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रेडियोवाणी का दूसरा पन्ना: December 2009
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रेडियोवाणी का दूसरा पन्ना. Wednesday, December 2, 2009. मैं पीड़ा का राजकुंवर हूं: गोपालदास नीरज. गोपालदास 'नीरज' की इस रचना और फिल्म 'ओए लकी ओए' के गाने 'तू राजा की राजदुलारी' में. मुझे बड़ी समानता नज़र आती है । ये गाना रेडियोवाणी पर यहां. सुना जा सकता है ।. मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ, तुम शहजादी रूपनगर की. हो भी गया प्रेम हम में तो, बोलो मिलन कहाँ पर होगा? मेरा कुर्ता सिला दुखों ने,. बदनामी ने काज निकाले,. तुम जो आँचल ओढ़े उसमें. अम्बर ने खुद जड़े सितारे. रोज नए कंगन बनवाए,. Subscribe to: Posts (Atom).
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रेडियोवाणी का दूसरा पन्ना: May 2014
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रेडियोवाणी का दूसरा पन्ना. Saturday, May 24, 2014. रांझा मेरा रांझा (अंग्रेजी अनुवाद सहित) फिल्म क्वीन का गीत. क्वीन फिल्म का ये गाना बड़ा जज्बाती है।. इसके बोल और उसका अंग्रेज़ी तरजुमा यहां दिया जा रहा है।. ये हमें इंटरनेटी खोजबीन से प्राप्त हुआ है।. रेडियोवाणी पर. ये गाना यहां. सुना जा सकता है।. Kinna sohna yaar heere, vekhdi nazaara. Ranjha mere ranjha,. Majjha (buffalloes) chaarda (grazing) bechara. What a beautiful sight it is for Heer. To watch her poor beloved grazing buffaloes. I'd not wan...
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रेडियोवाणी का दूसरा पन्ना: पंकज मल्लिक अनमोल तथ्य
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रेडियोवाणी का दूसरा पन्ना. Monday, April 9, 2012. पंकज मल्लिक अनमोल तथ्य. पंकज मल्लिक एकदम शुरूआत से यानी 1927 से ही रेडियो कोलकाता का हिस्सा रहे थे।. फिल्म्स डिविजन ने पंकज मल्लिक पर एक वृत्तचित्र तैयार किया है। जिसे आप ऑनलाइन यहां देख सकते. हैं।. पंकज मल्लिक के अनमोल चित्रों के लिए यहां क्लिक कीजिए।. रेडियोवाणी पर पंकज मल्लिक का गीत- 'तेरे मंदिर का हूं दीपक' यहां सुना. जा सकता है।. April 9, 2012 at 7:09 PM. इसको पक्का करने के लिए आप इसी गीत को...Subscribe to: Post Comments (Atom). खुश्...
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जादू की पुड़िया: Nov 3, 2012
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जादू की पुड़िया. नन्हे जादू का अपना t w i t t e r. Saturday, November 3, 2012. जादू-उवाच. लहसुन खाना चाहिए.लहसुन खाने से पॉटी आती है. मोबाइल-अंकल- और सर ये रहा आपका सिम. जादू- नहीं सिम नहीं बोलते. अंकल- तो क्या बोलते हैं. जादू- सिम बोलते हैं सिम।. मोबाइल अंकल कुछ नहीं समझ पाये, सिर्फ थैंक्यू बोले). मुझे पापा के ऑफिस जाना है, वहां आमिर अंकल होते हैं।. वहां नहीं जाना- वहां कॉच-कॉच (कॉकरोच) है।. देखो मुझे खुंसी (फुंसी) हो गयी है. जादू- बरफी सायकिल चलाता है. Posted by yunus khan. Links to this post.
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.: आकाशवाणी के भीष्म पितामह मेरे पापा स्वर्गीय पँडित नरेन्द्र शर्मा
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आकाशवाणी के भीष्म पितामह मेरे पापा स्वर्गीय पँडित नरेन्द्र शर्मा. Posted by लावण्यम्` अन्तर्मन्`. Friday, September 7, 2007. स्टुडियो मेँ चिँतन की मुद्रा मेँ पँडित नरेन्द्र शर्मा. बनाये और वही पापा जी, हमेँ अपनी नरम हथेलियोँ से , ताली बजाकर गीत सुनाते . और हमारे पापा ,. उनकी ही कविता गाते हुए हमेँ नृत्य करता देखकर मुस्कुराते थे. राधा नाचे कृष्ण नाचे,. नाचे गोपी जन! मन मेरा बन गया सखी री सुँदर वृँदावन . १९५६ से १९७१ तक वे आकाशवाणी से सँलग्न रहे. वे मुझे टेलेन्ट्ज़ ...भारत सरकार ने ४ अन...मेरा...
