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आओ कि कोई ख़्वाब बुनें ......: मुक्तक
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आओ कि कोई ख़्वाब बुनें . गुनगुनी सी हवा है बहूँ ना बहूँ. अजनबी वेदना है सहूँ ना सहूँ. मुस्कुराते हुए गीत और छन्द में. अनमनी सी व्यथा है कहूँ ना कहूँ? अनूप भार्गव. Labels: मुक्तक. Panne kai aur the shocha likhu ya na likhu,jab aaya tumhare dar par to bandhta hi chalaa gaya. 10:38 am, January 10, 2007. राकेश खंडेलवाल. जानता था कि पल पल अकेला ही हूँ. सोचता हूँ कहानी कहूँ न कहूँ. ताजमहली मुझे कर दिया पीर ने. इश्क पाकर तुम्हारा ढहूँ न ढहूँ. 12:10 pm, January 10, 2007. 9:37 pm, January 10, 2007. दिव्...
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गीत सुनहरे: नारी
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गीत सुनहरे. आपका स्वागत है - आपके कहे कुछ शब्द मुझे भावविभोर करेंगे एवं दिशा प्रदान करेंगे! कवि कुलवंत . . मैं जब भी हूँ किसी इंसां के करीब जाता , अल्लाह तेरा बस तेरा ही वजूद पाता . कवि कुलवंत. Wednesday, December 7, 2011. सौंदर्य भरा अनंत अथाह,. इस सागर की कोई न थाह . कैसे नापूँ इसकी गहनता,. अंतस बहता अनंत प्रवाह . ज्योति प्रभा से उर आप्लावित,. प्राण सहज करुणा से द्रावित . अंतर्मन की गहराई में,. प्रेम जड़ें पल्लव विस्तारित. सरल हृदय संपूर्ण समर्पित,. कण- कण अंतस करती अर्पित . Labels: नारी. आदि क&#...
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गीत सुनहरे: Poetry by Vikram Saxena
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गीत सुनहरे. आपका स्वागत है - आपके कहे कुछ शब्द मुझे भावविभोर करेंगे एवं दिशा प्रदान करेंगे! कवि कुलवंत . . मैं जब भी हूँ किसी इंसां के करीब जाता , अल्लाह तेरा बस तेरा ही वजूद पाता . कवि कुलवंत. Wednesday, October 31, 2012. Poetry by Vikram Saxena. Poetry by Vikram Saxena. A very Loving Person. Ph: 09711144798 / 011-23315717. Http:/ www.facebook.com/vikramsaxena2006. 1) मैं कह न सका , शब्दों को माला में पिरो न सका. रास्ता-ऐ मक्का भी ये. रास्ता-ऐ महखाना भी ये. मगर अब यह आलम है. यूँ ही स&#...जान ए बह&...
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गीत सुनहरे: काले धन एवं नकली नोटों से छुटकारा : भ्रष्टाचार पूर्णत: खत्म
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गीत सुनहरे. आपका स्वागत है - आपके कहे कुछ शब्द मुझे भावविभोर करेंगे एवं दिशा प्रदान करेंगे! कवि कुलवंत . . मैं जब भी हूँ किसी इंसां के करीब जाता , अल्लाह तेरा बस तेरा ही वजूद पाता . कवि कुलवंत. Friday, January 28, 2011. काले धन एवं नकली नोटों से छुटकारा : भ्रष्टाचार पूर्णत: खत्म. काले धन एवं नकली नोटों से छुटकारा - भ्रष्टाचार पूर्णत: खत्म. काले धन की बात तो छोड़िए! नकली नोट कहां कहाँ से ढ़ूंढ़े और किस जतन से? बड़ी मुश्किल में सरकार. सारे काले धन की समस्या! कवि कुलवंत सिंह. अगर यह स्कीम जí...आदि...
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आओ कि कोई ख़्वाब बुनें ......: कुछ तो करना है ....
