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Kavya Therapy: 01/14/10
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गुरुवार, 14 जनवरी 2010. जाड़ा चला हिमालय से. जाड़ा चला हिमालय से. लेकर अपनी फौज।. मिल-जुलकर सब बैठ गए. अपने मन की मौज।. जाड़े ने हमला बोला. जो ग़रीब था भाई।. पर ग़रीब ने जाड़े को. आंच की ढाल दिखाई।. सुबह चार घंटे हुई. जमकर खूब लड़ाई।. सूरज जी आ गए तभी. दोनों की रार* मिटाई।. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. 2 टिप्पणियां:. लेबल: जाड़ा. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). मेरे पाठक मेरे आलोचक. जाड़ा चला हिमालय से. मेरे बारे में. नयी दिल्ली, India. मातृभाषा. आउट ऑफ़ डेट. शिक...
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Kavya Therapy: 03/16/10
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मंगलवार, 16 मार्च 2010. कल भी मैं कहूँगा. आज तुम इन्क्रीमेंट ना दो, . ना दो. भी मैं कहूँगा. तुम देनवारे हो, दाता हो, स्वामी हो, गोविन्द हो. मेरे अप्रैसल फ़ार्म में मेरा पुनः मूल्यांकन. वाले अथार्टी पर्सन. मेरा परमोशन रोके रहो, . रहो. तुम्हारे लिए. पेज़ दर पेज़ एन्टर करते. तुम्हारे ही दिल में एक दिन. एन्टर कर जाऊंगा।. तुम्ही ने दिया है यह हक़. तुम्ही ने हाथों में बाँधी है एन्टर करने की स्पीड. यह मैं हर क्षण जानता हूँ।. गति यहाँ सब कुछ है, . सांस गिन कर लो. दबावों. टारगेट अचीव करो. स्वामि! के सा...
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॥ दर्शन-प्राशन ॥: Dec 30, 2009
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2405; दर्शन-प्राशन ॥. बुधवार, 30 दिसंबर 2009. Kisi ka saal ye nootan. किसी का साल ये नूतन. पिचकता पेट. बन गया आदर्श मेरा अब. मरूंगा. भूख से? या, चिलचिलाती धुप (dhoop) से? मैं कब? मरें हैं अनगिनित निर्धन. वसन से हीन भिक्षुक बन. कटोरा हाथ में ले मांगते. फिरते रहे जो धन. विवश हो देखती माता. वसन से हीन कन्याएं. मरा परिवार में कोई. वसन-शव खींच ले आये. उसी से ढांकते हैं तन. उसी से ढांकते यौवन. उसी से कर रहे देखो. सुरक्षित स्वयं का जीवन. दिखायेगी अभी वर्षा. निराले ढंग आकर के. और जानिएं. नई पोस्ट. बढ़ती भ&#...
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॥ दर्शन-प्राशन ॥: काव्य-शिक्षा [आशु कविता – 6]
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2405; दर्शन-प्राशन ॥. शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015. काव्य-शिक्षा [आशु कविता – 6]. प्रायः किसी भी आशु कविता का शरीर प्रयोक्ता के बहुप्रयुक्त शब्दों से तैयार होता है। प्रयोक्ता. कविता शरीर. गढ़ने के समय यह भी प्रयास करता है कि वह आकर्षक लगे। इसके लिए वह अपनी समस्त. प्रयुक्त शब्दों के मुखों को देखकर पाठक. जानकारी के अभाव में कविता यदि शाब्दिक व आर्थिक अलंकारों से नहीं सज पा. ती तो उसका कोई तो गुण ऐसा हो जो. चढ़ाव से रचना को सरस बनाता हो. इस बार मेरी ही एक '. आशु रचना '. मैं 'हूँ'. तो कभी लाश. जो मेर&#...जो ...
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॥ दर्शन-प्राशन ॥: Feb 15, 2010
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2405; दर्शन-प्राशन ॥. सोमवार, 15 फ़रवरी 2010. ज्ञानोपनयन-१. आर-पार दिखने वाले. पर्दों को मुझसे हटा अरी. नयन-दीप जलते हैं पीछे. जल जावेंगे करो घरी. मुझ नयनों के लिए एक. ज्ञानोपनयन* ला करके दो. जिसे पहन हर वास्तु पुरातन. नूतन-सी दिखती बस हो. ज्ञानोपनयन — चश्मा - ज्ञान का). प्रेरणा — ऋतुराज परी. प्रस्तुतकर्ता. प्रतुल वशिष्ठ. सोमवार, फ़रवरी 15, 2010. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. नई पोस्ट. मुल्क...
