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आध्यात्मिक यात्रा: April 2015
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आध्यात्मिक यात्रा. Saturday, 25 April 2015. स्व-जागरूकता. थोड़ी सी ख़्वाहिशें. संतुष्टि उससे जो हाथ में ,. अनुभूति खुशियों की. सभी परिस्थितियों में ,. जब होने लगता अहसास. नहीं कुछ कमी स्व-उपलब्धि में ,. सब कुछ हो जाता अपना. सम्पूर्ण विश्व मुट्ठी में ,. हो जाता विस्तृत आयाम. चेतना का. स्वयं की जागरूकता में।. कैलाश शर्मा. Links to this post. Labels: आध्यात्मिक यात्रा. खुशियाँ. संतुष्टि. स्व-उपलब्धि. स्व-जागरूकता. Wednesday, 8 April 2015. मुक्ति बंधनों से. किसी विचार. होते अनवरत बदलाव,. Links to this post.
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बातें-कुछ दिल की, कुछ जग की: “परछाइयों के उजाले” – आईना ज़िंदगी का
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बातें-कुछ दिल की, कुछ जग की. Friday, 18 April 2014. 8220;परछाइयों के उजाले” – आईना ज़िंदगी का. कविता वर्मा जी के कहानी लेखन से पहले से ही परिचय है और उनकी लिखी कहानियां सदैव प्रभावित करती रही हैं. उनका पहला कहानी संग्रह “परछाइयों के उजाले”. 8217; यही आत्म-विश्वास और व्यावहारिकता ही दोनों कहानियों का सशक्त पक्ष है. आज के बदलते रिश्तों की सच्चाई को बहुत संवेदनशीलता से चित्रित करती है. 8216;पुकार’. 8216;एक खालीपन की नायिका’. कहानी में इसी संघर्ष को बहुत प...और ‘पहचान’. की नायिका क...18 April 2014 at 13:34.
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बातें-कुछ दिल की, कुछ जग की: बुजुर्गों में बढ़ती असुरक्षा की भावना
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बातें-कुछ दिल की, कुछ जग की. Saturday, 10 March 2012. बुजुर्गों में बढ़ती असुरक्षा की भावना. सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर बुजुर्गों को जो नाम मात्र की पेंशन दी जाते है क्या उसमें किसी व्यक्ति का गुज़ारा संभव है? हम ये न भूलें कि सभी को एक दिन इस अवस्था से गुजरना होगा. कैलाश शर्मा. डॉ॰ मोनिका शर्मा. 10 March 2012 at 23:12. जी , स्थिति सच में विचारणीय है. सार्थक आलेख. 11 March 2012 at 13:58. 12 March 2012 at 10:14. सत्य लिखा है आपने सर! हम सबको मिलकर. 12 March 2012 at 12:59. 12 March 2012 at 16:01.
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बातें-कुछ दिल की, कुछ जग की: May 2012
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बातें-कुछ दिल की, कुछ जग की. Tuesday, 15 May 2012. किशोरों में बढ़ती अपराध प्रवृति. आगे पढने के लिये कृपया इस लिंक पर क्लिक करें. Kashish - My Poetry: किशोरों में बढ़ती अपराध प्रवृति. Subscribe to: Posts (Atom). श्रीमद्भगवद्गीता (भाव पद्यानुवाद). ये ब्लॉग भी मेरे हैं. Kashish - My Poetry. समस्याएं अनेक, व्यक्ति केवल एक. आध्यात्मिक यात्रा. अष्टावक्र गीता - भाव पद्यानुवाद (छत्तीसवीं कड़ी). बच्चों का कोना. गर्मी मीठे फल है लाती. View my complete profile. दिनांक २२.०२.२०१२. Http:/ www.blogprahari.com/.