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अभिव्यक्ति: स्कूल की यादें
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अभिव्यक्ति. मन की ऊँची उड़ान"! मेरी नजर से. Friends18.com Birds Scraps. Tuesday, October 9, 2012. स्कूल की यादें. इस आँगन में खेले हमने, जाने कितने खेल,. धमाचौकड़ी, छुआ-छुई से चोर-सिपाही-रेल. सैर सुहानी, रुत मस्तानी खूब चली वह नाव,. अब याद आती झोंकों वाली, मीठी शीतल छाँव. कोरे कागज़ के पन्नों पर, गीत मधुर जीवन के,. रचे गए सब यहीं उजाले, स्नेह-सुमन उपवन के. आशीषों की पुण्य धार में , भींग सींचे हैं सरसे,. तार-तार, कण-कण मेरे, सौभाग्य-सजीले हरषे. द्वारा रचित. Subscribe to: Post Comments (Atom). एक नशा ...
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मन का कैनवस: March 2012
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मन का कैनवस. एक मुकम्मल तस्वीर बनाने की चाहत में . झरते हैं कुछ रंग .घुलती हैं कुछ भावनाएं .सिमट जाते हैं कुछ स्वप्न .यही है .मन के कैनवस पर तूलिका के शब्द-रंग ". गुरुवार, 29 मार्च 2012. मेरी आँखों के ख्वाब. कितने ही ख्वाबों को. यादों की जिल्द लगा. पलकों की कोरों पर. करीने से सहेजा है . जैसे अलमारी में. किताबें सजाता है कोई . कितने ही ख्वाबों को. ताकीद की गिरह से बाँध. मन के खूंटे से. बाँध दिया है कस के . जैसे पगहे में. गाय बांधता है कोई . कुछ सुर्ख-सियाह ख्वाब. Maturity date डालना. ऊसर न हो. Posted by T...
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मन का कैनवस: December 2013
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मन का कैनवस. एक मुकम्मल तस्वीर बनाने की चाहत में . झरते हैं कुछ रंग .घुलती हैं कुछ भावनाएं .सिमट जाते हैं कुछ स्वप्न .यही है .मन के कैनवस पर तूलिका के शब्द-रंग ". मंगलवार, 3 दिसंबर 2013. चुप्पियाँ. वो उदासियों के. तमाम रास्ते तय कर. खुशियों की दहलीज़ पर. चुप्पियाँ लिए बैठा था. इस बात से अनभिज्ञ. कि खिलखिलाहटों की कुंजियाँ. उसके शब्द थे . Posted by Tulika Sharma. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. नई पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. आज फिर मेर&...एक मì...
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जादू की पुड़िया: Jan 11, 2012
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जादू की पुड़िया. नन्हे जादू का अपना t w i t t e r. Wednesday, January 11, 2012. न्यूज़ देखने से खांसी आती है पापा. कई दिनों से जादू की करतूतों की ख़बर आप तक नहीं पहुंची।. इसलिए जादू-बुलेटिन-. अभी-अभी पापा ने जादू से कहा कि बेटा तुम 'डोरेमॉन' देखना बंद करो. पापा को न्यूज़ देखना है।. दिसंबर महीने में जादू चारों हफ्ते खांसते रहे थे). जादू ने तुरूप का पत्ता चला, नही न्यूज़ मत देखना।. न्यूज़ देखने से उल्टी आती है।. पापा-नहीं बेटा. जादू- दुख तो लहा है।. जब रणबीर की पिटाई हो...पापा न...पाप...
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मन का कैनवस: July 2013
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मन का कैनवस. एक मुकम्मल तस्वीर बनाने की चाहत में . झरते हैं कुछ रंग .घुलती हैं कुछ भावनाएं .सिमट जाते हैं कुछ स्वप्न .यही है .मन के कैनवस पर तूलिका के शब्द-रंग ". मंगलवार, 30 जुलाई 2013. रास्ते तो एक ही थे. फिर ये फ़ासले क्यूँ गढ़ लिए. कदम बढ़ा कर कभी कभी. फ़ासले पाट भी दिया करो. वरना अजनबीपन की नागफ़नी. उग जायेगी बीच में. हाथ बढ़ाना भी चाहोगे. तो चुभन होगी. बहुत मोड़ हैं न रास्ते में. नेह डोर से बंध कर रहना बस. वरना अगर मुड़ गए. जितना पहले दिया. Posted by Tulika Sharma. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. कुछ आध...