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आयुर्वेदिक जङी बूटियां: अथ तृतीयो ज्वरातिसाराधिकारः 3
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Saturday, 11 July 2015. अथ तृतीयो ज्वरातिसाराधिकारः 3. ज्वरातिसारयोरुक्तं निदानं यत्पृथक्पृथक. तस्माज्ज्वरातिसारस्य निदानं नोदितं पुनः 1. ज्वरातिसारयोरुक्तं भेषजं यत्पृथक्पृथक. न तन्मिलितयोः कार्यमन्योऽन्य वर्धयेद्यतः 2. अतस्तौ प्रतिकुर्वीत विशेषोक्तचिकित्सितैः 3. लङ्घनमेकं मुक्त्वा न चान्यदस्तीह भेषजंबलिनः. समुदीर्णदोषनिचयं तत्पाचयेत्तथा शमयेत 4. लङ्घनमुभयोरुक्तं मिलिते कार्यं विशेषतस्तदनु. उत्पलषष्ठकसिद्धं लाजामण्डादिकं सकलम 5. Subscribe to: Post Comments (Atom). आवश्यक सूचना. अथ कर्पूर...अथ गì...
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आयुर्वेदिक जङी बूटियां: अथ द्वितीयोऽतिसाराधिकारः 2
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Saturday, 11 July 2015. अथ द्वितीयोऽतिसाराधिकारः 2. गुर्वतिस्निग्धरूक्षोष्णद्र वस्थूलातिशीतलैः. विरूद्धाध्यशनाजीणैर्विषमैश्चापि भोजनैः 1. स्नेहाद्यैरतियुक्तैश्च मिथ्यायुक्तैर्विषैर्भयैः. शोकदुष्टाम्बुमद्यातिपानैः सात्म्यर्त्तुपर्ययैः 2. जलाभिरमणैर्वेगविघातैः कृमिदोषतः. नृणां भवत्यतीसारो लक्षणं तस्य वक्ष्यते 3. हृन्नाभिपार्श्वोदरकुक्षितोदगात्रावसादा निलसन्निरोधाः. आमपक्वक्रमं हित्वा नातिसारे क्रिया यतः. दण्डकालसकाध्मानग्रहण्यर्शोभगन्दरान. धान्याम्बुभ्यां श&#...मुस्तोदीच्यश...हितं लङ्घ...कार्...
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know yourself स्वरूप दर्शन: April 2011
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शुक्रवार, अप्रैल 22, 2011. अब तू औरत नहीं चुङैल है । 1. प्रसून द ग्रेट. अभी शाम के चार बज चुके थे । जब उसने अपनी व्यक्तिगत कोठी के सामने सडक पर खडी स्कोडा का डोर खोला ही था कि उसके कानों में आवाज आई - माई बाप.।. प्रसून ने मुडकर देखा । और लगभग देहाती से दिखने वाले उस इंसान से बोला - हू.मी? उसने अपनी ही उंगली से अपने सीने को ठोका ।. हां । माई बाप.। वह आदमी हाथ जोडकर बोला ।. ना माई बाप! कृमशः.।. शुक्रवार, अप्रैल 22, 2011. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! टीकम सिंह जी. कुछ ही क&#...जेन...
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सुरती शब्द साधना mystery of meditation: ये जिस्म का है या रूहों का मिलन
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गुरुवार, अप्रैल 22, 2010. ये जिस्म का है या रूहों का मिलन. तेरे अधरों का रस चूमने को. बेकरार थी तेरी लट भी. जब तू खोयी थी अपने सपनों में. खनकी थी तब तेरी चूङी. तूने किस अहसास से लव खोले थे. ये मैं हूँ कि मैं नही हूँ. ये तुम हो कि तुम नहीं हो. ये हम है कि हम नहीं है. ये जिस्म का है या रूहों का मिलन. क्यूं लग रहा है. मैं जन्मों की प्यासी हूँ सनम. वो हमारे मिलन की. क्या हसीन रात थी. मैं बनी हूँ सिर्फ़ तेरे लिये. ए मेरे सरताज ए मेरे प्रियतम. अब ये तन मन तो बस तेरा है. तन को .तन से. नई पोस्ट. जासे...बीङ...
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Meditate, meditate, meditate in rememmbrance of Him, and find Peace: Some Important Things to know about ....
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Monday, June 18, 2012. Some Important Things to know about . These things defined here are taken from my previous blogs to make the clear understanding of what they actually are. YOUR MIND AS NIRANJAN. Kal does not usually manifest in the lower worlds except as individual mind. He can be seen as himself by those who are coming from above, but not by those who come from below. As far as the individual is concerned, the Negative Power is his mind and his mind is the Negative Power. KAL TROUBLE THSE JIVAS.
