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कविता कैफ़े .. [ KAVITA CAFE ]: opening lines, गुलाब की पत्तियां और कैंची/दिलीप शाक&#
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19 अप्रैल 2014. Opening lines, गुलाब की पत्तियां और कैंची/दिलीप शाक्य. कैंची से गुलाब की पत्तियॉं काटती एक औरत. हवा के जोर से खुल गयी खिड़कियों को. पलट रही है बार-बार. श्रंगार-मेज़ के आईने में झलक-झलक उठते हैं. एक चेहरे के छूटे हुए अक़्स. चेहरे में एक गुलाब गुमशुदा है. गुलाब में एक चेहरा. हिंदी कवि शमशेर बहादुर सिंह की आवाज़. आह बनकर खिंचती है सीने में. 8216;लौट आ ओ फूल की पंखुड़ी. फिर फूल में लग जा’. प्रस्तुति :. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. नई पोस्ट.
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कविता कैफ़े .. [ KAVITA CAFE ]: मैं और वह
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17 नवंबर 2014. मैं और वह. कविता-श्रृंखला. सौरमंडल की तमाम कक्षाओं से बाहर निकलकर. मैंने उसे देखा और कहा : प्यार. डज़ इट एक्जि़्स्ट : उसने पूछा. मैंने कहा: एटलीस्ट यहां तो. उसने सितारों की ओर देखा और एक गैलेक्सी को आवाज़ दी. मैंने पूछा : एक और मृत्यु? नहीं, एक और जन्म : उसने कहा. मैंने ब्रह्मांड की सबसे प्राचीन घड़ी में देखा. किसी दिल के धड़कने का वक़्त हो चला था. दिलीप शाक्य ]. प्रस्तुति :. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. नई पोस्ट. मुख्यपृष्ठ.
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कविता कैफ़े .. [ KAVITA CAFE ]: एक पीला त्रिकोण
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16 नवंबर 2014. एक पीला त्रिकोण. आसमान में एक पीले त्रिकोण की तरह. रुका हुआ हूं मैं. बरसों से. धूप में जलता हूं तो बारिश मुझे. नहला देती है. अंधेरे से डरता हूं तो चांदनी मुझे. बहला देती है. अपनी ही दिशाओं का बंदी मैं. किसी स्थगित यात्रा के कटे हुए वृत्तांत-सा. टंगा हूं अनन्त में. मेरी भुजाओं में अलग होने की ताक़त तो है. मग़र एक अदृश्य वृत्त है उनके शीर्ष पर. निरंतर घूमता हुआ. बंधा हूं मैं उसी के तिलिस्म से. धरती की हरीतिमा. सूर्य से कहो. ख़ुदकुशी कर ले. अगर नहीं पिघला सकता. प्रस्तुति :. नई पोस्ट.
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कविता कैफ़े .. [ KAVITA CAFE ]: मैं और वह
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17 नवंबर 2014. मैं और वह. कविता-श्रृंखला. प्रयोगशाला में बहुत सन्नाटा था, जब मैंने उससे कहा : हाइड्रोजन. वह मुस्कुराई और उसने कहा : ऑक्सीजन. हाइड्रोजन : मैंने एक खाली वीकर उठाया और फिर उसी संजीदगी से कहा. उसके दोबारा मुस्कुराने से पहले ही पानी का जन्म हो चुका था. मैंने कहा: ताजमहल. उसने कहा: यमुना नदी. और हम प्रयोगशाला से बाहर आ गए. दिलीप शाक्य ]. प्रस्तुति :. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. नई पोस्ट. मुख्यपृष्ठ.
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कविता कैफ़े .. [ KAVITA CAFE ]: नए ज़माने की वार्ता-1/दिलीप शाक्य
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25 अप्रैल 2014. नए ज़माने की वार्ता-1/दिलीप शाक्य. क़िस्सा एक स्कूटी-राइड का]. लड़का अपनी स्मृति को खुरच ही रहा था कि हल्के ट्रैफ़िक के शोर से निकलकर एक पुरानी सफ़ेद स्कूटी नज़दीक आकर रुकी- हैलो मिस्टर, पहचाना? 8216;‘आज भी वही स्कूटी? 8217;’ लड़के ने पूछा।. 8217;आपको कोई एतराज़ है? 8217; लड़की ने जवाब दिया।. 8216;नहीं! लिफ्ट मिलेगी? या स्योर, बोलो कहां ड्रॉप करना है? 8216;आज भी बस स्टॉप? लड़की ने पूछा।. 8216;आपको कोई एतराज़ है? लड़के ने जवाब दिया।. 8216;नहीं! 8216;‘यहां क्यों? प्रस्तुति :. नई पोस्ट. मेरा...ई-मे...
