&...8216;‘ नमस्ते! 8216;‘ त&#23...

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शंकर सोनाने: May 2011

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शंकर सोनाने. सोमवार, 16 मई 2011. स्मृति शेष- - कमला प्रसाद. तुम सूर्य थे. राजेन्द्र शर्मा. तुम सूर्य थे हमेशा. मैं तुम्हारा चन्द्रमा. उधार की रोशनी से चमकता हूं रोज़. सूर्यास्त के बाद. चांदनी रात में नौका विहार जैसे. चुराये गये वाक्यों के सहारे. एक स्कूली निबन्ध लिखता हूं. और अब्बल नम्बर कहाता हूं. तमगों से चिथड़ा हुई कमीज़. शान से पहले घूमता हूं तुम्हारी आकाशगंगा में. मेरे चेहरे पर तो तुम्हारी अक्कासी साफ साफ. इतनी कि दूर से दिखाई दे. और लगा दिया हो डिठौना. बस एक छोटा सा शब्द. नई पोस्ट. मेरी...हौस...

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शंकर सोनाने: April 2011

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शंकर सोनाने. शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011. भ्रष्टाचार मिटाया नहीं जा सकता. प्रस्तुतकर्ता. कृष्णशंकर सोनाने. कोई टिप्पणी नहीं:. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). कृष्णशंकर सोनाने. कृष्णशंकर. मेरा परिचय. कृष्णशंकर सोनाने. दूरभाषः 07554229018,चलितवार्ताः 09424401361 Email:drshankarsonaney@yahoo.co.uk. मेरी ब्लॉग सूची- 1. Contemporary poetry by tara singh. Welcome to my Poetry Site. by drshankar sonane. Contemporary poetry by drshankar sonane. 1 घंटे पहले. 5 घंटे पहले. समकाल&#236...

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शंकर सोनाने: आदमी के हक में..संकलन से

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शंकर सोनाने. शनिवार, 28 जनवरी 2012. आदमी के हक में.संकलन से. बस्ती के लोग. अलग-अलग धड़ों में बंट गए है. मेरी बस्ती के लोग. बैठ बारूद पर तिलियाँ जला रहे हैं. मेरी बस्ती के लोग ।. भाई-चारा भूल बैठे है. नफरत की गांठ ऐंठ बैठे हैं. अपने मुख में कड़वी ज़बान. बरसों से लुकाए बैठे हैं. अड़ौसी-पड़ौसी दुआ-सलाम. भूल बैठे है मेरी बस्ती के लोग. अलग-अलग धड़ों में बंट गए है. मेरी बस्ती के लोग ।. रिश्ते-नाते कड़वे हो गए. अपने ही वाले भड़वे हो गए. घर अपनों का जलते देख-देख. दिः 01.03.2011). दृढ़ बनान&#237...समूच&#236...

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शंकर सोनाने: July 2011

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शंकर सोनाने. रविवार, 10 जुलाई 2011. सिवाय किताब के. अब तक कोई मित्र न मिला.सिवाय किताब के. अब तक कोई भाई न मिला.सिवाय किताब के. अब तक कोई प्रेमिका न मिली.सिवाय किताब के. अब तक कोई प्रेमी न मिला.सिवाय किताब के. अब तक कोई पत्नी न मिली.सिवाय किताब के. अब तक कोई रिश्ता न मिला.सिवाय किताब के. अब तक कोई अपना न मिला.सिवाय किताब के. अब तक कौई सोहबत न मिली.सिवाय किताब के. अब तक कोई महफिल न मिली.सिवाय किताब के. अब तक कोई इन्सान मिला.सिवाय किताब के. कृष्णशंकर सोनाने. प्रस्तुतकर्ता. नई पोस्ट. कहानी / बड&...ज़ुल...

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शंकर सोनाने: September 2011

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शंकर सोनाने. शुक्रवार, 23 सितंबर 2011. लावा पुरस्कृत. कृष्णशंकर सोनाने. प्रस्तुतकर्ता. कृष्णशंकर सोनाने. कोई टिप्पणी नहीं:. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). कृष्णशंकर सोनाने. कृष्णशंकर. मेरा परिचय. कृष्णशंकर सोनाने. दूरभाषः 07554229018,चलितवार्ताः 09424401361 Email:drshankarsonaney@yahoo.co.uk. मेरी ब्लॉग सूची- 1. Contemporary poetry by tara singh. Welcome to my Poetry Site. by drshankar sonane. Contemporary poetry by drshankar sonane. 1 घंटे पहले. कबाड़खाना. समकाल&#2368...

