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रविकर की कुण्डलियाँ: November 2013
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Friday, 29 November 2013. टाल खरीद फरोख्त, करो दिल्ली की रच्छा-. संतोष त्रिवेदी. हमने तो भोट डाल दिया आज ही. अच्छा है यह फैसला, टाला सदन त्रिशंकु. आप छोड़ते आप को, पैर पड़े नहीं पंकु. पैर पड़े नहीं पंकु, हाथ का साथ निभाया. दो बैलों का जोड़, लौट के घर को आया. टाल खरीद फरोख्त, करो दिल्ली की रच्छा. पाये बहुमत पूर्ण, यही तो सबसे अच्छा. Thursday, 28 November 2013. रहे हजारों वर्ष, सचिन पीपल सा दीखे-. भावानुवाद ). पीपल पात सा, भारत रत्न महान. थापित कर आदर्श, सकल जन गण मन सीखे. Wednesday, 27 November 2013. कि...
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प्रसून: जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत (21) चलो-चलो यह देश बचायें ! (‘शंख-नाद’ से)
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नयासन्देश. डैशबोर्ड. जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत (21) चलो-चलो यह देश बचायें! 8216;शंख-नाद’ से). 160;Friday, 14 November 2014 – गीत. सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार). चुपके-खुल कर अमन जलाते खिलता महका चमन जलाते. अशान्ति की जलती ज्वाला से- सुखद शान्ति का भवन जलाते. हिंसा के दुर्दम प्रयास से-. गांधी का सन्देश बचायें! चलो-चलो यह देश बचायें! भेद-भाव की राजनीति से जाति-धर्म की कूटनीति से. अलगावों के प्रचारकों से-. समता के परिवेश बचायें! चलो-चलो यह देश बचायें! 160; . 2 टिप्पणियाँ. 160; . 160; . जून 2...
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अर्पित ‘सुमन’: Tuesday, April 07, 2015
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अर्पित ‘सुमन’. मुख्यपृष्ठ. बावरा मन. मंगलवार, 7 अप्रैल 2015. दो बूँद अश्क पीकर. पाक हुई रूह. खाली दामन को. काँटों से भर. आबाद हुआ ज़िस्म. जिंदगी की मज़ार पर. अधूरे अरमानों ने सजदा किया! पर सु-मन (Suman Kapoor). जिन्दगी. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Links to this post. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). मैं. सु-मन. सु-मन (Suman Kapoor). मंडी, हिमाचल प्रदेश, India. नव्या में प्रकाशित. मेरी कौन हो तुम! तेरे बगैर. बागवां. This work is li...
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उम्मीद तो हरी है .........: 06/30/15
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उम्मीद तो हरी है . दौर पतझड़ का सही, उम्मीद तो हरी है. मंगलवार, जून 30, 2015. स्त्रियां जानती हैं. स्त्री को. बचा पाने की. जुगत में जुटे. पुरुषों की बहस. स्त्री की देह से प्रारंभ होकर. स्त्री की देह में ही. हो जाती है समाप्त - -. स्त्रियां. पुरषों को बचा पाने की जुगत में भी. रखती हैं घर को व्यवस्थित. सजती संवरती भी हैं - -. स्त्रियां जानती हैं. पुरुषों के ह्रदय. स्त्रियों की धड़कनों से. धड़कते हैं - -. पुरुषों की आँखें. नहीं देख पाती. स्त्रियों की आँखें. देखती हैं. ज्योति खरे". द्वारा. नई पोस्ट. सुबह ...
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उम्मीद तो हरी है .........: 06/18/15
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उम्मीद तो हरी है . दौर पतझड़ का सही, उम्मीद तो हरी है. गुरुवार, जून 18, 2015. होना तो कुछ चाहिए. कविता संग्रह का विमोचन. वरिष्ठ कवि ज्योति खरे के पहले कविता संग्रह "होना तो कुछ चाहिए" का विमोचन समारोह. 24 मई को हिंदी भवन,दिल्ली में आयोजित किया गया.समारोह की अध्यक्षता. भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक और सुप्रसिद्ध कवि श्री लीलाधर मंडलोई जी ने की,. साहित्यकार और कला समीक्षक डॉ राजीव श्रीवास्तव ने अपने उद्बो...संग्रह की सभी कवितायें नये दौर की ब...सातवें और आठवें दशक की, स&#...नवनीत जैसी पत&#...कार्...