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Kavya Therapy: 02/10/10
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बुधवार, 10 फ़रवरी 2010. जीवन नौका. यौवन सरिता में उतर पड़ी. वर-वधु की अब जीवन नौका. मिलकर वे होते हैं सवार. कौशल दिखलाने का मौक़ा।. डोलेगी नौका इधर-उधर. आयेगा दुःख पीड़ा-झोंका. संतुलन बिगड़ न जाए कहीं. दौर है रस-क्रीडाओं का।. प्रिय साथी कृष्णा एवं सस्मीता जी के विवाह के उपलक्ष्य पर). प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). मेरे पाठक मेरे आलोचक. जीवन नौका. मेरे बारे में. नयी दिल्ली, India. Http:/ pratul-kavyatherapy.blogspot.com/. श...
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Kavya Therapy: 11/23/09
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सोमवार, 23 नवंबर 2009. सर के दर्द से निज़ात पाने को. मैंने तमाम तरह की पैथियों का प्रयोग किया. लेकिन न हुआ तब भी सर का दरद कम।. मनोवैज्ञानिक से सलाह न ली. क्योंकि खर्च होती 'और रकम'. सो, स्वयं ही उसका निदान किया. सर का दरद कम करने को. दिमाग़ का विश्लेषण किया।. घर की छोटी-छोटी बातें -. जो मेरी परेशानी का सबब थी।. तालमेल न बैठ पाने से,. दूसरे की चुप्पी पर स्वयं चुप रह जाने से. परस्पर अहम् टकराने से. बढ़ रहीं थीं काफ़ी. उन सभी बातों पर. मांगी 'माफ़ी'. समझौता कराती है।. माफ़ी -. साफी' की तरह. जिम्म&...तोन...
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Kavya Therapy: 02/19/10
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शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010. उन्होंने काम किया. बड़ी तेज़ी से किया. दस दिन का काम दो दिन में ख़त्म किया. आज वो सुखी हैं – हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं ।. काम करते हुए लोगों को देख मन ही मन दुखी हैं. कि – "इनका काम कब ख़त्म होगा". मेहनतकश गधे पर यदि एक दिन. बोझा न रखा जाए तो बिदक जाता है. इधर-उधर चरता घूमता है,. अपने से दूसरे गधे भाइयों से मिलता है,. हाल-चाल पूछता है,. काम का निरंतर बने रहना कितना ज़रूरी है. नहीं तो कोई भी मेहनतकश. ईडियट होकर घूमेगा. ईडियट्स के बीच बैठेगा. ईडियटटी करेगा. इज़ वेल ". जान-कल...
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Kavya Therapy: 02/24/10
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बुधवार, 24 फ़रवरी 2010. बेचारे की शादी. नाईयों में ही हुयी।. जान गए लोग. अपनी कोलोनी का 'शर्मा'. रिश्तेदारों को. शर्मा' बताने में शर्माता था. उसके लड़के ने. मेरे साथ ही इंटर किया है'।. कभी दिया था उसने. ज़ोरदार भाषण. उखाड़ी थी बखिया. पंडितों द्वारा. बनायी वर्णव्यवस्था की।. और मिला था उसको. प्रथम पुरस्कार"।. लड़ नहीं सकता वो. समाज की वर्णव्यवस्था से. प्रेम विवाह का. प्रबल समर्थक था. फिर भी. उच्च वर्ण की कन्या से. प्रेम करने से'. झिझकता था।. अनजाने ही हो बैठा. प्यार' उसको. अनजान रहकर।. नई पोस्ट. जिम&#...
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Kavya Therapy: 12/31/09
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गुरुवार, 31 दिसंबर 2009. नया साल आया. विप्रा ने राजू से. पूरे साल चाय का बड़ा कप भरवाया।. नया साल आया।. नीरजा ने करन से. कोसिमा के छत्ते पर फिर से हाथ लगवाया।. नया साल आया।. कोटेश ने गीतिका से. ऑफिस डेकोरम का राग गव्वाया।. नया साल आया।. रियाज़ ने रिबिका से. ज़ोर से बोलकर ईमेल के ज़रिये डेली स्टेटस मंगवाया।. नया साल आया।. नीलम ने इन्दर से. एक ही डाटा दो बार इंटर करवाया।. नया साल आया।. गज़नफ़र ने मुझसे. नया साल आया।. नया साल आया।. विजयपाल और दीपा ने बिपुल को. नया साल आया।. नया साल आया।. नई पोस्ट. जिम...