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आध्यात्मिक यात्रा: April 2015
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आध्यात्मिक यात्रा. Saturday, 25 April 2015. स्व-जागरूकता. थोड़ी सी ख़्वाहिशें. संतुष्टि उससे जो हाथ में ,. अनुभूति खुशियों की. सभी परिस्थितियों में ,. जब होने लगता अहसास. नहीं कुछ कमी स्व-उपलब्धि में ,. सब कुछ हो जाता अपना. सम्पूर्ण विश्व मुट्ठी में ,. हो जाता विस्तृत आयाम. चेतना का. स्वयं की जागरूकता में।. कैलाश शर्मा. Links to this post. Labels: आध्यात्मिक यात्रा. खुशियाँ. संतुष्टि. स्व-उपलब्धि. स्व-जागरूकता. Wednesday, 8 April 2015. मुक्ति बंधनों से. किसी विचार. होते अनवरत बदलाव,. Links to this post.
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आध्यात्मिक यात्रा: June 2015
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आध्यात्मिक यात्रा. Wednesday, 10 June 2015. खुशियों का आधार. जीवन की खुशियों का आधार. नहीं केवल उपलब्धियां. प्रयास अनुभव करने का. जीवन में खुशियाँ. कम से कम बाह्य वस्तुओं में।. धन नहीं है पर्याय. संग्रह सांसारिक वस्तुओं का. असली धन है. होना न्यूनतम इच्छाओं का।. कैलाश शर्मा. Links to this post. Labels: आघ्यात्मिक यात्रा. इच्छाएं. उपलब्धियां. खुशियाँ. बाह्य वस्तुएं. Subscribe to: Posts (Atom). खुशियों का आधार. View my complete profile. Http:/ www.blogprahari.com/. Http:/ www.blogprahari.com/.
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बच्चों का कोना: October 2014
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बच्चों का कोना. अगर चाहते हो तुम खुशियाँ, ढूँढो इसको बचपन में. बुधवार, 22 अक्तूबर 2014. चलो सभी एक दीप जलायें. Painting by Abhyudai Tiwari). दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें*. गहन अँधेरा आज छा रहा,. चलो सभी एक दीप जलायें।. कम न रोशनी घर की होगी,. ग़र प्रकाश कुटियों में लायें।. हर चहरे पर खुशी नहीं हो,. तो खुशियाँ हैं सदा अधूरी।. एक कोना भी जो अँधियारा,. दीपावली न हो पाये पूरी।. भूखे पेट, नग्न तन जो हैं,. कहीं उदासी रहे न बाक़ी,. नहीं अभाव किसी घर में हो।. कैलाश शर्मा. इसे ईमेल करें. कुटिया. Kashish - My Poetry.
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Kashish - My Poetry: June 2015
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Kashish - My Poetry. Sunday, June 14, 2015. मत ढूंढो पगडंडियां. बनायी औरों की. सुखद यात्रा को. बनाओ अपनी पगडंडी. और चुनो अपनी. एक नयी मंज़िल. जरूरी तो नहीं सही हो. हर भीड़ वाली राह,. क्यूँ बनते हो हिस्सा. किसी काफ़िले का. मत चलो किसी के पीछे. थाम कर हाथ उसकी सोच का. जागृत करो अपनी सोच. अपना आत्म-चिंतन. समेटो अपनी बांहों में. स्व-अर्जित अनुभव. बनाओ स्वयं अपनी पगडंडी. अपनी मंज़िल को. खड़े हो धरा पर. अपने पैरों पर अविजित।. कैलाश शर्मा. प्रस्तुतकर्ता Kailash Sharma. 29 टिप्पणियाँ. लेबल: अनुभव. हिंद...Http:/ ww...