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शंकर सोनाने: आदमी के हक में..संकलन से--कृष्णशंकर सोनाने

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शंकर सोनाने. शनिवार, 28 जनवरी 2012. आदमी के हक में.संकलन से- कृष्णशंकर सोनाने. जिस तरह तन को ढंकने के लिए. कपड़ों का होना जरूरी है ।. लाज रखने के लिए. शर्म का होना लाजमी है ।. रहस्य ढांकने के लिए. गोपन का होना आवश्यक है ।. सिर छिपाने के लिए? छत का होना जरूरी है ।. दीवारों का होना. कोई मायने नहीं रखता. खिड़की दरवाज़ों के बिना. काम चलाया जा सकता है ।. बहुत ही नामुमकिन है. जीवन का. गुजन-बसर होना. छत के बिना ।. 8-दरवाज़ा. बिना दरवाजे के कोई. घर नहीं बनता ।. बाहर से दरवाज़ा. घर की दहलीज. कृष्णश&#2...कोई...

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शंकर सोनाने: आदमी के हक में...संकलन से

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शंकर सोनाने. शनिवार, 28 जनवरी 2012. आदमी के हक में.संकलन से. सुबह में लहराती सुबहें. कोई मेनका या. उर्वशी ही होगी. प्रातः की शीतल मधुर समीर में. घर से निकलने पर. चेहरे पर बांधे हुए दुपट्टा. बचाने के लिए सुन्दरता ।,. कहीं झुलसा न दें. शीतल मधुर बयार. इन मेनका उर्वशियों के. मासूम चेहरे ।. हेमा,माधुरी,श्रीदेवी. रेखा हो या ऐश्वर्या. नहीं बांधती होगी दुपट्टा. झुलसती धूप में या. गर्म हवाओं के थपेड़ों में. अपने लावण्यमयी चेहरे पर ।. कोई खतरा नहीं सुन्दरता को. रानी रूपमती हो या. हो जीनत अमान. नई पोस्ट. सदस&#2381...

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शंकर सोनाने: आदमी के हक में..संकलन से

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शंकर सोनाने. शनिवार, 28 जनवरी 2012. आदमी के हक में.संकलन से. मेरे जागने से लेकर. सोने तक. वह मुस्तैद रहता है. मेरे साथ ।. जब मैं. सो रहा होता. वह जागते रहता है. जैसे पहरा दे रहा हो. जब मैं. चल रहा होता. वह मेरे साथ-साथ चलने लगता है. मेरे ठहरने पर. वह भी ठहरता है. मैं भले ही थोड़ा सुस्ता लूँ. वह बराबर सजग रहा करता है. सुस्ताना उसने सीखा नहीं. लेकिन जब मैं. जाग जाता हूँ. वह सो जाता है. जागने की तैयारी में. क्योंकि उसे पता है. मेरे सो जाने पर. उसे पहरा देना होगा. मुस्तैद होकर ।. चाहने पर. लेकिन ...शाय...

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Monday, February 27, 2006. द श क प रख य त कब र ग यक भ रत बन ध. ज स ड . स व म ) ब स ह द स म हत सम म न -2004 छत त सगढ क र ज यप ल श र क . एम. स ठ स प र प त करत ह ए. Posted by स जन-छव at 10:01 AM. अल क त व भ त य -2. कब र स ह त य क ल ए ग धम न न म स हब सम म न-2004 स र ज यप ल द व र अल क त ड . सत यभ म आड ल, स ह त यक र, र यप र. Posted by स जन-छव at 9:57 AM. अल क त व भ त य -1. 1 स जन-श र 2004 स सम म न त श र प र मश कर ग ट य , सम जस व , र यप र. Posted by स जन-छव at 9:51 AM. चत र थ स ह त य मह त सव - 2004-अल करण सम र ह.

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Friday, March 30, 2012. Quizzing - My Journey. So I am late in writing this post about my quizzing life. My friends have already written their posts and have done a rather good job of expressing their and some of our feelings. Arun's post can be read here. However, I am still going to write my views on this subject, as this is something very close to my heart. I doubt many will read this, and I know fewer will care. But here it goes! Then came 3-2 (third year second semester). Third years were the ma...

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