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आयुर्वेदिक जङी बूटियां: अथ पञ्चमं दिनचर्यादिप्रकरणम 5
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Monday, 13 July 2015. अथ पञ्चमं दिनचर्यादिप्रकरणम 5. भूमिदेशस्त्रिधाऽनूपो जांगलो मिश्रलक्षणः 1. नदीपल्वलशैलाढ्यः फुल्लोत्पलकुलैर्युतः. हंससारसकारंडचक्रवाकादिसेवितः 2. शशवाराहमहिषरुरुरोहिकुलाकुलः. प्रभूतद्रुमपुष्पाढ्यो नीलशस्यफलान्वितः 3. अनेकशालिकेदारकदलीक्षुविभूषितः. अनूपदेशो ज्ञातव्यो वातश्लेष्मामयार्त्तिमान 4. आकाशसम उच्चश्च स्वल्पपानीयपादपः. शमीकरीरबिल्वार्कपीलुकर्कंधुसङ्कुलः 5. हरिणैणर्क्षपृषतगोकर्णखरसङ्कुलः. बहूदकनगोऽनूपः कफमारुतरोगवान्. दर्शनं स्पर्शनं कार्...स्वमाननं घí...आयुषî...
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know yourself स्वरूप दर्शन: August 2011
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सोमवार, अगस्त 22, 2011. अंगिया वेताल 1. सुई आठ के नम्बर से आगे सरकने लगी थी । पर कोई चिन्ता की बात नहीं थी । उसे सिर्फ़ दो किमी और जाना था ।. उसे अन्दर से अपनी मूर्खता पर रोना आ गया । पर अब वह क्या कर सकती थी ।. तभी उसे अपने पीछे कुछ सरसराहट सी सुनाई दी । जैसे कोई सर्प पत्तों में रेंग रहा हो ।. हा.। वह कांपते स्वर में बोली - क क क कौन है? और तब उसकी चीख ही निकल गयी - बचाओ ।. हाँ .रूपा! रूपा.। वह मानों उसके मष्तिष्क में बोल&...हं हं हाँ.हाँ । भरपूर सम...कौन हो तुम? स्स्स्पर्श &#...रूपा ख...र र र र&#...
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know yourself स्वरूप दर्शन: पिशाच का बदला 2
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शनिवार, फ़रवरी 08, 2014. पिशाच का बदला 2. रात के ठीक दस बजे! दरअसल वर्मा जी के घर पहुंचने के बाद जब वर्मा जी मेरे खाने आदि की आवभगत में व्यस्त थे ।. मैंने रामवीर से कहा । चलो तुम्हारा गांव देखते है ।. मैंने एक सिगरेट सुलगायी । और कहा । रामवीर तुम बहानेवाजी और उलझाऊ बात पसन्द करते हो या सीधी और स्पष्ट बात? का लीड रोल है । इसलिये आपको अपना परिचय देना आवश्यक था? जो कि मैंने दे दिया है ।. और हमेशा अपने साथ रखने लगा था । पर ब्रिजेश के चमच...होनी की बात नदी के जिस स...नन्दू लगभग पांच...पांच मह&#...और फì...
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know yourself स्वरूप दर्शन: पिशाच का बदला 3
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शनिवार, फ़रवरी 08, 2014. पिशाच का बदला 3. लेकिन हमें कोई भी ऐसा अवसर नहीं मिल रहा था । जिससे हम अपराधी ब्रिजेश या अन्य का संबन्ध इससे जोड पाते ।. हे साधु । तब हम बडे ना उम्मीद हो चले थे कि क्या करना चाहिये? उसके सम्भोग की बात सुनाते ही उसके होश उड गये । पर वह कर भी क्या सकती थी ।. धर्मपाल का मुंह भी शर्म और लज्जा से लाल हो गया । पर वह मजबूर था । सब मजबूर थे? किसी भी प्रेत को नियम अनुसा. ये हम नहीं जान सकते? अर्थात आप ही बेहतर जानते होगे? यह भी हम नहीं कह सकते? बदलते रहते हैं ð...सब लोग चौ...दरअसल हम&...
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know yourself स्वरूप दर्शन: July 2011
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मंगलवार, जुलाई 26, 2011. डायन THE WITCH 1. हरेक इंसान की जिन्दगी इतनी खुशनसीब नहीं होती कि वह एक अच्छे संपन्न घर कुल खानदान में पैदा हो ।. पर क्यों नहीं होती ऐसी जिन्दगी? क्यों हैं जीवन के अलग अलग विभिन्न रंग । कोई सुखी । कोई दुखी । कोई हताश । कोई. निराश क्यों है? यह प्रश्न ठीक गौतम बुद्ध स्टायल में नीलेश के मन में उठा ।. वह नीलेश! नीलेश द ग्रेट! तब नीलेश का खिंचाव इन दोनों से स्वाभाविक ही हुआ । क्...यू आर ग्रेट! दूसरी तरफ़ से आवाज आयी - हम लोग लाडू ध...वह लगभग टहलता हुआ सा मन्द&#...इस मन्दिर...पर बदर...