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"प्रेम ही सत्य है": भूला बिसरा ब्लॉग़ - बुनो कहानी 2
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प्रेम ही सत्य है". नारी-मन के प्रतिपल बदलते भाव जिसमें जीवन के सभी रस हैं। " मीनाक्षी. Tuesday, September 30, 2014. भूला बिसरा ब्लॉग़ - बुनो कहानी 2. अपराध बोध : अध्याय 1 : भयानक रातें. द्वारा तरुण. उसकी माँ ने जवाब दिया, "हाँ, बेटा पता नही इसको क्या हो गया है? इस कथा का दूसरा भाग. लिखा है मीनाक्षी ने। अवश्य पढ़ें।]. Labels: "अपराध बोध". अगर कोई और तैयार हो तो ठीक वरना मैं भी इच्छुक हूँ।. May 20, 2006 1:02 am. मैं भी इच्छुक हूँ।. October 11, 2006 8:18 pm. मीनाक्षी. September 23, 2007 2:24 am. दिन...
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प्यार : March 2014
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Sunday, March 16, 2014. किसे चाहिये दुनिया का हर रंग. जीवन में बस प्यार को संग. फिर होली खुद ही हो जायेगी रंग - बिरंग. मेरे इन ख्यालों के साथ. होली मनाओ ले कर हाँथो में हाँथ . होली कि आप सभी को ढेरों शुभकामनायें. Links to this post. Saturday, March 15, 2014. पता नहीं क्यों. पर इन दिनों. बड़ी शिद्दत से. महसूस हो रहा था की. तूने दुरी बना ली है मुझसे ,. फिर लगा. प्यार पर. हावी हो गया है ,. या तुझे मेरी. अब परवाह ही नहीं ,. जो भी था. मैंने अपने आप को. इस परिस्थिति के. मुताबिक. और उस आवाज़ में. Its time to writ...
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आँसू: July 2015
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Friday, July 10, 2015. बड़ा अजीब सा मंझर है ये मेरी जिन्दगी की उलझन का. बड़ा अजीब सा मंझर है ये मेरी जिन्दगी की उलझन का. गहरी ख़ामोशी में डूबा हुआ है सजर ये मेरे अपनों का. सिले होठों के भीतर तूफानों की सरसराहट से टूटते सब्र. लगता है जहर बो दिया हो किसीने अपने अरमानों का. आवाजों को निगलते मेरी बातों के अंजाम का खौफ. खुली हवाओं में घुला हो जहर तहजीब व् सलीकों का. जीने का हुनर सीखते २ रूठ गयी है जिन्दगी मुझसे. आपनो से इतनी नफरत कि बस भाग जाऊकही. डॉ आलोक त्रिपाठी (२०१५). Subscribe to: Posts (Atom).
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लम्हों का सफ़र: 492. दुःखहरणी...
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लम्हों का सफ़र. मन की अभिव्यक्ति का सफ़र. Wednesday 1 April 2015. 492 दुःखहरणी. दुःखहरणी. जीवन के तार को साधते-साधते. मन रूपी अंगुलियाँ छिल गई हैं. जहाँ से रिसता हुआ रक्त. बूँद-बूँद धरती में समा रहा है,. मेरी सारी वेदनाएँ सोख कर धरती. मुझे पुनर्जीवन का रहस्य बताती है. हार कर जीतने का मंत्र सुनाती है,. जानती हूँ. संभावनाएँ मिट चुकी है. सारे तर्क व्यर्थ ठहराए जा चुके हैं. पर कहीं न कहीं. जीवन का कोई सिरा. जो धरती के गर्भ में समाया हुआ है. यह धरती मुझे झकझोर देती है. जीवन प्रवाहमय रहे. April 02, 2015 8:14 PM.
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खस्ता शेर - खुदा खैर: June 2013
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खस्ता शेर - खुदा खैर. मूँ लटकाते आओगे और दांत दिखाते जाओगे - ऐसी तासीर है हमारे खस्ता शेरों की. शनिवार, 15 जून 2013. बेमेल विवाह - खस्ता कुंडली. मुँह में आँत न पेट में दाँत, चले ब्याह रचाने. कुछ ही गज पर खड़े हुए यमदूत लिवाने. दिन कम हैं घर बसाता हो जाए न लेट. चौथी शादी करे है विधुर नगर का सेठ. नगर का सेठ, ब्याह में जुटे हजारों लोग. पॉपधुनों पर नाचते छकते छप्पन भोग. छकते छप्पन भोग चकित हैं नर नारी. बूढ़े संग जीवन काटेगी कमसिन बेचारी. इंटरव्यू करने चले बनकर ये याचक. इसे ईमेल करें. कुंडली. हरिशं...