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कविता कैफ़े .. [ KAVITA CAFE ]: मैं और वह
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21 नवंबर 2014. मैं और वह. कविता-श्रृंखला. नेताजी के भाषण में पार्टी की टोपी थी, पार्टी का माइक था और मुंह भी शायद पार्टी का ही था. मैंने उससे पूछा: नेताजी का क्या है? कुछ नहीं, सब जनता का है : बालों से हेयर पिन निकालते हुए उसने कहा. बीच में पार्टी कहां से आयी फिर : मैंने फिर कहा. 8216;पार्टीशन’ शब्द पर ज़ोर देत हुए उसने पूछा : ‘हिन्द स्वराज’ नहीं पढ़ा क्या? हां पढ़ा तो है : मैंने अपना चश्मा ठीक करते हुए कहा. तो फिर उठो और जनता से कहो कि,. दिलीप शाक्य ]. प्रस्तुति :. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट.
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कविता कैफ़े .. [ KAVITA CAFE ]: नीम की पत्तियां और हवा
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16 नवंबर 2014. नीम की पत्तियां और हवा. नीम के दरख़्त की. पत्ती-पत्ती पर फिसलती हवा ने. उसके हरेपन को. और भी गाढ़ा कर दिया. कैसे धूप में चमक रही हैं. दरख़्त की दबी हुई खिलखिलाहटें. हवा से कहो. थोड़ी देर और ठहर जाए. अभी पूरी तरह लौटी नहीं. नीम के दरख़्त की खोई हुई मिठास. दिलीप शाक्य. प्रस्तुति :. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. तीन छाया-चित्र.
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कविता कैफ़े .. [ KAVITA CAFE ]: मैं और वह
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26 नवंबर 2014. मैं और वह. कविता-श्रृंखला. मैं पूरब से आया और वह पश्चिम से.फिर हम दोनों एक बाज़ार में पहुंचे. मैंने घोड़े की नाल खरीदी और उसने घोड़े के पंख. यह युद्ध का समय नहीं : मैंने उससे कहा. यह शांति का भी समय नहीं : उसने प्रतिवाद किया. घोड़ा कहां मिलेगा : तब मैंने पूछा. जहां प्रेम मिलेगा : तब उसने कहा. क्या यह प्रेम का समय है : मैंने उसकी आंखों के काजल का अर्थ समझते हुए पूछा. बहुत साफ सुनायी दे रही थी. दिलीप शाक्य ]. प्रस्तुति :. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. नई पोस्ट.
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कविता कैफ़े .. [ KAVITA CAFE ]: मैं और वह
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17 नवंबर 2014. मैं और वह. कविता-श्रृंखला. मैंने उससे कहा : तुम्हारी आंखें बहुत ख़ूबसूरत हैं. उसने मुझसे कहा : आसमान का रंग कितना साफ है. मैंने कहा : समुन्दर को किश्तियों में भर लें. उसने कहा : किश्तियों के डूब जाने का डर है. पार उतर के जाना भी कहां है : मैंने कहा. डूबने का बड़ा शौक़ है : उसने कहा. मैंने फिर कहा : तुम्हारी आंखें बहुत ख़ूबसूरत हैं. उसने फिर कहा : आसमान का रंग कितना साफ है. दिलीप शाक्य ]. प्रस्तुति :. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. नई पोस्ट.
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कविता कैफ़े .. [ KAVITA CAFE ]: मैं और वह
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17 नवंबर 2014. मैं और वह. कविता-श्रृंखला. मैं चांद के बहुत करीब खड़ा था. जब उसने सितारों की भरी महफ़िल में खोल दिए. अपने गेसुओं के सभी ख़म एकाएक. मैंने चांद से कहा: देखो तो, आसमान में कितनी दूर तक उड़ रहा है. तुम्हारे मन के सूरजमुखी का भीना-भीना पराग. तुम्हें कुछ ख़बर भी है. चांद ने मुझसे कहा : अहा, इसे तो ब्रेकिंग न्यूज़ होना चाहिए. चलो कोई न्यूज़ चैनल लगाओ. तुम भी, कहां डिस्कवरी चैनल पर रुके हुए हो. दिलीप शाक्य ]. प्रस्तुति :. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. नई पोस्ट.