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आओ कि कोई ख़्वाब बुनें . कुछ तो करना है . ये माना कि मेरी. एक आवाज़ के उठ जाने से. कुछ नहीं होगा. लेकिन ये भी तय है . मेरे इस वक्त चुप रह जाने से. आने वाली पीढियों तक. कुछ नहीं होगा ।. अन्ना हजारे के समर्थन में. अनूप भार्गव. Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार. 164;¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤. आदरणीया अनूप भार्गव जी. सादर नमस्कार! आज है आपका जन्मदिवस…. जन्मदिवस के शुभ अवसर पर आपको बहुत बहुत बधाई और मंगलकामनाएं! राजेन्द्र स्वर्णकार. 4:51 am, September 09, 2011. अनूप जी,. सशक्त रहा ! Aap ki dosti...
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आओ कि कोई ख़्वाब बुनें ......: मुक्तक
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आओ कि कोई ख़्वाब बुनें . मीठी यादों की एक निशानी देखूँ. जज़्बों में पहचान पुरानी देखूँ. मैं जिसमे किरदार हुआ करता था. तेरे चेहरे पे वो कहानी देखूँ ।. अनूप भार्गव. लेकिन ओह! तेरे चेहरे पर वो कहानी देखूँ. किरदार गये वक्तों में .था तो मैं ही. पर , अलास (अंग्रेज़ी वाला ) हीरो था कोई और. और मैं सिर्फ. कॉमेडी रोल की चार लाईना ही .). अब जूते चप्पल मत मारियेगा :-). 2:49 am, June 16, 2008. नीरज गोस्वामी. अनूप जी. 3:43 am, June 16, 2008. 4:38 am, June 16, 2008. बहुत उम्दा. 9:49 am, June 16, 2008. Dr Chandra Kumar Jain.
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आओ कि कोई ख़्वाब बुनें ......: तुम जब से रूठी हो
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आओ कि कोई ख़्वाब बुनें . तुम जब से रूठी हो. तुम जब से रूठी हो. मेरे गीत अपना अर्थ खो बैठे हैं. मेरे ही गीत मुझ से ही खफ़ा हो. मुझ से दूर जा बैठे हैं. माना कि तुम मुझ से नाराज़ हो. लेकिन मेरे गीतों से तो नहीं. क्या तुम उनको भी मनानें नही आओगी? मेरे गीत फ़िर से नया अर्थ पानें को बेताब हो रहे हैं ।. अनूप भार्गव. Labels: कविता. संजय बेंगाणी. 1:29 am, November 20, 2006. 2:10 pm, November 20, 2006. अनूप भार्गव. संजय भाई:. 3:02 pm, November 20, 2006. भुवनेश शर्मा. शुक्रिया. 3:37 pm, November 20, 2006. कह देन&...
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आओ कि कोई ख़्वाब बुनें ......: तुम
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आओ कि कोई ख़्वाब बुनें . तुम कई बार. चुपचाप,. मेरे ज़हन में. आ कर बैठ जाती हो. कि मुझे. अपनी तनहाई. का भरम होने लगता है ,. और मैं. फ़िर से. तुम्हारे बारे में. सोचने लग जाता हूँ ।. अनूप भार्गव. Tum har bar.achchi kavita hai. 12:19 pm, July 24, 2013. सुनील गज्जाणी. AAP KE BLOG PAR AANNA ACHCHA LAGA /. 3:44 am, April 26, 2014. Start self publishing with leading digital publishing company and start selling more copies. Publish ebook with ISBN, Print on Demand. 1:51 am, October 14, 2015. तनहाई का भरम.
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आओ कि कोई ख़्वाब बुनें ......: कभी लिखा था ...
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आओ कि कोई ख़्वाब बुनें . कभी लिखा था . जज़्बातों की उठती आँधी. हम किसको दोषी ठहराते. लम्हे भर का कर्ज़ लिया था. सदियां बीत गई लौटाते ।. वो लड़ना झगड़ना रूठना और मनाना. किस्से सभी ये पुराने हुए हैं. वो कतरा के छुपने लगे हैं हमीं से. महबूब मेरे सयाने हुए हैं ।. अनूप भार्गव. अनूप शुक्ल. ईद के चांद होली में दिखे। सही है दिखे तो सही।. 10:40 pm, March 21, 2008. कंचन सिंह चौहान. 4:43 am, March 22, 2008. 6:36 am, March 22, 2008. सुनीता शानू. 11:24 pm, March 22, 2008. 3:24 am, March 23, 2008. अनूप भाई,. अनूप ज&#...