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खस्ता शेर - खुदा खैर: December 2013
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खस्ता शेर - खुदा खैर. मूँ लटकाते आओगे और दांत दिखाते जाओगे - ऐसी तासीर है हमारे खस्ता शेरों की. रविवार, 29 दिसंबर 2013. बस उनकी आँखें ही लॉगिन करती हैं. खस्ता शेर" के ढाबे पे आके सनातन कालयात्री. है अपने दिल का अकाउंट बहुत महफूज. बस उनकी आँखें ही लॉगिन करती हैं! और ये है फाइनल खस्ता गजल। अच्छी तरह चबा-चबा के पढ़िये:. दिल का है मेरे खाता, चौकस रखवाली है. छूट उनको मिली है हर द्वार की ताली है॥. रेले-दिल छूटी है, टेसन हुआ खाली है॥. अनुराग शर्मा. प्रस्तुतकर्ता Smart Indian. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. निर&#...
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प्यार : August 2014
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Thursday, August 28, 2014. जाने क्यूँ . जाने क्यूँ . कभी-कभी घर का काम. करते -करते कुछ गानों के शब्द. ऐसे मन को छू जातें हैं की. बैठ कर उसे पूरा सुनने को. और उस गीत मे. खो जाने को मन करता है. जाने क्यूँ………. और तब गीत सुनते सुनते. दिल भरने लगता है. आँखों से अविरल आँसू. बहने लगते है. जाने क्यूँ………. मन करता है. तुम्हारे कंधे पर. रोती रहूँ. आँसुओं से. तुम्हे भिगोती रहूँ. जाने क्यूँ………. भूल जाऊँ. सारे गीले शिकवे. भूल जाऊँ सारे गम. तुम्हारे आगोश मे समाये. मन को समझाओ. जितना भी बहलाओ. नही समझता. एकटक बस नि...
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खस्ता शेर - खुदा खैर: June 2012
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खस्ता शेर - खुदा खैर. मूँ लटकाते आओगे और दांत दिखाते जाओगे - ऐसी तासीर है हमारे खस्ता शेरों की. मंगलवार, 12 जून 2012. चक्कू रामपुरी "अहिंसक" के सर्वश्रेष्ठ खस्ता दोहे. चित्र व दोहे: अनुराग शर्मा. तुकमारिया खायें, खस्ता शेर बनायें, पुरस्कार पायें. बे बाँटैं तौ रेवड़ी, हम कर दें तौ खून. बे तौ मालामाल हैं, हम तरसैं दो जून. आइस पाइस टीप के, बने टिप्पणी वीर. दाने पाँच न बो सकैं, फिर भी खाबैं खीर. छुरी बगल मैं दाब के, झूठा कर गुनगान. प्रस्तुतकर्ता Smart Indian. 26 टिप्पणियाँ. लेबल: दोहे. नई पोस्ट. निर...
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खस्ता शेर - खुदा खैर: May 2012
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खस्ता शेर - खुदा खैर. मूँ लटकाते आओगे और दांत दिखाते जाओगे - ऐसी तासीर है हमारे खस्ता शेरों की. गुरुवार, 24 मई 2012. टांग चबाते रहिये. चित्र व दोहे: अनुराग शर्मा. जापान से स्वर्णजटित मिष्ठान्न. अंटी में नामा भरा अपनी सुनाते रहिये. माल जो मुफ्त मिले जम के उड़ाते रहिये. नज़्र चूके औ वो सामने पड़ जायें तौ. दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिये*. हूट करता हो जहाँ, बोर न समझें खुद को. टोके जग सारा तो भी अपनी बताते रहिये. जो कही खूब कही अब तो निकल ले शायर. प्रस्तुतकर्ता Smart Indian. नई पोस्ट. कश्मकश - कव&...