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उम्मीद तो हरी है .........: 02/26/15
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उम्मीद तो हरी है . दौर पतझड़ का सही, उम्मीद तो हरी है. गुरुवार, फ़रवरी 26, 2015. आज भी रिस रहा है - - -. तराशा होगा. पहाड़ को. दर्दनाक चीख. आसमान तक तो. पहुंची होगी- -. आसमान तो आसमान है. वह तो केवल. अपनी सुनाता है. दूसरों की कहां सुनता है- -. कांपती सिसकती. पहाड़ की सासें. ना जाने कितने बरस. अपने बचे रहने के लिए. गिड़गिड़ाती रहीं- -. पहाड़ की कराह. को अनसुना कर. उसे नया शिल्प देने. इतिहास रचने. करते रहे. प्रहार पर प्रहार- -. अब जब कभी. कोई इनके करीब आता है. छू कर महसूसता है. इनका दर्द. द्वारा. गम अगरबत्...
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मुक्ताकाश....: July 2013
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मुक्ताकाश. बुधवार, 10 जुलाई 2013. कैसे इंसान हो गए हैं हम. अब अपने आप से परेशान हो गए हैं हम,. आदमी थे अब तलक, शैतान हो गए हैं हम! उन्हें जम्हूरियत ने सिखा दी ये अदा भी-. दीदें फाड़कर बताते हैं, महान हो गए हैं हम! ख़ुशी हो, गम हो या खौफनाक मंज़र हो,. सुर्खियाँ बटोरने को हैवान हो गए हैं हम! सियासत उनके पांवों की हाँ, बन है बेड़ी,. कभी बा-ईमान थे, बे-ईमान हो गए हैं हम! रो पड़ी आँखें मेरी, उजड़े चमन को देखकर,. और आँखें मूंदकर, भगवान् हो गए हैं हम! प्रस्तुतकर्ता. आनन्द वर्धन ओझा. नई पोस्ट. 6 वर्ष पहले. बालग&...
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मुक्ताकाश....: December 2012
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मुक्ताकाश. मंगलवार, 18 दिसंबर 2012. यादों के आइने में कवि बच्चन. समापन क़िस्त]. बाद के वर्षों में पत्राचार और संवाद शिथिल होता गया। बच्चनजी अस्वस्थ रहने लगे थे और पढ़ना-लिखना उनके लिए कठिनतर होता गया था। दिन पर दिन बीतते रहे। . वह 6 नवम्बर 1995 की सुबह थी। पिताजी मृत्यु-शय्या पर थे- शरीर की नितांत अक्षमता की दशा में- हतचेत से! भाभी इलाहाबादी में बोलीं- "ई तकलीफों कौन रही! हम इधर से जात रही तो सोचा तोसें मिल लेई! प्रस्तुतकर्ता. आनन्द वर्धन ओझा. 10 टिप्पणियां:. नवीं क़िस्त]. और उन्हें प&...2 टिप...
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वन्य प्राणी: March 2009
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वन्य प्राणी. यहाँ पर आप देखेंगे वन्य प्राणियों के जीवन लीला, उनके अनोखेपन, चरित्र, मानव व्यवहार एवं वन्य प्राणियों की आमो-खास गतिविधियाँ. सोमवार, 30 मार्च 2009. घरेलू पक्षियों-मुर्गी, बतख, हँस आदि को क्षति के कारण इनकी हत्या होती हैं. के नाम से जाना जाता है।. जंगली बिल्ली. अंग्रेजी नाम :. वैज्ञानिक नाम :. विस्तार :. सिर से शरीर करीब 70 से0मी0 तथा पूँछ 60 से0मी0 लम्बा।. पाँच से सात किलोग्राम।. चिडियाघर में आहार :. चिकेन ।. प्रजनन काल :. जनवरी-अप्रैल और अगस्त-नवम्बर।. दो वर्ष।. गर्भकाल :. संदर्...भार...
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वन्य प्राणी: April 2010
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वन्य प्राणी. यहाँ पर आप देखेंगे वन्य प्राणियों के जीवन लीला, उनके अनोखेपन, चरित्र, मानव व्यवहार एवं वन्य प्राणियों की आमो-खास गतिविधियाँ. शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010. झारखण्ड राज्य मॆं क्या थी वन्यजीवों की संख्या वर्ष-2002? Indian Giant Squirel 395. Census conducted between 29.01.2002 and 04.02.02). प्रेम सागर सिंह [Prem Sagar Singh]. कोई टिप्पणी नहीं:. प्रसंग: Wildlife Census. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). लेख शीर्षक [All Post]. मेरा अन्य ब्लॉग. 4 वर्ष पहले. एक रोट...