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आध्यात्मिक यात्रा: September 2014
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आध्यात्मिक यात्रा. Thursday, 18 September 2014. मनवा न लागत है तुम बिन. मनवा न लागत है तुम बिन. जब से श्याम गए हो ब्रज से, तड़पत है हिय निस दिन. सूना लागत बंसीवट का तट, न लागत मन तुम बिन. पीत कपोल भये हैं कारे, अश्रु बहें नयनन से निस दिन. अटके प्रान गले में अब तक, आस दरस की निस दिन. वृंदा सूख गयी है वन में, यमुना तट उदास है तुम बिन. आ जाओ अब तो तुम कान्हा, प्यासा मन है तुम बिन. कैलाश शर्मा. Links to this post. Labels: आध्यात्मिक यात्रा. कान्हा. वृंदा. Subscribe to: Posts (Atom). View my complete profile.
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आध्यात्मिक यात्रा: July 2015
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आध्यात्मिक यात्रा. Sunday, 12 July 2015. मोह लोभ से मुक्त है. जब अंतर्मन होय।. ईश भक्ति के नीर से. पूरित घट तब होय।।(१). अपने कर्म न देखते. देत नियति को दोष।. कालिख छू कालिख लगे. कालिख का क्या दोष।।(२). जन्म न दुख न मृत्यु सुख. केवल मन की सोच।. जीवन का यह चक्र है. आगे बढ़ मत सोच।।(३). मन की बात न मन सुने. मन ही है पछताय।. मन से मन की जीत है. मन ही देय हराय।।(४). तेरा मेरा करन में. जीवन दिया बिताय।. अंत समय जब आत है. सब पीछे रह जाय।।(५). अपने दुख से सब दुखी. दिन होते उड़ जाय।. Links to this post.
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बच्चों का कोना: January 2014
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बच्चों का कोना. अगर चाहते हो तुम खुशियाँ, ढूँढो इसको बचपन में. गुरुवार, 16 जनवरी 2014. सूरज भैया बाहर आओ. सूरज भैया बाहर आओ,. इस सर्दी से हमें बचाओ. ओढ़ रजाई तुम कोहरे की. बड़े मज़े में सोए रहते. ठंड और कोहरे के कारण. हम हैं क़ैद घरों में रहते. दांत किटकिटाने लगे हमारे,. अब तो तुम बाहर आ जाओ. सडकों पार सोने वालों की. तकलीफों के बारे में सोचो. जिनके तन पर वस्त्र नहीं हैं,. उन के बारे में भी सोचो. आ जाओ बाहर रजाई से,. अपनी धूप हमें दिखलाओ. पानी जम कर बर्फ़ हो गया,. कैलाश शर्मा. लेबल: कोहरा. नई पोस्ट. प्रय...
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आध्यात्मिक यात्रा: August 2015
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आध्यात्मिक यात्रा. Thursday, 20 August 2015. अष्टावक्र गीता - भाव पद्यानुवाद (पांचवीं कड़ी). द्वितीय अध्याय (२.0१-२.0५). राजा जनक ने कहा :. King Janak says :. मैं निर्दोष, शांत, परे प्रकृति से, कैसे इससे अनभिज्ञ रहा. मैं हूँ ज्ञान स्वरुप भूल कर, क्यों मोह जाल संतप्त रहा (२.१). I am spotless, calm and beyond nature. I am knowledge. Personified. I am surprised why I remained deluded. So long. (2.1). As I illuminate this body, similarly I illuminate this. Is mine, or is nothing. (2.2). Links to this post.
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आध्यात्मिक यात्रा: May 2014
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आध्यात्मिक यात्रा. Wednesday, 28 May 2014. जीवन और उपलब्धि. पैदा करो विश्वास. स्वयं की शक्ति पर,. छुपी है तुम्हारे अन्दर. चिंगारियां. अनंत संभावनाओं की,. प्रज्वलित करो उन्हें. अपने विश्वास की. हवा से. ढालो अपने आप को. ऐसे सांचे में. गर्व हो जिस पर. तुम्हें अपने जीवन. व उसकी उपलब्धि पर. कैलाश शर्मा. Links to this post. Labels: आध्यात्मिक यात्रा. चिंगारियां. विश्वास. संभावनाएं. Subscribe to: Posts (Atom). जीवन और उपलब्धि. View my complete profile. Http:/ www.blogprahari.com/. Kashish - My Poetry.
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