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गुलमोहर: October 2012
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राजेश उत्साही. गुल्लक. यायावरी. सोमवार, 1 अक्तूबर 2012. गांधी का रास्ता. राजेश उत्साही. पहले हमने गांधी को पढ़ा. फिर हमने गांधी को गढ़ा. पहले हमने गांधी को मार दिया. फिर हमने गांधी को याद किया. गांधी जी कहते थे. तुम दुनिया में जैसा बदलाव देखना चाहते हो,. पहले वैसा बदलाव स्वयं में लाओ।. हम सब वही कर रहे हैं,जैसी दुनिया बनाना चाहते हैं. वैसे ही अपने को बदल रहे हैं।. हम गांधी के बताए रास्ते पर ही तो चल रहे हैं।. 0राजेश उत्साही. प्रस्तुतकर्ता. राजेश उत्साही. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. मन , एक बदमा...
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गुलमोहर: December 2013
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राजेश उत्साही. गुल्लक. यायावरी. गुरुवार, 12 दिसंबर 2013. परिचित-अपरिचित. जगहों में. लोग अपरिचितों की तरह बरतते हैं. टकराते हैं. जगहों पर. तो परिचितों की तरह मिलते हैं।. 0 राजेश उत्साही. प्रस्तुतकर्ता. राजेश उत्साही. 3 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: परिचित-अपरिचित. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). गुलमोहर के बहाने. मेरा पहला कविता संग्रह. थोड़ा-बहुत. यायावरी'. गुल्लक'. डॉ उर...
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अविराम: 03/04/15
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समग्र साहित्य का मासिक संकलन (इस ब्लॉग पर प्रकाशित सामग्री मुद्रित प्रारूप में प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका "अविराम साहित्यिकी" से अलग है।). आपका परिचय. बुधवार, 4 मार्च 2015. ब्लॉग का मुखप्रष्ठ. अविराम ब्लॉग संकलन :. वर्ष : 4, अंक. जनवरी-फ़रवरी 2015. प्रधान संपादिका :. मध्यमा गुप्ता. संपादक :. डॉ. उमेश महादोषी. मोबाइल: 09458929004). संपादन परामर्श :. डॉ. सुरेश सपन. ई मेल :. लेवल/खंड में दी गयी है।. छाया चित्र : श्रद्धा पाण्डेय. 2404;।सामग्री।।. सम्पादकीय पृष्ठ. सम्पादकीय पृष्ठ. कविता अनवरत. महेश प...
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बोतल खाली नहीं है: दो कविताएँ
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बोतल खाली नहीं है. उमेश महादोषी की कविताएं. Monday, March 18, 2013. दो कविताएँ. झूठी कविता. परिस्थितियाँ. माँ से बड़ी हो गयीं हैं. और सुबह-शाम. दोनों समय की मिलाकर. उनकी कुल दो रोटियाँ भी. हम पर भारी पड़ गयीं हैं. ठीक ही है शायद. माँ की परवरिश में. कोई कमी रही होगी. छाया चित्र : उमेश महादोषी. जो हमें वो शक्ति नहीं दे पायी. कि हम ‘परिस्थितियों’ से लड़ पाते. और पूरे चौबीस घंटों के दिवस में. दो समय पर. उसे दो रोटियाँ दे पाते. सिवाय इसके कि किसी अज्ञात से. पता नहीं. समझ नहीं आता है. आँखों स...आँसु...
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बोतल खाली नहीं है: June 2011
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बोतल खाली नहीं है. उमेश महादोषी की कविताएं. Thursday, June 30, 2011. एक व्यक्ति का होना. महत्वपूर्ण. व्यक्ति. दोनों. महत्वपूर्ण. कुर्सी. व्यक्ति. पॉलीथीन. व्यक्ति. दिनों. महत्वपूर्ण. जायेगा. व्यक्ति. उद्देश्य. पहुँचता. उद्देश्य. व्यक्तियों. क्यों. व्यक्ति. उद्देश्य. व्यक्ति. उमेश महादोषी. Labels: २००९ के बाद की कवितायें. Subscribe to: Posts (Atom). १९९२ तक की कवितायेँ. २००९ के बाद की कवितायें. २००९ के बाद की कवितायेँ ( हाइकु). एक व्यक्ति का होना. उमेश महादोषी. View my complete profile.
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बोतल खाली नहीं है: September 2010
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बोतल खाली नहीं है. उमेश महादोषी की कविताएं. Sunday, September 26, 2010. कुछ हाइकु. टालना छोड़ो. होने दो एक बार. होना है जो भी! अलविदा, हे! शब्दों का यह गुच्छा. तुम्हारे लिए. फिर मिलेंगे. जो नहीं निभ सका. निभाने उसे. मैं देखूं बस. मछली की सूरत. इस झील में. उमेश महादोषी. Labels: २००९ के बाद की कवितायेँ ( हाइकु). Subscribe to: Posts (Atom). १९९२ तक की कवितायेँ. २००९ के बाद की कवितायें. २००९ के बाद की कवितायेँ ( हाइकु). 2009 के बाद की कवितायें(हाइकु). कुछ हाइकु. उमेश महादोषी. View my complete profile.
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बोतल खाली नहीं है: September 2013
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बोतल खाली नहीं है. उमेश महादोषी की कविताएं. Wednesday, September 11, 2013. एक कविता. छाया चित्र : उमेश महादोषी. ओढ़ी हुई चादर. स्वप्न में. मैं उत्तराखण्ड के. सी एम की कुर्सी पर था. और नींद के साथ. मेरा चैन भी गायब था. कानों में. मृत्यु से भी भयंकर तबाही झेलते. लोगों का कृन्दन. और आँखों में. किसी बूढ़े-सठियाए हाईकमान का चेहरा. पसीने से तर-बतर किए था. राम जाने! मैं कितना बेवश था. अचानक मेरी नींद टूटी. मैंने ओढ़ी हुई चादर को. उतारकर फेंक दिया. अपनी आँखें बन्द कीं. और कानों को. Subscribe to: Posts (Atom).
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गुलमोहर: February 2013
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राजेश उत्साही. गुल्लक. यायावरी. बुधवार, 13 फ़रवरी 2013. हिंसा.और नहीं बस और नहीं. साथी चंद्रिका. के सौजन्य से, उनकी बिटिया नेहा. द्वारा किसी अन्य कृति को. देखकर बनाई गई की यह कृति. र्पित जिनके बिना यह. दुनिया बन ही नहीं सकती, चल ही नहीं स कती. मीठे बोलों में भी हिंसा है. तीखे बोलों में भी हिंसा है. चालू बोलों में भी हिंसा है. टालू बोलों में भी हिंसा है. समझने की जरूरत है कि. बोलने वालों की क्या मंशा है. भारी गहने तन पर हिंसा हैं. समझने की जरूरत है कि. कैसी ,. हिंसा. हिंसा. हिंसा. Twitter पर सा...