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आध्यात्मिक यात्रा: June 2015
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आध्यात्मिक यात्रा. Wednesday, 10 June 2015. खुशियों का आधार. जीवन की खुशियों का आधार. नहीं केवल उपलब्धियां. प्रयास अनुभव करने का. जीवन में खुशियाँ. कम से कम बाह्य वस्तुओं में।. धन नहीं है पर्याय. संग्रह सांसारिक वस्तुओं का. असली धन है. होना न्यूनतम इच्छाओं का।. कैलाश शर्मा. Links to this post. Labels: आघ्यात्मिक यात्रा. इच्छाएं. उपलब्धियां. खुशियाँ. बाह्य वस्तुएं. Subscribe to: Posts (Atom). खुशियों का आधार. View my complete profile. Http:/ www.blogprahari.com/. Http:/ www.blogprahari.com/.
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बातें-कुछ दिल की, कुछ जग की: October 2011
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बातें-कुछ दिल की, कुछ जग की. Friday, 7 October 2011. रावण अभी भी जीवित है. सम्पूर्ण. लड़कियां. अपने भाई के साथ लौट रहीं थीं तब एक गाड़ी में जा रहे कुछ. लड़कों. से छेड़छाड़ की और उसे गाड़ी में खीचने के कोशिश की. के शोर मचाने पर. के भाई और कुछ राहगीरों ने लड़कों को पकड़ कर पुलिस को सौंप दिया. विजयादशमी. के दिन. Subscribe to: Posts (Atom). श्रीमद्भगवद्गीता (भाव पद्यानुवाद). ये ब्लॉग भी मेरे हैं. Kashish - My Poetry. समस्याएं अनेक, व्यक्ति केवल एक. आध्यात्मिक यात्रा. View my complete profile.
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Kashish - My Poetry: June 2015
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Kashish - My Poetry. Sunday, June 14, 2015. मत ढूंढो पगडंडियां. बनायी औरों की. सुखद यात्रा को. बनाओ अपनी पगडंडी. और चुनो अपनी. एक नयी मंज़िल. जरूरी तो नहीं सही हो. हर भीड़ वाली राह,. क्यूँ बनते हो हिस्सा. किसी काफ़िले का. मत चलो किसी के पीछे. थाम कर हाथ उसकी सोच का. जागृत करो अपनी सोच. अपना आत्म-चिंतन. समेटो अपनी बांहों में. स्व-अर्जित अनुभव. बनाओ स्वयं अपनी पगडंडी. अपनी मंज़िल को. खड़े हो धरा पर. अपने पैरों पर अविजित।. कैलाश शर्मा. प्रस्तुतकर्ता Kailash Sharma. 29 टिप्पणियाँ. लेबल: अनुभव. हिंद...Http:/ ww...
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आध्यात्मिक यात्रा: September 2014
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आध्यात्मिक यात्रा. Thursday, 18 September 2014. मनवा न लागत है तुम बिन. मनवा न लागत है तुम बिन. जब से श्याम गए हो ब्रज से, तड़पत है हिय निस दिन. सूना लागत बंसीवट का तट, न लागत मन तुम बिन. पीत कपोल भये हैं कारे, अश्रु बहें नयनन से निस दिन. अटके प्रान गले में अब तक, आस दरस की निस दिन. वृंदा सूख गयी है वन में, यमुना तट उदास है तुम बिन. आ जाओ अब तो तुम कान्हा, प्यासा मन है तुम बिन. कैलाश शर्मा. Links to this post. Labels: आध्यात्मिक यात्रा. कान्हा. वृंदा. Subscribe to: Posts (Atom). View my complete profile.
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आध्यात्मिक यात्रा: July 2015
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आध्यात्मिक यात्रा. Sunday, 12 July 2015. मोह लोभ से मुक्त है. जब अंतर्मन होय।. ईश भक्ति के नीर से. पूरित घट तब होय।।(१). अपने कर्म न देखते. देत नियति को दोष।. कालिख छू कालिख लगे. कालिख का क्या दोष।।(२). जन्म न दुख न मृत्यु सुख. केवल मन की सोच।. जीवन का यह चक्र है. आगे बढ़ मत सोच।।(३). मन की बात न मन सुने. मन ही है पछताय।. मन से मन की जीत है. मन ही देय हराय।।(४). तेरा मेरा करन में. जीवन दिया बिताय।. अंत समय जब आत है. सब पीछे रह जाय।।(५). अपने दुख से सब दुखी. दिन होते उड़ जाय।. Links to this post.
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